#जिंदगी_के_झरोखे_से
1991/ 1992 की बात है, हम बुरी तरह हार गए थे जिसके बारे में मैंने पहले ही इशारा कर दिया ।1991 के चुनाव मे मै प्रदेश कार्यालय मे बैठता था और चुनाव का काम भी देख रहा था ,बीच मे प्रचार के लिए या अन्य कामो के लिए भी चला जाता था ।
इसी मे ऐसा भी हुआ की सुब्रमण्यम स्वामी चंद्रशेखर जी की सरकार के मह्त्वपूर्ण मंत्री थे ।(ये किस्सा बाद मे लिखूंगा ) ।
सत्ता मे मुझसे कभी न मिले मुलायम सिंह यादव को सत्ता के आखिरी महीने मे मैं याद आ गया और मैं पार्टी का प्रदेश महामंत्री और प्रवक्ता बना दिया गया और ओर प्रदेश के चुनाव के काम लायक भी समझा गया ।चुनाव की हार के बाद आगरा मंडल का विशेस रूप से प्रभारी भी बना दिया गया पर जिम्मेदारी हर जगह पहुचने और अच्छा मीडिया कवरेज करवाने की होती थी दिल्ली मे ,प्रदेश मे और देश मे कही भी मद्रास से देहरादूण तक और मुलायम सिंह यादव जी के साथ पूरे प्रदेश और देश के बहुत से प्रदेश के दौरे पर भी रहना होता था और दिल्ली मे भी प्रेस के अलावा कुछ और काम सम्हालता था ।
मुलायम सिंह जी को जब दिल्ली आना होता था तो मुझे पहले ही दिल्ली पहुच कर यू पी भवन मे रुक कर कुछ इन्तजाम करने होते थे जिसमे पहले सम्राट होटल और फिर बाद मे अशोका होटल का सुईट बुक करना , एन एस जी जो चन्द्रशेखर जी ने पी एम पद से हटने से पहले दे दिया था ( क्यो और कैसे ये जाने देते है ) को खबर करना , उस समय सरकारी गाडी नही मिलती थी इसलिए आर के पुरम के सरदार जी से तीन अच्छी टैक्सी के बारे मे बोलना और जहाज के समय एयरपोर्ट जाकर उन्हे लाना और फिर जब तक दिल्ली मे हो साथ रहना ,लोगो से मिलवाना तथा वापसी पर एयरपोर्ट छोड़ने के बाद वापस घर जाना ।
डिटेल मे सब लिखना विश्वास भंग की श्रेणी मे आता है इसलिए वो मेरे बाद छपने वाली आत्मकथा या अनटोल्ड स्टोरीस ऑफ इंडियन पोलटिक्स के लिए छोड़ता हूँ ।
ये किस्सा तब का है जब सम्राट छोड दिया था और अशोका होटल मे मुलायम सिंह जी रुकने लगे थे । दो कमरे वाला सुईट होता था जिसमे बाहरी ड्राइंग रूम में मे मैं बैठता था और दूसरे कमरे मे वो और एक अन्य साथी भी जो मुलायम सिंह के दिखाने को बड़े विश्वासपात्र थे जिसका कारण मैं आज तक नही समझ पाया ।कम उम्र के थे बंगाली थे । पर बहुत ही पावरफुल थे ।मेरे सामने ही मुलायम सिंह का उनको दिन भर मे कई बार फ़ोन आता था चाहे सत्ता रही हो या उसके बाद और वो अंदर जाकर बात करते थे ।
वो भी हमेशा होते थे दिल्ली आने पर साथ ही और अंदर होते थे 90% सिवाय जब खाना खाना या चाय पीना होता था तब हम सब साथ बाहर के कमरे मे बैठते थे ।
वो सज्जन कितने पावर फुल थे की दिल्ली के
कैलाश हिल्स जैसी जगह जगह जहा बहुत ही बड़े लोग रहते है उन्होने 3 या 4मंजिल की बहुत ही भव्य कोठी बना ली थी और सत्ता के दौरान उत्तर प्रदेश के काफी सुरक्षा कर्मी उनके यहा ड्यूटी करते थे खैर उनको पद भी दिया गया था जिसका दर्जा संभवतः चीफ सेक्रेटरी के बराबर कर दिया गया था । और काफी संपन्न होने के बाद एक दिन अचानक कैलाश हाइट्स की कोठी बेच कर वो सम्भवतः न्यूजीलैंड चले गए परिवार के साथ या कही और पता नही पर सुना यही था ।
उनपर विस्तार से बाद मे लिखूंगा ।
अभी बस एक घटना तक सीमित करता हूँ ।
एक दिन की बात है मुलायम सिंह यादव जी अशोका होटल मे रुके थे और हा इन दोनो होटलो के सारे बिल पर हस्ताक्षर मुझे करने होते थे किसी के बिहाफ पर जो देश के बहुत बड़े सेठ है ।
उस दिन मुलायम सिंह से कोई बहुत ही खास मिलने आने वाला था ।सारे फ़ोन पहले मैं ही उठाता था इसलिए उन्होने मुझसे कहा की फला मिलने आयेंगे उनको सीधे बाहर से मेरे वाले कमरे मे पहुचा दीजियेगा और फिर चाहे जिसका फ़ोन आये मना कर दीजियेगा की मैं कही जरूरी काम से गया हूँ और कह गया हूँ की शाम को आऊँगा । मैने पूछा भी की अगर फला फला का फ़ोन आया तो ?
तो बोले की कहा न की किसी का भी तो किसी का भी ।
कुछ समय हुआ और पहले चौ हरमोहन सिंह का फ़ोन आया ,फिर उदय प्रताप सिंह का , फिर ईशदत्त यादव का और इसी तरह अन्त मे राम गोपाल यादव का ।
मैने सबको वही जवाब दे दिया । पर चूँकि दिल्ली मे भी मैं हर जगह साथ जाता था तो लगता है इन लोगो को शक हो गया और ये लोग एक ही जगह बैठे थे ।एक साथ अशोका होटल आ गये । मेरी साइड का दरवाज खुला रहता था तो सब अंदर आ गए और मुझे काटो तो खून नही क्योकी मैं झूठ नही बोलता पर यहा नेता के आदेश का पालन कर रहा था । इन लोगो को तो होटल से बाहर ही पता लग गया था की मुलायम सिंह अंदर ही है क्योकी ब्लैक कैट कमांडो और गाडी बाहर पोर्च मे मौजूद थी । इन सबकी आंखो से लगता था की मुझे भस्म कर देगे । मैने अंदर जाकर बता दिया की ये लोग मना करने पर आ गए है ।
थोडी देर मे जो आये थे दूसरे कमरे के दरवाजे से सीधे बाहर निकल गए तो मैं फिर अंदर गया और मैने कहा की एक आप के भाई है और बाकी भी सब सांसद अब ये सब मुझे दुश्मन मांन लेंगे तो मुलायम सिंह बोले की चिंता मत करो ये सब मेरी वजह से है ।
आगे लिखने की जरूरत नही की राम गोपाल सहित सभी ने मेरे बारे मे क्या विचार बनाया होगा और फिर क्या किया होगा
पर अफसोस की मुलायम सिंह ने कभी ये साफ नही किया की उन्होने मना किया था और न कभी रामगोपाल के प्रकोप से कभी बचाया जो पीठ पीछे ही होता रहा घातक तरीके से ,बल्की उनका नाम लेकर ही मेरा अहित करते रहे की उससे बात करो की क्यो नाराज है ।
जैसे मैं बच्चा हूँ या मन्द बुद्धि हूँ ।
यह नीचे की फोटो नैनीताल मे आयोजित प्रदेश कार्यकारिणी की बैठक के समय की है ।
इसपर भी लिखूंगा ।
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