समाज हो या सरकार, आगे तभी बढ़ सकते हैं, जब उनके पास सपने हों, वे सिद्धांतों कि कसौटी पर कसे हुए हो और उन सपनों को यथार्थ में बदलने का संकल्प हो| आजकल सपने रहे नहीं, सिद्धांतों से लगता है किसी का मतलब नहीं, फिर संकल्प कहाँ होगा ? चारों तरफ विश्वास का संकट दिखाई पड़ रहा है| ऐसे में आइये एक अभियान छेड़ें और लोगों को बताएं कि सपने बोलते हैं, सिद्धांत तौलते हैं और संकल्प राह खोलते हैं| हम झुकेंगे नहीं, रुकेंगे नहीं और कहेंगे, विजयी विश्व तिरंगा प्यारा, झंडा ऊँचा रहे हमारा|
शनिवार, 25 फ़रवरी 2023
उक्रेन_का_सबक
आत्मा_तो_मत_बेचो
गुरुवार, 23 फ़रवरी 2023
आइए रंगो से बात करे रंगो की बात करे
बुधवार, 22 फ़रवरी 2023
इति कथा सम्पन्नम |
रविवार, 19 फ़रवरी 2023
दुनिया में युद्ध क्यों और हथियार क्यों ?
बुधवार, 15 फ़रवरी 2023
रस्सियों से बंधे पशु और धागों तथा अंधविश्वासों से बंधे मनुष्य में अंतर ही क्या है ?
गांय भैंस बैल ही नही हाथी भी ऐसी रस्सी से बांध दिया जाता है को वो थोड़ी सी कोशिश से तोड़ सकते है
वही रस्सी पकड़ कर पालने वाले का छोटा बच्चा भी किधर भी घुमा लाता है
ऐसे ही इंसानों में भी तमाम स्त्री पुरुष युवा और बच्चे भी बांध दिए गए है रंग बिरंगी रस्सियों से हाथो में और गर्दनों में और उसके गुलाम बना दिए है । बच्चो को छोड़ दे तो बाकी सब तोड़ सकते है इस अंधविश्वास की रस्सियों को पर
ऐसी अज्ञात भय और लालच के शिकार है बड़ी संख्या में लोग सभी धर्मो के
और जानवर पालने वाले के बचे की तरह ये भी हांके जाते रहते है किधर भी इन अंधविश्वास की रस्सियों और मान्यताओं के सहारे तमाम कमजोर पाखंडी अज्ञानियो द्वारा ।
पता नही कब मुक्त होगा मनुष्य इन सबसे ।
#मैं_भी_सोचूँ_तू_भी_सोच
मंगलवार, 14 फ़रवरी 2023
धर्म_पूजा_देवत्व_स्वर्ग_और_नर्क_या_मात्र_ढकोसला
#धर्म_पूजा_देवत्व_स्वर्ग_और_नर्क_या_मात्र_ढकोसला
काफी लोगो को देखता हूं कि ढोंगियों के द्वारा थोपी किताबे घंटे भर से ज्यादा रोज पढ़ते है और गाते है और कई तथाकथित देवी देवो की स्तुति करते है
और उठते ही चीख चिल्ला रहे होते हैं। सालो से पूजा कर रहे है पर खुद का मन दिमाग और जुबान अशांत है ।
काफी लोग पूजा के नाम पर सारे कर्म करते है और फिर सारे बुरे काम भी हा सारे ही पूरी शिद्दत से करते हैं लेकिन साल में दो चार बार किसी नामी धार्मिक स्थल पर घूम आते है और किसी खास नदी में किसी खास तट पर डुबकी मार कर पाप धो आते है ।
कितना आसान बना दिया है धर्म के ठेकेदारों ने की पापो की सजा आप पर छोड़ दिया है ,डुबकी , कथा ,पूजा , दान और फूल बंगला आप खुद तय कर अगर कोई भगवान है तो उसे छल सकते हो
या पता नही खुद को ,समाज को और मानवता को ही छलते रहते है जजमान और ठेकेदार मिलकर ।
वरना तो पढ़ा था की ईश्वर को ढूढने लोग सब कुछ छोड़कर हिमालय की कंदराओं में चले जाते थे और लौट कर आते ही नही थे ।
पता नही उनमें से किसी को भी भगवान मिले या नही । किसी ने लौट कर बताया नही । पौराणिक कथाओं में भगवानों और देवो के किस्से जरूर मिलते है पर जरा आस्था किनारे रख कर समीक्षा की जाए तो वो सब भी तमाम इंसानी अच्छाइयों और बुराइयों वाले इंसान ही नजर आते है ,सारी कमजोरियों वाले इंसान और उनकी लड़ाइयों और श्राप जलन धोखे इत्यादि की समीक्षा करिए ना आप को आज के आसपास होने वाले दृश्य ही नजर आएंगी। बाकी किसी भी कहानी उपन्यास और सिनेमा की पटकथा लिखते या रचते हुए हीरो में कुछ अस्वाभाविक शक्तियां और गुण दिखाने ही पड़ते है और उसे महान दिखाने के लिए विरोध में गढ़े गए खलनायक में उतने ही अवगुण भी ।
सच में पूजा करने वाले को तो बिल्कुल शांतचित्त हो जाना चाहिए ,निर्विकार , सुख दुख से ऊपर , लोभ लालच से ऊपर , दुनियादारी से ऊपर और स्वयं अच्छा बन कर समाज को बुराइयों से दूर करने के लिए समर्पित ,सभी तरह की बुराइयों से । इंसान को आदर्श इंसान बना देने का नाम ही धर्म है और वही धारण करने योग्य है और सचमुच का हर बुराई से मुक्त बन जाने की अवस्था की देवत्व है और इसको पा लेना ही स्वर्ग को पा लेना है और बाकी सभी अवस्थाएं ही नर्क में जीना और ऐसे कर्म ही नर्क को रचना है ।
आज सुबह के चिंतन से ।
#मैं_भी_सोचूँ_तू_भी_सोच