गुरुवार, 11 मई 2017

अर्थ का अनर्थ

भाषा कितनी ताकतवर होती है और कैसे कोई एक शब्द अर्थ का अनर्थ कर देता है ।
ये समझने के लिए एक बहुत छोटी सी कहानी -
एक आदमी कही जा रहा था और रात देर हो गयी और रास्ता भी भटक गया तो सोचा को रास्ते मे पड़ने वाले गाँव मे किसी के यहाँ शरण ले लेगा और सुबह रास्ता पूछ कर निकाल जाएगा ।
एक गांव आया । उसने कुंडी खटखटाया । दरवाजा खुला तो अजनबी को देख हैरान घर वाले ने उसकी तरफ उत्सुकता से देखा और कुंडी खटखटाने का कारण पूछा
यात्री बोला कि देर हो गयी है और वो रास्ता भटक गया है । रात में शरण मिल जाये तो वो आभारी होगा और रात गुजार कर सुबह होने पर निकल जाएगा ।
घर के मालिक ने जवाब दिया कि
ये बहू बेटियो का घर है इसलिए आगे कोई घर देख ले ।
वो यात्री जो भी दरवाज़ा खटखटाता यही जवाब मिलता कि बहु बेटियो का घर है आगे देखो लो ।
गांव के अंतिम घर पर पहुच , दरवाज़ा खुला और घर का मालिक बाहर आया तो उसने दरवाज़ा खुलते ही घर के मालिक से पूछा -
आप के घर मे बहू बेटियां है क्या ?
घर के मालिक ने घूर कर उसे देखा और कहा , हा है क्यो पूछ रहे हो ।
यात्री बोला - रात गुजारनी है ।
अब समझ सकते है कि यात्री के साथ क्या हुआ होगा ।
शब्द इधर के उधर होते ही कितना अर्थ का अनर्थ कर देते है ।
इसलिए शब्दो से खेलना आता हो तभी खेलना चाहिए ।

मंगलवार, 9 मई 2017

विकास का रास्ता

क्या #विकास और उससे जुड़े #सभी #विभाग और #मन्त्रालय एक नही हो जाने चाहिए अगर फाइल घूमने से बचाना है और जवाबदेही तय करनी है ।
और ऐसे ही अन्य विभाग भी ।
नाम हो #इंफ्रास्ट्रक्चर #डेवलपमेंट #विभाग और मंत्रालय जिसमें जुड़े हुए सभी विभाग हो ।
चाहे विभाग के अंदर अलग अलग चीज का इंचार्ज अलग अलग हो एक मंत्री और एक विभागाध्यक्ष के अंदर ।
मेरी बात मान कर चमत्कार देखिये ।
@मोदीजी @योगीजी ।