#जिन्दगी_झरोखे_से -----
जब आगरा विश्वविद्यालय के दीक्षांत समारोह 1978 में उप प्रधानमंत्री बाबू जगजीवन राम से चार प्रथम पुरष्कार और तीन ट्राफियां मिली थी मुझे ।वाद विवाद प्रतियोगिता ,वाक् प्रतियोगिता ,सेमिनार और निबन्ध प्रतियोगिता प्रतियोगिताओ में मिले थे ये ।
नाम पुकारा जाता ,मैं मन्च पर जाता और वापस कुर्सी तक पहुचने को होता की फिर नाम पुकार दिया जाता । समय थोडा इसलिए लगता था के मेरे बाद द्वितीय और तृतीय पुरस्कार पाने वाले जाते , फिर ट्राफी के लिए नाम पुकारा जाता । वो लेकर मुड़ते ही थे की फिर अगली प्रतियोगिता के लिए नाम पुकार लिया जाता । कुल 7 बार मंच पर जाना निश्चित ही खुद के लिए तो सुखद गौरव का पल होता ही है , माता पिता ,परिवार और अपने महाविद्यालय के लिए भी और उसपर पूरे पंडाल से आप के लिए लगातार तालियो की गड़गड़ाहट जो उतने समय तक लगातार गूंज रही हो तो सीना भी चौडा हो जाना स्वाभविक होता है और आगे और बेहतर करने के लिए ऊर्जा मिलना भी ।
उप प्रधान-मंत्री के चेहरा फोटो मे साफ नही है वर्ना समझा जा सकता था की उनकी क्या प्रतिक्रिया थी ।
पर ये क्रम तो थोडा कम या ज्यादा कई साल चला दीक्षांत समारोह में और हर बार राज्यपाल या किसी ऐसे ही प्रमुख का आशीर्वाद मिलता रहा और गुरूजनो का तथा परिवार का भी ।
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