#ज़िंदगी_के_झरोखे_से—
मुलायम सिंह यादव का पिछड़ा प्रेम और पिछड़ो का उनसे धोखा —
1989 की बात है राष्ट्रीय स्तर पर एक कमेटी में एक नाम मुलायम सिंह जी को देना था । मेरा नाम था पर उन्होंने एक अशोक यादव का नाम देना ज़रूरी समझा जिसका राजनीति से कोई लेना देना नही था , बस वो यादव था । नाम न देने के बावजूद मैं उस कमेटी में पूरी ताक़त और सक्रियता से रहा ।
फिर वही अशोक यादव मुलायम सिंह के ख़िलाफ़ लग गया यादव के गोत्र घोसी और कमरिया की लड़ाई लेकर । फिर वो जेल भी गया ।
1989 में ही मैंने एक चुनाव क्षेत्र से टिकट माँगा था और संसदीय बोर्ड में चौ देवी लाल से लेकर ज़ोर्ज फ़र्नाडिस सहित काफ़ी लोग मेरे पक्ष में थे पर मुलायम सिंह जी ने वहाँ यह कह दिया की मैं तो प्रचार में व्यस्त रहूँगा तो सी पी राय मेरा चुनाव देखेंगे और मैं कब मुख्यमंत्री हो जाऊँगा तो एम एल ए क्या होता है सी पी राय उससे ज़्यादा होंगे और ये बात बोर्ड की बैठक से निकल कर सबसे पहले ज़ोर्ज फ़र्नाडिस साहब ने मुझसे कहा हरियाणा भवन में । फिर उत्तर प्रदेश के लिए बनी समिति में से कु रेवती रमण सिंह जी और संजय सिंह जी भी मेरे पक्ष में थे पर मुलायम सिंह जी एक बदनाम पिछड़े को टिकट देना चाहते थे और दिया भी जो न पहले उनके साथ था और न बाद में उनके साथ रहा । वो सीट वी पी सिंह की लहर में ऐसी थी की जिसे भी मिलती वो जीतता । मैं उनके चुनाव में तमाम ख़तरों जिसके नाम पर वही एक दिन मुझसे नाराज़ होकर बोले थे की मैं वहाँ से जनेश्वर जी के क्षेत्र में चला जाऊँ वरना मेरी हड्डियाँ भी नही मिलेगी और भट्टे मे झोंक दिया जाऊँगा के बावजूद पूरे चुनाव में वही रहा और एम एल ए से बड़ा बनना तो छोड़िए मुख्यमंत्री बनने के बाद तभी मुलाक़ात हुयी जब सरकार चली गयी और इतने साल निकल गए इंतज़ार
में की वादा कब पूरा होगा ।
इसके बाद भी मेरी ईमानदारी और कर्मठता को धता बताते हुए क्योंकि मैं अगड़ी जाती का हूँ पिछड़ो को बार बार आगे बढ़ाया जिन्होंने खूब लूटा और सारी राजनीतिक उपलब्धियाँ भी हासिल किया पर उन सभी ने मुलायम सिंह का साथ छोड़ने और उनके या परिवार के ख़िलाफ़ खड़ा होने में एक पल नही गँवाया । ऐसे तमाम मामले है । उनके से गुर्जर तुरंत भाजपा में गया और एक बघेल सिर्फ़ गए नही बल्कि पहले उनके भाई के ख़िलाफ़ ताल ठोंकी और अब अखिलेश के सामने है , पर फिर वक्त बदलने पर इन्ही को मिलेगा क्योंकि ये तथाकथित रूप से पिछड़े है ।
हमने आज भी सम्बंध नही तोड़े है ।
ख़ुद के कर्म ख़ुद के सामने आ खड़े होते है ।
हम जहाँ थे वही खड़े है हर मायने में ।
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