गुजरात से चला आन्दोलन बिहार पहुच गया और अन्य प्रदेशो में भी पहुचने लगा | मध्यप्रदेश के भोपाल में छात्रों पर गोली चली और कई छात्र मारे गए | बिहार में छात्रो के संगठनो ने बैठक कर छात्र संघर्ष समिति का गठन किया छात्र आन्दोलन उग्र हो गया और तमाम सरकारी समोत्तियो को छाती पहुचाई गयी | सारे विपक्षी दल भी छात्रो के आन्दोलन के पीछे खड़े हो गए | जे पी नव निर्माण आन्दोलन को देखने गुजरात गए | जब आन्दोलन आगे बढा तो छात्रो ने जयप्रकाश नारायण से आन्दोलन का नेत्रत्व करने का आग्रह किया और जयप्रकाश जी जो की राजनीति छोड़कर भूदान आन्दोलन का हिस्सा बन गए थे आन्दोलन का नेत्रत्व करने को तैयार हो गए पर शर्ट ये थी की आन्दोलन अनुशासित और शांतिपूर्ण होगा | जयप्रकाश नारायण के आगे आते ही आन्दोलन पूरे देश में फ़ैलाने लगा | हिंसा और अहिंसा के बीच झूलता आन्दोलन बढ़ता जा रहा था | पटना में विशाल रैली हुयी जिसमे जयप्रकाश नारायण ने आन्दोलन को सम्पूर्ण क्रांति नाम दिया इस रैली में छात्र नेता के रूप में मुझे भी जाने का अवसर मिला | क्या जनसमुद्र दिख रहा था | अक्टूबर में फिर बहुत विशाल रैली हुयी और फिर नवनिर्माण आन्दोलन की तरह विधायको के स्टीफे मांगे जाने लगे | कुछ विधायको ने स्तीफा दे भी दिया | इसी बीच राजनारायण जी ने प्रधानमंत्री इंदिरा गाँधी के चुनाव के खिलाफ इलाहबाद हाई कोर्ट में जो मुकदमा किया था १२ जून को उसका फैसला आ गया और इंदिरा जी के चुनाव को शुन्य घोषित कर दिया गया जिसके करण उनका प्रधानमंत्री पद संकट में आ गया | यद्द्पिं सर्वोच्च नयायालय ने इलाहाबाद उच्च नयायालय के फैसले पर स्टे दे दिया था पर इंदिरा गद्दी छोडो के आह्वान के साथ दिल्ली के रामलीला मैदान में विशाल रैली हुयी २५ जून १९७५ को और उसी रैली में जयप्रकाश नारायण ने फ़ौज और पुलिस से सरकार का आदेश नहीं मानने का आह्वान किया और उसी को आधार बना कर २५ जून की रात को राष्ट्रपति के हस्ताक्षर से देश में आपातकाल लागू हो गया और रात से ही सभी विरोधी दल के नेर्ताओ की गिरफ्तारी शुरू हो गयी |मैं एन सी सी का बेस्ट कैडेट भी था और इसी समय मेरा चयन पहले पैरा ब्रिगेड के साथ आर्मी अटैचमेंट कोर्स के लिए हो गया जिसमे एक माह ब्रिगेड के जवान जो जो करते है वाही करना था और उसके ख़त्म होते ही पहली बार एन सी सी के छात्रो के लिए पैराशूट से कुदान की इजाजत मिली थी तो उसमे ३५ दिन के लिए मेरा चयन हो गया और इस करण मेरा गिरफ्तारी में नाम कट गया | पर इस सब से निपटने के बाद हम युवजन सभा के लोग कही न कही मिलने लगे और आपातकाल के खिलाफ चर्चा करने लगे | हम लोगो के सम्पर्क में संघ के दो लोग आ गए और वो देश भर की झूठी सच्ची कहानिया बताते की कहा लोगो का नाखून नोच लिया गया है और कहा कहा जबरदस्ती नसबंदी की गयी है ,कहा लोगो को गोली से मार दिया गया है और ऐसे कुछ पर्चे भी दे देते की कही चलते फिरते सड़क पर अँधेरे में फेंक देना | बाद मेसमझ में आया की संघियों ने कैसे हमारा झूठ फ़ैलाने में प्रयोग कर लिया गया था और संघ का काम का वाही तरीका आज भी जारी है |
आर एस एस के तब के सरसंघचालक बाला साहेब देवरस ने इंदिरा गाँधी जी कोम चिट्ठी लिखा और आपातकाल का समर्थन किया और कहा की यदि संघ के लोगो को छोड़ दिया जाए तो आपातकाल के उद्देश्यों की पूर्ती केव लिये वो लोग काम करेंगे | इसके बाद जेलों में बंद संघ के लोगो ने माफीनामा लिखना शुरू किया और आपत्काल को विकास पर्व लिखकर उसमे सहयोग करने की बात लिख कर सब छूट गये | ये अलग बात है की उत्तर प्रदेश में लोकतंत्र सेनानी की मुलायम सिंह यादव जी द्वारा शुरू की गयी पेंशंन ये लोग भी ले रहे है |
इंदिरा जी के जीवन में तमाम उपलब्धिया और ख्याति है पर आपातकाल लगाना उनके ऊपर एक धब्बा बना गया | ये अलग बात है की खुद लोकतंत्र में यकीन करने के करण उन्होंने खुद मार्च १९७७ में आपातकाल को रद्द कर दिया और चुनाव घोषित कर दिया | बाद में इंदिरा जी खुद आपातकाल के लगाने पर खेद भी व्यक्त किया और ऐसा ही विचार समय समय पर राजीव गाँधी ,राहुल गाँधी तथा कांग्रेस के अन्य नेताओ ने भी व्यक्त किया |
लोकदल ,जनसंघ सोशलिस्ट पार्टी और कांग्रेस ओ को मिलकर जनता पार्टी का गठन हुआ | जिसमे चंद्रशेखर जी के साथ कांग्रेस से आए लोग भी शामिल थे और बाद में जगजीवन रांम ,हेमवनती नन्दन बहुगुणा ,नादिनी सत्पथी इत्यादि ने कांग्रेस छोड़ कर कांग्रेस फॉर डेमोक्रेसी बना लिया था और वो लोग भी इस दल में शामिल हो गए थे |
जनता पार्टी ने उत्तर भारत में प्रचंड जीत हासिल किया और पूरे उत्तर भारत में इंदिरा गाँधी जी ,संजय गाँधी समेत सभी कांग्रेस के लोग हार गए परन्तु दक्षिण भारत की मदद से कांग्रेस को १५४ सीट मिली | लेकिन येर सरकार प्रारम्भ में ही विवाद में घिर गयी जब मोरारजी भाई और बाबु जगजीवन राम में प्रधानमंत्री पद पर विवाद हो गया था | सांसदों में सबसे बड़ी संख्या चरण सिंह के लोगो की थी और उसके बाद जनसंघ की | मोरारजी भाई और जगजीवन बाबु के बहुत कम संसद थे | राजनारायण जी जो उस लड़ाई के मुख्य योद्धा थे और इंदिरा जी को भी उन्होंने हराया था उन्होंने चरण सिंह जी को मोरारजी भाई के पक्ष में कर दिया और वो प्रधामंत्री हो गए | काश बाबु जगजीवन राम जी प्रधानमंत्री बन गए होते तो शायद राजनीतिक इतिहास कुछ और होता या चरण सिंह ही शुरू में ही बन गए होते तो भी शायद हालत कुछ और बने होते |
राजनीति इसी को कहते है की उत्तर भारत के प्रभारी थे चरण सिंह और उत्तर भारत पूरा जीते और चरण सिंह सहित सभी लाखो वोट से जीते तथा मोरारजी भाई कुछ हजारो से जीते लेकिन प्रधानमंत्री का सवाल आया तो मोरारजी भाई और अंत में कांग्रेस छोड़कर आये जगजीवन बाबु उम्मीदवार हो गए | ऐसे ही कुल ६\७ लोगो के साथ कांग्रेस के आये चंद्रशेखर जी जनता पार्टी के अध्यक्ष हो गए |राजनारायण जी सरकार मेर स्वास्थ्य मंत्रीं बन गए थे और उन्होंने आम लोगो तक स्वस्थ्य सवाये पहुचाने का बड़ा शानदार काम किया था | उन्होंने बेयर फुट डॉक्टर्स बनाये जो गाँव गाँव सस्ती और तत्काल जरूरत की दवाई देते थे और रूस से बड़ी बड़ी गाडियों के रूप में चलता फिरता अस्पताल ले आये की वो ब्लोक ब्लोक और गाँव गाँव में पूरा इलाज और जरूरत पड़ने पर आप्त्रेशन भी वाही कर देंगे | रूस के प्रावदा अखबार ने लिखा था की भारत की इस सरकार में एक मंत्री पूरी तरह साम्यवादी नीतिया लागु करने वाला मंत्री है राजनारायण |
जनता पार्टी बनी थी तो दलों का विलय हो गया और जनसंघ को छोडकर बाकि दलों के युवा संगठनो तथा छात्र संगठनो का विलय भी हो गया लेकिन जनसंघ ने अपने इन दोनों संगठनो का विलय करने से इनकार कर दिया और अलग संगठन के रूप में चलाते रहे | साथ ही जनसंघ से जुड़े लोग आर एस एस के कार्यक्रमों में भी भाग लेते थे | जनता पार्टी बन गयी थी लेकिन जनसंघ से जुड़े मंत्री लोग अपने विभाग में जो मनोनयन होता था वो सब केवल जनसंघ और आर एस एस से जुड़े लोगो का मनोनयन ही कर रहे थे | लालकृष्ण अडवानी ने अखबारों के मालिको से बात कर संघ और विद्यार्थी परिसद से जुड़े लोगो को पत्रकार बनवाना शुरू कर दिया था | राजनारायन जी ने एक बार बताया था की प्रारम्भ में उद्योग मंत्री जनसंघ के कोटे के मंत्री बने थे तो उन्होने कुछ गड़बड़ कर दिया था जिन्हें मोरारजी भाई बर्खास्त करना चाहते थे तो अटल जी और अडवाणी जी तथा नाना जी देशमुख सहित कई नेताओ ने उनपर वैसा नहीं करने का दबाव बनाया तो उनका उद्योग विभाग बदल कर जोर्ज फर्नांडीज को दे दिया गया जिन्होंने तमाम दबाव को नकार कर भारत में कोका कोला बंद कर दिया था और फिर ७७ नाम से कोल्ड ड्रिंक शुरू हुआ था |
जनसंघ के लोगो ने अन्य लोगो से मिल कर पहले विधानसभा चुनाव में चरण सिह के लोगो का टिकेट कटवाया और फिर चरण सिंह के मुख्यमंत्रियो के खिलाफ अबियाँ चला कर हटवा दिया जिसमे उत्तर प्रदेश ,में रामनरेश यादव को हटा कर बाबु बनारसीदास को मुख्यमंत्री बनाया गया तो बिहार में कर्पूरी ठाकुर को हटा कर रामसुंदर दास को बनया गया और हरियाणा में चौधरी देवी लाल को हटा कर भजन लाल को मुख्यमंत्री बनाया गया जो बाद में पूरा मंत्रिमंडल लेकर कांग्रेस में शामिल हो गए थे | इसी समय राजनारायण जी का एक विवाद हो गया | हुआ ये की शिमला के रिज के मैदान में उस प्रदेश के जनसंघ के मुख्य्मंम्त्रीशांता कुमार ने अटल बिहारी वाजपेयी को सभा करने की इजाजत दे दिया था पर जब राजनारायण जी के लोगो जिसमे से के सी त्यागी आज भी सक्रीय है और दिल्ली के प्रोफ़ेसर राजकुमार जैन जिन्होने रिज के मैदान की सभा का सञ्चालन किया था | राजनारायण जी का कार्यक्रम रखना क चाहा तो धरा १४४ लागु कर दिया और इजाजत नहीं दिया फिर भीं राजनारायण जी वहा गए | विवाद बढ़ गया | राजनारायण जी मंत्रिमंडल से बर्खास्त कर दिया गए | जनसंघ के लोगो के खिलाफ दोहरी सदस्यता का मुद्दा राजनारायण जी और मधु लिमये जी उठा चुके थे और वो मुद्दा जोर पकड़ रहा था | मोरारजी भाई ने रिज के मैदान का मुद्दा बना कर उन्हें सरकार से हटा दिया था | इसी बीच चरण सिंह ने कुछ कह दिया तो उन्हें भी मंत्रिमंडल से हटा दिया गया था तो राजनारायण जी इण्डिया गेट के पास वोट क्लब पर विशाल किसान रैली का आयोजन किया और उसमे लाखो लोग आये | उसके बाद जन दबाव में चौधरी चरण सिंह जी को उप प्रधानमंत्री बना दिया गया पर गृह मंत्री के बजाय वित्त मंत्री बना दिया गया | पर राजनारायण जी बाहर ही रहे | वैसे तो राजनारायण जी और जोर्ज फर्नांडीज इत्यादि प्रारम्भ में ही मंत्री नहीं बनाना चाहते थे तो मोरारजी भाई ने जयप्रकाश नारायण और आचार्य कृपलानी से दबाव डाल कर इन ,लोगो को मंत्रिमंडल में शामिल किया की ये लोग मंत्रिमंडल में नहीं रहेंगे तो चलाने में दिक्कत होगी |
राजनारायण जी ने बताया था की एक बार उनकी मोरारजी देसाईं से मुलाकात हो गयी तो आदत के अनुसार राजनारायण जी उन्हे इत्र् लगाने लगे तो मोरारजी भाई ने कह दिया की वैसे तो आप बदबू बिखेरते रहते हो अब इत्र् क्यों लगा रहे हो तो राजनारायण जी ने उनसे कहा की मेरी ये पंक्तियाँ याद रखना ' रे दुर्योधन मैं जाता हूँ ,तुझको संकल्प सुनाता हूँ .याचना नहीं अब रन होगा ,ये रन बड़ा भीषण होगा ; और इतका कह कर राजनारायण जी निकल गए और फिर जनता पार्टी तोड़ने पर लग गए | राजनारायण जी के समर्थन में पहले दिन चार मंत्रियो ने इस्तीफ़ा दे दिया जनेश्वर मिश्र ,नरसिंह यादव ,धनिक लाल मंडल इत्यादि और धीरे धीरे करवा बढ़ता गया और १०० से ज्यदा सांसदों ने राजनारायण जी को अपना नेता चुन लिया | तब राजनारायण जी जो सब कुछ तय कर चुके थे उन्होंने दो सांसदों को चौधरी चरण सिंह के पास भेजा की अब मंत्रिमंडल छोड़कर आ जाये | राज्नारायण जी ने सांसदों से कहा की आप लोगो ने मुझे नेता चुन दिया पर मेरे नेता चौधरी सिंह है और उनको प्रधानमंत्री बनाने का मेरा निर्णय है |
चौधरी चरण सिंह जी आये और इंदिरा गाँधी के सहयोग से प्रधामंम्त्री बन गए तथा राजनारायण जी जनता पार्टी एस यानि सेकुलर के राष्ट्रीय अध्यक्ष हो गए |
इस बीच इंदिरा गाँधी जी की पार्टी दो टुकड़े में टूटग गयी थी और वाई बी चौहान के नेत्रत्व में ज्यादा सांसदों के करण असली कांग्रेस बन गयी थी और सारे प्रमुख अनुभवी नेता चौधरी चरण सिंह के मंत्रिमंडल में शामिल हो गए थे | बहुगुणा जी वित्त मंत्री थे | इस बीच बहुगुणा जी इंदिरा जी से मिल गए और उन्होंने चरण सिंह जी को समझाया की आप चुनाव करवा दीजिये | हुआ ये था की जैसा बताया जाता है की इंदिरा जी चरण सिंह से नाराज हो गयी थी और संसद जाने से पहले ही उन्होंने समर्थन वापस ले लिया | चौधरी चरण सिंह ने संसद का सामना करने के बजाय सरकार का इस्तीफ़ा दे दिया और ये काम उन्होंने बहुगुणा जी के सुझाव पर दिया था | तब मीडिया के शोर का जमाना नहीं था | राजनारायण जी कलकत्ता गए हुए थे | उस वक्त नीलम संजीव रेड्डी राष्ट्रपति थे जो खुद भी किसान परिवार से थे | उन्होंने चरण सिंह का इतीफा लेकर रख लिया और उनके जाने के बाद राजनारायण जी को फोन किया की दिल्ली जल्दी पहुचे और आते ही राष्ट्रपति भवन आये | राजनारायण जी दिल्ली आकर सीधे राष्ट्रपति भवन पहुचे तो राष्ट्रपति जी ने उन्हें पूरी बात बताया और कहा की पहली बार कोई किसान प्रधानमंत्री बना है मैं चाहता हूँ की ये सरकार चले और किसानो के हित में फैसले हो | आप चरण सिंह कोई समझाओ की वो संसद का सामना करे और कुछ दिन तक संसद चलाये | मैं भी मदद कर दूंगा की कुछ सांसद आप लोगो के पक्ष में आ जाये और आप लोग भी कोशिश करिए | राजनारायण जी सीधे चरण सिंह जी के घर गए और उनसे कहा की पार्टी का अध्यक्ष मैं हूँ मुझसे सलाह किये बिना आप स्तीफा कैसे दे सकते है और पुछा की क्या आप को स्तीफा देने को बहुगुणा ने समझाया ? वो तो इंदिरा जी से मिल गया है | राजनारायण जी ने राष्ट्रपति द्वारा कही बात उनसे कह दिया तो चौधरी चरण सिंह ने कहा की हम लोग जीत जायेंगे क्योकि इंदिरा जी के खिलाफ जनता है और चंद्रशेखर वाली पार्टी को वोट कौन देगा | बहुत कोशिश के बाद भी चौधरी चरण सिंह नहीं माने | राजनारायण जी की बात सही साबित हुयी और दो दिन बाद ही बहुगुणा जी इंदिरा जी के साथ चले गए और पार्टी के मुख्य महासचीव् तथा चुनाव अभियान समिति के अध्यक्ष बना दिया गए | ये पूरी बात राजनारायण जी ने एक बार चौधरी चरण सिंह की मौजूदगी में सुनाया था |
फिर चुनाव हुआ और जितनी बुरी तरह इंदिरा जी पिछले चुनाव में हारी थी उससे ज्तादा ताकत से जीत कर आई और जनता ने ३५३ सीट से जिता कर इंदिरा जी को आपातकाल के आरोपों से मुक्त कर दिया था जबकि चौधरी चरण सिंह की पार्टी को ४१ सीट मिली और जनता पार्टी जिसके नेता जगजीवन राम थे को ३१ सीट मिली तथा टूटी हुयी कांग्रेस के गुट जिसके नेता ए के एंटोनी थे को केवल १३ सीट मिली थी |
अगर में तो फिर सवाल उठता है की यदि राष्ट्रपति जी की सलाह और राजनारायण जी की बात चौधरी साहब ने मान लिया होता तो क्या होता | राजनारायण जी के साथ रहने का काफी अवसर मिला | अक्सर वो बिना बताये आगरा आ जाते थे | कोई प्रोटोकोल नहीं कोई सूचन नहीं और घर पर पहुच जाते थे तो पता चलता था की आ गए और आते ही बोलते की कुछ खिलाओ फिर चलो जरा गुरु जी से मिला आये और वापसी में मुझे घर छोड़कर दिल्ली चले जाते थे |
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