हाँ ये सच है कि ई वी एम हैंक नही होती
प्रोग्रामड होती है
जो पहले किसी ने नही किया
इसलिये जनता के लिए जरा नयी चीज है
पर हर अपराधी कुछ गलती जरूर करता है
खुलेगा जरूर आज नही तो कल
फिर ??
समाज हो या सरकार, आगे तभी बढ़ सकते हैं, जब उनके पास सपने हों, वे सिद्धांतों कि कसौटी पर कसे हुए हो और उन सपनों को यथार्थ में बदलने का संकल्प हो| आजकल सपने रहे नहीं, सिद्धांतों से लगता है किसी का मतलब नहीं, फिर संकल्प कहाँ होगा ? चारों तरफ विश्वास का संकट दिखाई पड़ रहा है| ऐसे में आइये एक अभियान छेड़ें और लोगों को बताएं कि सपने बोलते हैं, सिद्धांत तौलते हैं और संकल्प राह खोलते हैं| हम झुकेंगे नहीं, रुकेंगे नहीं और कहेंगे, विजयी विश्व तिरंगा प्यारा, झंडा ऊँचा रहे हमारा|
मंगलवार, 25 जून 2019
ई वी एम का किस्सा
संविधान और कानून / शोले फिल्म
फिल्म शोले का अन्तिम दृश्य जब ठाकुर जिसके पूरे खानदान को खत्म कर दिया था गब्बर ने और उनके दोनो हाथ भी काट दिये थे
गब्बर के सर पर वार करने ही वाले थे
कि
पुलिस अधिकारी बोलता है की छोड दीजिये और कानून के हवाले कर दीजिए
भावना मे बहे ठाकुर को याद दिलाता है की
क्या आप कानून और उसके मूल्य को भूल गये
और
ठाकुर गब्बर को पुलिस के हाथो मे छोड देता है
यही सवाल तो तथाकथित रामभक्तो और सन्घियो तथा बजरंगीयो से भी है की देश कानून और संविधान से चलेगा
या आतंकवादी तालिबानी कानून से
पर ये !!
संसद के आँसू
संसद के भी आँसू निकलते होंगे क्या
दोगलेपन की बाते सुनकर , रोज बाते बदलने वालो के बोझ से
और
जिस संविधान की उसने बहस सुनी थी उससे बलत्कार होता देख कर
और
बापू ,भगत सिंह ,सुभाष के सपनो की चीत्कार सुन कर ।
संविधान का मंदिर
कितने बेशर्म लोग है उस संविधान के मंदिर मे
या
कलयुग ने उन्ही के लिए आरक्षित कर दिया है ।
क्या नेता सोचते होंगे
क्या आज के नेता कभी सोचते होंगे की भगत सिंह ने फाँसी के पहले क्या सोचा होगा
सुभाष ने जापान मे जाकर कैसे सेना खडी होगी और क्या सोच कर भारत विजय पर निकले होंगे
बापू और नेहरु अच्छी भली सुख की जिन्दगी छोड कर कर क्यो जेल गये होंगे इतने सालो के लिए जबकी पता ही नही था की फाँसी मिलेगी ता गोली
ना , बिल्कुल नही
आज़ादी की लडाई
आज़ादी की लडाई के समय चंद अंग्रेजो से प्रभावित लोगो को छोडकर 98 %भारतीय स्वतंत्रता सेनानी धोती कुर्ता पहनते थे
तो
ये नेकर और कली टोपी कहा से आ गयी ।
आज मोदी जी का भाषण
आज #राष्ट्रपति जी के अभिभाषण पर जवाब देते हुये #प्रधान-मंत्री #मोदी जी के भाषण मे पिछ्ली 5 साल वाला #एरोगेंसी और #अहंकार नही था ।
महत्मा #गाँधी, #अम्बेडकर और डा #लोहिया का उन्होने जिक्र किया जो सुखद था ।
उन्होने #लोकतंत्र और #संविधान के प्रति भी #प्रतिबद्धता जाहिर किया ।
यदि ये #संघ के बदले सोच का परिणाम है तो सुखद है पर यदि यह रणनीतिक है तो हमारे जैसे लोगो के साथ देश भी इस पर निगाह रखेगा ।
आज लोकसभा मे
#मोदीजी आजआपने #गांधी और #लोहिया का नाम लिया तो देश को उन लोगो की इच्छाओ के अनुरूप #भीड़तंत्र के #न्याय और #लिन्चिँग के खिलाफ संदेश भी देते और घटनाओ की निन्दा कर देते तथा #बिहार के #बच्चो के निधन पर थोडा दुख प्रकट कर देते तो लगता की लोगो की कुछ चिंता है खासकर गरीबो की ।
इसलिये आप की बातो पर शक होता है ।
गांधी जी के 150 साल
क्या महात्मा #गांधी के 150 का उपयोग #मानवता की रक्षा , #सहअस्तित्व की भावना मजबूत करने के लिए होगा
या
केवल तमाशा होगा ?
आज़ादी के 75 साल
क्या #आज़ादी की लडाई के 75 साल पूरा होने पर जिन सपनो को लेकर लाखो ने #कुर्बानी दिया था उस सपनो पर देश भर मे चर्चा होगी और उस पर सरकार गम्भीरता से कुछ करेगी ?
क्या शहीदो की शहादत और उस वक्त गद्दारो की भूमिका को इमानदारी से देश के सामने लाया जायेगा ।