रविवार, 19 अप्रैल 2020

झरना या जल प्रपात या फाल भी कुछ कहते है

कितना ख़ूबसूरत लगता है दूर से देख कर ये झरना पर इसके साथ कही ऊपर से गिर पड़े या नीचे गलती से इसके चपेट में आ गए तो बहुत बदसूरत बना देता हैं ये  । 
ख़ैर मारिशस की यात्रा की याद का एक खूबसूरत दृश्य हैं ये झरना । ये गिरता हुआ कितना ख़ूबसूरत लगता है और कही उसी समय सूर्य उसके सामने हो तो क्या इंद्रधनुषी दृश्य बनता हैं झरने में ।
जेटी इसके सामने जाकर रुक गयी की आप इसकी फ़ोटो या इसके साथ सेल्फ़ी ले सके । मैंने सेल्फ़ी के बजाय ले लिया यह फ़ोटो और फिर जब तक वहाँ रहा निहारता रहा इसको । 
कि 
क्या अपने स्रोत से यूँ गिर पड़ना इसकी मजबूरी है या इसकी ख़ुशी या बस लोगों को ख़ुश करने को गिर पडटा है ये कही भी जहां जगह मिल जाती है । या विस्तार पाने को गिरता है ये जैसे मौरिशस वाला और समुद्र बन जाता है । कभी गिरता है कही और वही से शुरू हो जाती है उसकी शव यात्रा । पर समुद्र में गिरने वाले झरने फिर किसी काम भी तो नहीं आते है और खो देते है वही से अपना नाम और अपना स्वाद । मैं शायद झरने के बजाय उसने गिरने वाले पानी पर भटक गया ।
पर झरना कोई भी हो छोटा या बड़ा नियाग्रा की तरह डरावना या मारिशस की तरह थोड़ा मंथर थोड़ा शांत या मसूरी की तरह दोस्त दोस्त सा जिसके नीचे लोग अठखेलियाँ करते है , ख़ासकर नए जोड़े और नौजवान । 
मुझे लगा ये झरना संदेश भी देता है कि कुछ तो ऐसा करो की कभी और कही तो जाकर जीवन में सबको अच्छे लगो , कुछ तो करो की लोग तुम्हारी तरफ़ देखे । देखो मैं गिरता हूँ तो मुझे चोट भी लगती है और मेरी चीत्कार सुनते होगे सब लोग पर मुझे तो बस अच्छा लगता है और जीवन बन निरंतर बहते रहना है उसी का एक पड़ाव ये गिरना भी है । लेकिन तुम मनुष्य लोग कैसे कैसे गिरते हो की ख़ुद की ही आँखो से गिर जाते हो ।
अरे गिरना भी है तो गिरो मेरी तरह और सबको अपनी तरफ़ आकर्षित कर लो सबका माँ मोह लो । गिरो तो ऐसे गिरो जैसे किसी के लिए गिरता हैं आँख से आंसू , गिरो तो ऐसे गिरो जैसे गिरती हैं कोई बूँद और बन जाती हैं मोती । ऐसा भी क्या गिरना जैसा तुम लोग रोज़ गिरते हो । ऐसा भी क्या गिरना की सबकी नज़रों से ही गिर जाओ ।