गुरुवार, 6 अप्रैल 2023

अज्ञात से युद्ध ?



अज्ञात से युद्ध  ?

बम,मिसाइल ,गोलियां ,गोले 
और 
संगीन किसी को नहीं पहचानती है 
क्योंकि उनके दिल नही होता 
उनके दिमाग नही होता 
वो खुद से कुछ नही करती 
कोई और चलाता है इन्हे 
ये गुलाम है किसी दिमाग के 
ये गुलाम है किसी उंगली के 
पर इंसान चाहे किसी देश का हो 
चाहे कोई भाषा बोलता हो 
और 
चाहे जिस बिल्ले वाली वर्दी पहने हो 
उसके तो आंखे होती है 
दिल और दिमाग भी होता है 
फिर कैसे कहर बन टूट पड़ता है
दूसरे इंसान पर 
जिसे खुद जानता भी नहीं 
जिससे उसकी दुश्मनी भी नही ?
फिर कैसे चलनी कर देता है उसे 
कैसे घोप देता है संगीन 
या उड़ा देता है बम से
बिना विचलित हुए 
क्या नही दिखता सामने उसे 
अपना भाई या बेटा 
नही कर पाता है कल्पना 
एक उजड़े घर की 
एक विधवा पत्नी , टूटे मां बाप
और अनाथ बच्चों की
चाहे सामने वालो के हो 
या ख़ुद के 
कैसे इतना बेदर्द और क्रूर हो जाता है 
कोई भी हाड़ मांस का जीवित इंसान ? 
युद्ध में कोई नहीं जीतता 
सब केवल हारते है 
और बर्बाद हो जाते है मुल्क 
उससे ज्यादा इंसानियत
युद्ध जमीन पर नही 
औरत की  देह 
और 
बच्चो के जीवन पर लड़ा जाता है 
और अंत में खत्म हो जाता है युद्ध 
एक मेज पर चाय के साथ वार्ता से 
तो पहले ही क्यों न 
रख दी जाए ये मेज और चाय 
इंसान की मौत और युद्ध के बीच में ।
आइए मेज पर बात करे हर दिन हर वक्त ।