ज़िंदगी_के_झरोखे_से
कल #दिल्ली में तीस जनवरी मार्ग पर #गांधी_स्मृति में काफ़ी समय बिताया मैंने ।इसी जगह उस महात्मा गांधी की जिसका पूरा अंग्रेज साम्राज्य कुछ नही बिगाड़ पाया और बापू के कारण उसे भारत छोड़कर भागना पड़ा उसी महात्मा की अंग्रेजो को भगाने के ग़ुस्से में भारत के पहले आतंकवादी गोडसे ने उन्ही अंग्रेजो कि पिस्तौल से उनकी गोली से हत्या कर दिया था ।
बापू तो यहाँ छोटे से कमरे में रहते थे और मानवता को प्रेरित करने को भजन कीर्तन करते थे पर अंग्रेजो को भगाना उनके वफ़ादारो को बहुत बुरा लग गया था और मिटा दिया एक कृषकाय शरीर को ये अलग बात है की बापू दुनिया के क्षितिज पर छा गए ।
कल उस बापू से मिलने वो कनाडा का परिवार आया था जो इतिहास और राजनीति से मतलब नही रखता बल्कि कनाडा में आइ टी के क्षेत्र में काम करता है । गुजरात का परिवार मिला जो गांधी जी को गुजरात नही बल्कि मानवता की पहचान और एकमात्र उम्मीद मानता है । दक्षिण भारत के तमाम परिवार आए थे ।उत्तर भारत के लोग कम दिखे ।जब पता लगाया तो पता लगा की कोविद से पहले रोज़ हज़ारों लोग आते थे पर अब भी ५००/६०० लोग रोज़ आते है उसमें विदेशी होते है और दक्षिण भारत तथा नार्थ ईस्ट के ज़्यादा लोग होते है , उत्तर भारत के लोग कम होते है । वैसे भी बापू के हत्यारों की विचारधारा ने पैर भी उत्तर भारत में ही ज़्यादा फैलाया है अभी तक तो उसका असर हो सकता है या सामान्य तौर पर भी दक्षिण भारत और गुजरात इत्यादि के ही ज़्यादा लोग पर्यटन करते है विदेशियों के साथ वो कारण हो सकता है ।
पर एक कोने में एक लड़का और लड़की आपस में डायलाग की प्रैक्टिस कर रहे थे उन्ही से आग्रह कर मैंने फ़ोटो खिचवाया । आगे हाल की तरफ़ गया तो पूरा दिल्ली का एक ग्रुप रिहर्सल कर रहा था । उन लोगों से बात करने लगा मैं और कुछ डायलोग भी सुनाने का आग्रह किया ।ये जानना भारत की जनता के लिए बहुत सुखद हो सकता है कि ये दिल्ली के आधुनिक नौजवान थे जो नेता जी सुभाषचंद्र बोस पर आगामी २३/२४ तारीख़ को मंडी हाउस के सभागार में नाटक करने वाले है और नेता जी के नाटक के रिहर्सल के लिए इन नौजवानों को सबसे अच्छा स्थान बापू का वो घर लगा जहाँ बापू शहीद हुए थे ।
एक अंग्रेज अपने बहुत आधुनिक कैमरे से (वही जो साठ के दशक में मोदी जी के पास था ) बापू से जुड़ी एक एक तस्वीर खींच रहा था जो शायद उसके देश के लिए ज़्यादा महत्वपूर्ण होगी ।
बापू की शहादत और इस बार उपजे अपने भावो पर अलग से लिखूँगा लेकिन कल मन में आया की अपनी सबसे अच्छी दोस्त इशानवी जी को लेकर मुझे यहाँ आना चाहिए और अपने तरीक़े से उन्हें गांधी कथा सुनाना चाहिए तो शायद एक दो दिन में उन्हें लेकर फिर वहाँ जाऊँगा
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