#जिंदगी_के_झरोखे_से
जब लोकबंधु राज नारायण जी ने अमरीका नही जाने जा दिया :
1983 की बात है मेरी स्वर्गीय पत्नी के बड़े भाई प्रो प्रकाश चंद्र शर्मा जो अमरीका में प्रोफेसर थे और उनका बड़ा नाम था । उन्होंने राय दिया की मुझे अमरीका के एक दो विश्वविद्यालयों में पी एच डी के लिए अप्लाई करना चाहिए तो मैने भी हां कर दिया । उन्होनें दो विश्वविद्यालय के फार्म भेज दिया । मैने आवेदन कर दिया और मेरा अलबामा तथा अबर्न दोनो विश्वविद्यालय में एडमिशन हो गया और स्कालरशिप के साथ ।
टोफेल पास करना जरूरी होता है उसके लिए भी अप्लाई कर दिया और हेली रोड कनाट प्लेस के अमेरिकन सेंटर में उसका भी इम्तहान हो गया ।
मैं खुशी खुशी राज नारायण जी को बताने चला गया की ऐसा ऐसा हो गया है और मैं अमरीका जा रहा हूं। पी एच डी वहा से कर के आऊंगा तो अच्छे विश्वविद्यालय में नौकरी मिल जाएगी । वो तो सुनते ही बहुत नाराज हो गए और बोले की क्या सिर्फ अपने लिए जीना चाहते हो या समाज के लिए ? किसलिए समाजवादी विचारधारा को अपनाया था इसलिए की एक दिन अमरीका चले जागोगे और वहा किसी मेम से शादी कर वही के हो जावोगे ? सिर्फ अपने बारे में सोचना है और सिर्फ अपने लिए जीना है तो जाओ ।
मैं परेशान हो गया । बचपन से समाजवादी नारे लगाता रहा ,ऊंच नीच की खाई और गैर बराबरी को खत्म होगी एक दिन इस विश्वास के साथ जीता रहा और अब सचमुच क्या मैं अमरीका जाकर लौटूंगा ? अगर वही बस गया तो घर परिवार रिश्तेदार और सब साथी तो छूट जायेंगे ।
और अंततः मैं अमरीका नहीं गया जिसपर मेरी पत्नी के बड़े भाई प्रकाश जी बहुत दिन तक नाराज रहे । ये भी सच है की न जाने के कारण जिंदगी में बहुत कष्ट सहना पड़ा और बहुत संघर्ष करना पड़ा ।
2016 में जब अमरीका गया तो पत्नी के उन्ही बड़े भाई प्रकाश जी के घर अबर्न गया तो वो मुझे विश्वविद्यालय दिखाने ले गए और मेरा डिपार्टमेंट जहा मेरा एडमिशन हुआ था और अटलांटा में उनके साथ उनके बेटे के घर भी गया जो वहा बहुत बड़ा कैंसर सर्जन है जिसने भारतीय रेस्त्रां में खाना खिलाया । उनकी बेटी जो सभावतः जी कंपनी में दूसरे बड़े पद पर है वो बाहर थी । फिर उनके साथ अबर्न से लंबे ट्रिप पर फ्लोरिडा गया कहा इंटरनेशनल इलेक्ट्रिक व्हिकिल कांफ्रेंस थी । उन्होंने मुझसे आवेदन करवा दिया उस कांफ्रेंस में हिस्सा लेने के लिए की में सोशल साइनटिस्ट हूं पर सामाजिक दृष्टि से इलेक्ट्रिक व्हिकिल की जरुरत पर अध्ययन में रुचि रखता हूं तो मुझे भी वहा से निमंत्रण आ गया मेल पर और फारेन गेस्ट प्रोफेसर के रूप में वहा लगने वाली 650 डालर की डेलीगेशन फीस भी माफ कर दी गई । प्रकाश जी अमरीका में इलेक्ट्रिक व्हिकिल पर जो तमाम रिसर्च हो रही है जिसमे सड़क को आर्मेचर के रूप में इस्तेमाल करने की भी है ताकि चलती हुई कर बिजली बनाती चले जो उसके काम आए और। बाकी एक तकनीक से स्टोर हो जाएगी और एक रिसर्च है की कैसे बैटरी को वजन से हल्की बैटरी बनाया जाए जो हजार किलोमीटर तक एक चार्जिंग में चल जाते इसको प्रकाश जी ही इसके हेड है ।अबर्न से फ्लोरिडा 1000 मील का कार से सफर कर शाम को हम लोग फ्लोरिडा पहुंच गए और हिल्टन होटल में रुकने का इंतजाम था वहा रुक गए । बीच में एक विश्वविद्यालय में उनके छात्र प्रोफेसर हो गए थे तो उनके घर पर लंच हुआ । बहुत श्रद्धा से उन्होंने तमाम पकवान बनवाया हुआ था । अमरीका के हाइवे बहुत अच्छे है तथा दोनो तरह बस हरियाली ही हरियाली है ।है 50 किलोमीटर पर रेस्ट एरिया बना हुआ है जहा रूक कर आप बाथरूम जा सकते है ,कुछ खा पी सकते है या खरीद सकते है ।स्टेट बदलने पर एकाध स्टेट में रेस्ट एरिया में स्वागत में स्टेट की तरफ से जूस इत्यादि भी मिला ।
फ्लोरिडा के पास ही नासा है । प्रकाश जी ने एक दिन सुबह ही मुझे वहां छोड़ दिया की शाम को आकर ले जाएंगे । नासा में मैने पूरा दिन बताया । उसका किस्सा अलग से ।
कांफ्रेंस के बाद हम लोग वापस अबर्न आ गए और रात में घर में बैठे बार कर रहे थे तो दो बाते हुई मैने पूछा की आप को 45
साल से ज्यादा हो गए आप ने क्या खोया क्या पाया ? उन्होंने अपना बहुत ज्यादा बड़ा वाला घर जैसा फिल्मों में दिखता है वो दिखा चुके थे ,दो और घर जो उससे छोटे थे और किराए पर उठे थे वो दिखा चुके थे और वहा ऐसा ही होता है की आदमी अपनी हैसियत के मुताबिक बड़ा घर लेता है और बच्चे अपने रास्ते अपने कैरियर के लिए निकलते जाते है तो घर छोटा करते जाते है तथा रिटायर लोग आमतौर पर बहुत छोटे घर में चले जाते है ऐसा घर भी जो वो ले रहे थे दिखाने ले गए थे ।अभी वाला घर भी बड़ा ही है और घर पिछवाड़े अपने प्लेटफार्म से उतरते ही गोल्फकोर्स है को खेलते रहते है । पीछे जो लकड़ी का प्लेटफार्म है उसपर बार्बे क्यू बना हुआ है पार्टियों के लिए और नीचे थोड़ा सा किचेन गार्डन है । खैर वो बोले की यहां बस काम और मेहनत से ही सर्वाइव किया जा सकता है और आगे बढ़ा जा सकता है । 5 दिन सुबह से शाम तक मेहनत करनी होती है यहां तक की भारत की तरह यहां काम का समय नहीं है शाम को भी यदि कोई छात्र को पूछता है तो रुकना होता है और रिसर्च के लिए भी । छुट्टी के दिन घर की सफाई , कपड़े धोना ,प्रेस करना सब खुद करना पड़ता है क्योंकि यहां नौकर अफोर्ड नही किया जा सकता है । बच्चो से भी कभी कभी ही मुलाकात होती है व्यस्तता के कारण । जीवन यही है । भारत की तरह अपनो और दोस्तो से गप मारने का कोई स्कोप नही है । यहां सब कुछ सिस्टेमेटिक है ,सब ऑनलाइन अपने आप हो जाता है ।किसी दफ्तर नही जाना ,कोई घूस नही मांगता , पुलिस या कोई परेशान नहीं करता और पूर्ण सुरक्षा है घर अगर जंगल के पास है और अकेला भी है तो कोई डर नही है । शीशे के दरवाजे है पर आप बंद कर कितने भी दिन के लिए चले जाइए । पॉल्यूशन नाम की चीज नही है ,पानी साफ है ,पुलिस मित्र की तरह है इत्यादि इत्यादि । पर कही मुझे उनके अंदर भारत की कसक दिखी जबकि वो अक्सर भारत आते रहते है ।
तभी मेरे अमरीका नही आ पाने का जिक्र छिड़ गया तो बोले की कोई बात नही आप की डेस्टिनी वही थी । ठीक है आप ने बहुत संघर्ष किया पर आज आपका भी वहा नाम है आज आप वहा राज्यमंत्री है ।
और अगले दिन उन्होंने अटलांटा एयरपोर्ट छोड़ दिया जहा से में न्यू यॉर्क चला गया । वहा मेरी पत्नी की भतीजी रहती है उसके पतिदेव मुझे लेने एयरपोर्ट आ गए । वही मेरा जन्मदिन मना और फिर अगले दिन से मैं न्यू यॉर्क के साइट सीन के साथ 5 दिन में टूर पर वॉशिंगटन डी सी , बोस्टन ,नियाग्रा फॉल्स इत्यादि चला गया । इसका किस्सा अलग से ।
मुझे सारे संघर्ष के बावजूद अमरीका पी एच डी करने नही जाने का कोई दुख नही है । राज नारायण जी की इच्छा का मैने मान रखा ।
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