शुक्रवार, 13 जून 2025

युद्ध क्यो

इराक सहित कई देश पहले अच्छे भले चल रहे थे पर बहाना कुछ भी बना कर अमरीका ने उन सभी को बर्बाद कर दिया और तब से वो सारे देश खड़ा होना तो दूर घुटनो के बल चलने लायक भी नही हो पाए है ।

इजराइल में छुट्टी बिताते लोगो पर एक हमला हुआ कुछ मारे गए और कुछ बन्धक बने पर गाज़ा तबाह हो गया ।

हल निकल सकता था यूक्रेन और रूस का पर यूक्रेन की पीठ पर हाथ रख  दिया कुछ ताकतों ने और यूक्रेन भुतहे खंडहर में तब्दील हो गया ।
फिर एक हमला हुआ और रूस को बहुत कुछ खोना पड़ा ।

अभी पता नही क्या हुआ कि इजराइल अमरीका की शह पर टूट पडा ईरान पर । ईरान के कई प्रमुख लोग मारे गए । 

अब इंतजार हो रहा है दो जवाबो का । एक जवाब रूस को देना है तो दूसरा ईरान को देना है ।

देखना है दोनों जवाब एक दुसरे के समानांतर होंगे या अलग अलग होंगे । दोनों के जवाब दोनों के निश्चित टारगेट तक सीमित रहेंगे या दुनिया के खित्ते भी इनकी जद में आएंगे ।

दुनिया की घटनाओं पर निगाह रखने वालों का मानना है तीसरा विश्वयुद्ध दस्तक दे रहा है । वे मानना गलत साबित हो जाना ही दुनिया और मानवता के हित में है ।

मैं तो बहुत सोचकर भी नही समझ पाता हूँ कि ये लड़ाइयां क्यो होती है ।अगर कही कोई विवाद है तो युद्ध के बजाय शांति और मानवता को महत्व देते हुए बाकी देश तथा संयुक्त राष्ट्र संघ उनका हाल क्यों नही निकाल देते है ताकि पूरी दुनिया शांति से तरक्की कर आगे बड़े और मानवता के सामने भविष्य में आने वाली चुनौतियो से मुकाबला करने पर खुद को केंद्रित करे।मानवता की रक्षा और विकास के लिए खुद को प्रतिबद्ध करे। 

जितना पैसा दुनिया भर के हथियारों पर और युध्द पर खर्च होता है यदि वह देशो के विकास और मानवता की बहबूदी के लिए खर्च किया जाए तो दुनिया स्वर्ग बन जाये ।

जहा तक कुछ पाने का सवाल है जब कोविद आया था तब भी तो दुनिया ने एक दूसरे की मदद किया जानकारियो से , किट से ,दवाइयों से ,आक्सीजन से ।

तो वैसे ही दुनिया मे जिसके पास जो नही है वो उसे वो लोग व्यापारिक समझौते के तहत दे दे जिनके पास है और ऐसे सबका काम चल जाएगा बिना युद और बिना बिजय तथा कब्जे के ।

फिर भी कोई मुद्दे हल न हो रहे हो तो उन्हें समय द्वारा हल करने के लिए छोड़ दिया जाए और दुनिया तथा मानवता को शांति से आगे चलने दिया जाए ।

पर युध्द और रक्त पिपासा शायद इंसान के जीन्स में है और इसीलिए युद्ध है कि खत्म होने का नाम ही नही लेते । दुनिया का कोई न कोई खित्ता सुलगता ही रहता है ।

युध्द के विरुद्ध और मानवता के पक्ष में क्या दुनिया भर की सिविल सोसाइटी एकजुट होकर एक बड़ा दबाव समूह नही बना सकती है इस नारे के साथ कि इंसान जिंदा रहने के लिए पैदा हुआ है उसे जिंदा रहने दो और इस गाने के साथ कि " इंसान का इंसान से हो भाईचारा ,यही पैगाम हमारा यही पैगाम हमारा ।

#मैं_भी_सोचू_तू_भी_सोच

गुरुवार, 12 जून 2025

जिन्दगी_के_झरोखे_से

#जिन्दगी_के_झरोखे_से

एक #पुरानी_याद #1988_की ।
आगरा के सर्किट हाउस की एक फोटो प्रेस कांफ्रेंस के समय ।
हरियाणा के मुख्यमंत्री चौ #देवीलाल की रैली थी आगरा के रामलीला मैदान में ।मैंने #ओमप्रकाशचौटाला को यू पी भवन में #मुलायम सिंह यादव के कमरे में और देवी लाल जी को हरियाणा भवन में मना किया था की जो रैली करवा रहे है एक हज़ार आदमी भी नहीं ला पाएँगे सभा में 
पर वो गुप्ता जी थे और मुलायम सिंह यादव ने उनको चेयरमैन बनवा दिया था तो उनकी बात का वजन ज़्यादा था 
और 
उस वक्त सम्पूर्ण विपक्ष की धुरी तथा उम्मीद की किरण देवीलाल जी आए भी 
रामलीला मैदान बिलकुल ख़ाली । 
देवीलाल जी फ़ॉर्मैलिटी पूरी कर नाराज़ हो वापस चले गए हरियाणा सरकार के स्टेट प्लेन से और बाक़ी सब लोग सर्किट हाउस आ गए #जनेश्वर_मिश्रा , #शरद_यादव , मुलायम सिंह यादव इत्यादि ।
गुप्ता जी ग़ायब , खाने तक का भी इंतज़ाम नहीं । एक तनाव था सब के अंदर की देवीलाल जी को क्या मुह दिखाएँगे । 
मुलायम सिंह में मुझसे अकेले में बात किया की इज्जत कैसे बचाई जा सकती है ? क्या अख़बार में कुछ ऐसा हो सकता है की देवीलाल जी को दिखाया जा सके ?
मैंने कहा कोशिश करता हूँ । 
फिर मेरे निमंत्रण पर सब लोग मेरे निवास पर आए जहाँ मेरे फ़ोन कर देंने के बाद मेरी पत्नी ने जल्दी जल्दी में पूरी सब्जी और पुलाव तथा रायता बना लिया था और उसके बाद  चाय । 
सभी नेता जनेश्वर जी शरद यादव , मुलायम सिंह और अन्य ने वही भोजन किया । 
मुलायम सिंह यादव बोले की जल्दी चला जाए ताकि सी पी राय भी फ़्री होकर उस ज़रूरी काम में लगे जो उन्हें दिया गया है 
और 
सबको बिदा कर मैं काम में लग गया । अखबार के दोस्तो ने सिर्फ इतनी दोस्ती निभा दिया की केवल मंच की फोटो छापा और देवीलाल जी तथा अन्य नेताओ का भाषण और भीड की चर्चा तथा फोटो छोड दिया ।अगले दिन देवीलाल की की सभा #एक_सफल_सभा थीl

बुधवार, 11 जून 2025

जिंदगी के झरोखे से

करीब 28 साल पहले मैं पार्टी का प्रदेश महामंत्री और प्रवक्ता दोनो था 
उस समय पार्टी की प्रदेश कार्यकारिणी की बहुत महत्वपूर्ण बैठक हुयी थी नैनीताल में ।
उसी समय की याद -- नेता जी के साथ ।
फ़िल्मकार मुजफ्फर अली के वहां के बंगले का स्वागत और भोज तथा वह शाम भी नहीं भूली जा सकती है।

अब जो उस समय पैदा नही हुए थे वो पूछते है आप कौन ।

रविवार, 1 जून 2025

जिन्दगी_के_झरोखे_से

#जिन्दगी_के_झरोखे_से--

कितने लोगो को पता है की इस #देश से #लाटरी #मैने_खत्म_करवाया ।

Chandra Prakash Rai  Sir...

पुराने लोग जानते है की एक समय था देश भर मे हर सड़क हर गली और हर बाजार मे लाटरी बहुत बडा व्यवसाय बन गया था । परिवार के परिवार तबाह हो रहे थे ।

उसी दौर मे मुझे कुछ घटनाए पता लगी जिसमे से अभी सिर्फ एक का जिक्र कर दे रहा हूँ -

एक मध्यम वर्ग की महिला भी इसका शिकार हो गयी । हुआ ये की वो घर का समान लेने जाती सब्जी इत्यादि और इस उम्मीद मे लाटरी का टिकेट भी खरीद लेती की शायद घर की हालात कुछ अच्छे हो जाये । उसकी एक बेटी थी शादी को और पति मे घर खर्च काट काट कर कुछ पैसा इकट्ठा किया था ।

धीरे धीरे जुवरियो की तरह वो उस पैसे को भी ज्यादा टिकेट खरीद खर्च करने लगी और सब बर्बाद कर बैठी । फिर सब खत्म हो जाने पर परेशान रहने लगी । किसी दुकान पर उसकी किसी औरत से दोस्ती हो गयी थी और जब उसे समस्या पता लगी तो उसने इस महिला को वेश्यावृत्ति मे धकेल दिया ।

 अक्सर ये महिला आत्महत्या करने का सोचती थी इसलिए इसने सारा ब्योरा और अपना गुनाह एक जगह लिख कर रख दिया की उसकी मौत के लिए वो खुद जिम्मेदार है और दूसरे कागज पर अपने पति को सारी बात और अपना माफीनामा ।

 वेश्यावृत्ति के चक्कर मे एक दिन वह जहा पहुची वहा उसके खुद का बेटा और उसके दोस्त थे जिन्होंने दलाल से उसे बुलवाया था और फिर वहा से भाग कर उसने आत्महत्या कर लिया ।

ये और कुछ अन्य दर्दनाक घटनाए जो मैं आत्मकथा मे विस्तार से लिखूंगा जिनमे ना जाने कितने लाख घर और लोग बर्बाद हुये , कितनो ने आत्महत्या कर लिया , मेरे संज्ञान मे आई तो मेरी आत्मा ने धिक्कारा की क्या सिर्फ जिन्दाबाद मुर्दाबाद ही राजनीती है या समाज के असली जहर के खिलाफ लड़ना ।

#अलोक_रंजन जो उत्तर प्रदेश के #मुख्यसचिव से रिटायर हुये है और अभी भी लखनऊ मे है वो मेरे यहा डी एम थे और बाबा हरदेव सिंह ए डी एम सिटी ।भाजपा की कल्याण सिंह की सरकार थी ।

मैं अलोक रंजन से मिला और उनके सामने मैने वो सारी घटनाए रखा और कहा की मैं कम से कम अपने शहर मे तो लाटरी नही बिकने दूंगा । वो बोले की सरकार के बड़े राजस्व का भी सवाल है और कानून व्यव्स्था का भी पर नैतिक रूप से मैं आप की बात का समर्थन करता हूँ । 

बस एक प्रेस कांफ्रेंस और उसके बाद लाटरी फाडो अभियान की शुरुवात हो गयी ।

उस वक्त की मीडिया ऐसी नही थी सारे अखबारो ने रोज बडा कवरेज दिया और मेरा समाचार पूरे देश के एडिशन मे छापा मेरे आग्रह पर की ये देश भर मे अभियान शायद बन जाये ।

और हा #भाजपा पूरी ताकत से इस आन्दोलन के खिलाफ और #लाटरी व्यापार #के_पक्ष_मे_थी ।

बहुत कुछ झेलना पडा , पथराव , झगड़े और एक बड़े माफिया जो अब जेल मे है उनका लाटरी का होल सेल का काम था उनकी धमकी और लालच भी ,जी उस समय मुझे 5 लाख मे खरीदने या गोली खाने का आफर मिला और मेरा वही जवाब की बिकाउ मै हूँ नही और मुझे मार सकना तेरे बस मे नही है और अगर अच्छे काम के लिए मर भी गया तो शायद ये अन्दोलन भी जोर पकड़ ले और कामयाबी मिल जाये वर्ना कम से कम अच्छे काम के लिए मरूँगा ।

देश मे मेरा समचार देख कर अन्य जगहो पर भी लोगो ने छिटपुट अन्दोलन शुरू कर दिया ।

कितना लोकप्रिय था वह मेरा अन्दोलन इससे समझ लीजिये की - नैनीताल मे पार्टी के प्रदेश कार्यकारिणी की बैठक तय हो गयी और मुझे रिजर्वेशन नही मिला तो सीधे ट्रेन पर पहुच गया ,ट्रेन मे टीटी ने पहचान लिया और बर्थ दे दिया ।

 यही काठगोदाम मे हुआ वहा के स्टेशन मास्टर ने पहचान लिया बैठा कर चाय पिलाया और नैनीताल उनके एक दोस्त जा रहे थे उनके साथ मुझे भेजा और वापसी के रिजर्वेशन का इन्तजाम भी किया । 

(ऐसा मेरे साथ मुशर्रफ वाले अन्दोलन मे भी हुआ था जब उसके अगले दिन मैं फैजाबाद गया तो बस स्टेशन के पास जो उस बक्त का अच्छा होटल था उसमे किसी ने रुकने का इन्तजाम किया था , मैं काऊंटर पर पहुचा तो आजतक पर मेरा ही समचार चल रहा था ,वहा बैठा मालिक टीवी और मुझे आश्चर्य से देखने लगा ,खैर फिर उसने होटल के बजाय अपने घर का खाना खिलाया और कमरे का पैसा लेने से भी इन्कार कर दिया ) 

थोडे दिन बाद हमारी सरकार बन गयी और #मुलायम_सिंह_यादव जी #मुख्यमंत्री । 

तब उनके सामने मैने उत्तर प्रदेश में लाटरी खत्म करने का प्रस्ताव किया जिसका एक पूरा विभाग था । 300 या 400 करोड़ लाटरी से प्रदेश को मिलता था उस समय ।पर मेरे अन्दोलन का नैतिक दबाव भी था और मुख्यमंत्री ने भी जरूरी समझा और उत्तर प्रदेश में तत्काल प्रभाव से लाटरी बंद कर दी गयी 

फिर ऐसा माहौल बना की धीरे धीरे सभी प्रदेशो को लाटरी बंद करनी पडी ।

गुरुवार, 29 मई 2025

जिन्दगी_के_झरोखे_से

#जिन्दगी_के_झरोखे_से--

आज से इतने साल_पहले का यह #1977_का_समाचार है जब ड़ा शिवानंद नौटियाल उत्तर प्रदेश के शिक्षा मंत्री थे रामनरेश यादव जी की सरकार मे मेरे नेत्रत्व मे छात्रो का प्रतिनिधि मंडल मिला था उनसे आगरा के कुलपति को बर्खास्त करवाने को ।
बाद मे हम लोगो ने उत्तर प्रदेश के राज्यपाल एम चन्ना रेड्डी को घेर लिया आगरा के सर्किट हाऊस मे ,लाठीचार्ज हुआ पर हटे नही हम लोग और सुबह से रात हो गयी तो सर्किट हाऊस की लाईट बुझा कर उन्हे पीछे के रास्ते से निकाला गया ।
दूसरे दिन राज्यपाल ने उस कुलपति को बर्खास्त कर दिया ।
इसके पहले एक दिन कुलपति को उठा कर मैं उनकी कुर्सी पर बैठ गया और आदेश शुरू कर दिये ।एस पी ए एन सिंह और ए डी एम सिटी राम कुमार कुंवर मे बाहर लाठी चार्ज कर छात्रो को तीतर बितर कर दिया और अंदर आकर मुझसे उठने का आग्रह किया पर तब भी मैने इस शर्त  पर उठना मंजूर किया की कुछ घंटे का ही सही मेरे कुलपति होने पर पहले चाय पिए सब लोग तब उठ जाऊंगा ।
और वही हुआ ।किसी पर कोई मुकदमा कायम नही हुआ ।
कुलपति बहुत भ्रष्ट था एक तरफ हम लोगो को लालच देता था और दूसर तरफ कुछ पालतू गुंडो जिसमे से एक सरगना को ओ एस डी बना लिया था उनसे धमकवाता था ।पर उस जमाने मे गुंडो की हैसियत ही नही थी कि सामना कर सके ।