#यादो_के_झरोखे_से
जब #मुलायम_सिंह यादव जी और #मैं_दोनो_डर_के_मारे बिला वजह #हंस और #बोल रहे थे -
1991/92 का किस्सा है उत्तर प्रदेश पार्टी की प्रदेश कार्यकारणी की बैठक थी नैनीताल मे । फिल्मकार मुजफ्फर अली जो समाजवादी पार्टी के उम्मीदवार भी रह चुके है लखनऊ से उनका नैनीताल झील के पास पार्किंग से ऊपर सामने जा रहे रास्ते से चढ़ कर बहुत ही खूबसूरत बंगला है । मुजफ्फर अली ने पूरी कार्यकारिणी को अपने घर रात्रि भोज पर आमंत्रित किया था ।
हम लोग उत्तर प्रदेश भवन से नीचे उतर कर पार्किंग स्थल पर पहुचे और वही सामने ऊपर जा रहे रास्ते पर जाना था । वहा पार्किंग मे लोगो ने ऊपर चढ़ने के लिए घोड़े से चलने को कहा पर सारे लोगो ने घोड़े पर बैठने से मना कर दिया की ज्यादा दूर नही है पैदल ही चलेंगे ,पर मुलायम सिंह जी घोड़े पर बैठ गए और दूसरे घोड़े पर मैं भी । थोडी देर पहले ही बारिश हुई थी और सड़क भीगी हुई भी थी बल्की ऊपर से नीचे की तरफ पानी बह रहा था ।
पहाडी घोड़े पता नही क्यो खाई वाली तरफ के किनारे पर चलते है आज तक नही जान पाया और पूछ भी नही पाया ,अब पता लगाऊंगा ।
खैर हमारे घोड़े भी खाई के बिल्कुल किनारे पर चलने लगे और बाकी लोग पैदल । बिल्कुल किनारे पर चलते घोड़े पर हम दोनो की हालत खराब हो रही थी पर बीच मे उतर भी नही सकते थे ,समझा जा सकता है कारण और कुछ कह भी नही पा रहे थे तो दोनो ध्यान बटाने और डर पर काबू पाने के लिए कुछ बिला वजह बात करने लगे जोर जोर से बोल कर और उसी के साथ जोर से हंसने लगते
और बाकी पैदल चलने वाले बिना जाने हमारी हालत और बाते यूँ ही हंसी मे साथ दे रहे थे ।
खैर किसी तरह मुजफ्फर अली का घर आ गया और उतरने का मौका मिला तो जान मे जान आई ।
मुलायम सिंह जी ने धीरे से पूछा सी पी राय डर लग रहा था न कि घोडा कही खाई की तरफ पैर फिसल गया तो ।
मैने कहा हा तभी तो हंस रहे थे और उनसे पूछा आप को ? जवाब वही था ।उतरते वक्त रकाबी मे फंस कर मेरे पजामे का नीचे पायचे का हिस्सा फट गया था ।
पर
उसके बाद आनंद ही आनंद था । बढिया संस्कृतिक कार्यक्रम और बहुत ही दिव्य भोजन ।
और
वापसी मे घोड़े पर बैठने की गलती हम दोनो ने नही किया कि खाने के बाद टहलना चाहिये ।
हा हा हा हा हा हा हा ।
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