सोमवार, 4 नवंबर 2024

चरण सिंह के साथ पहली रैली

#जिंदगी_झरोखे_से

#चौ_चरण_सिंह  के साथ पहली यादगार रैली 
 ---#1977 --लोकसभा का चुनाव प्रचार शुरू हो चुका था ।आपातकाल की कैद में 19 महीने से घुट रही जनता सड़क पर निकल चुकी थी थी ।जनता पार्टी घोषित हो चुकी थी पर अधिकतर नेता जेल में ही थे तो जनता खुद संगठन बन गयी थी । खुद लोग मंच माइक लगा कर जगह जगह सभाओं में बुलाने लगे ।
बड़े नेताओं को सभाएं तो मानो जनता का कुम्भ जुट गया हो ।कोई भी बड़ा से बड़ा मैदान छोटा पड़ने लगा । लाखो लोग खुद मैदान पर पहुचते और आर्थिक सहयोग भी देने को आतुर रहते थे ।
आगरा के रामलीला मैदान भी ऐसी ही कई लाखो वाली सभाओं का गवाह  बना । 
इसी में एक सभा थी जनता पार्टी  के सबसे बड़े जनाधार वाले नेता चौ चरण सिंह की । 
चौ साहब कार से ही पूरा दौरा करते थे । उस दिन कई घण्टे लेट चौ साहब लेट हो गए । जितने वक्ता थे कई कई बार बोल कर थक चुके थे और जनता हिल नही रही थी पर किया क्या जाए ।
मंच पर मैं भी मौजूद था । तभी जनसंघ से जुड़े वरिष्ठ नेता योगेंद्र सिंह चौहान जिनके पुत्र अब आगरा के एत्मादपुर से विधायक है ,की निगाह मुझ पर पड़ी ।  
छात्र नेता के साथ साथ अपनी ओज और व्यंग की कविताओं के लिए मेरा नाम आगरा में तब तो हो चुका था और चौहान साहब मेरी कविताएं सुन चुके थे कुछ कवि सम्मेलन में ।
उन्होंने भगवान शंकर रावत जो बाद में कई बार सांसद बने और उस दिन संचालन कर रहे थे उनके पास जाकर चौ साहब के आने तक मुझे कविताएं सुनाने के लिए बुलाने को कहा ।
मेरा नाम कविता सुनाने को पुकारा गया । लाखो की शोर करती और नारा लगाती भीड़ और 22 साल का मैं ।
मैंने कहा कि आप कविता सुनना चाहते है पंर आज देश को कविता चाहिए तो दिनकर के अंगार की चाहिये । आपातकाल के अंतिम संस्कार के मौके पर मेरे मुह से भी शायद अंगार ही निकलेगा ।
मैंने शुरू किया कि बस कुछ मिनट मेरी बात सुन ले फिर कविता भी सुनाऊंगा  । हा शहीदों के नाम सुनाऊंगा और आपातकाल भी ।
जनता चुप हो गयी ।
और शुरू हुआ भाषण --  
देश के असली मालिको वक्त बेड़िया तोड़ कर आज़ाद हो जाने का है ।सोचो क्या भोगा है पूरे मुल्क ने इन 19 महीनों में । - --- बस पता नही कहा से विचार आया मन मे -- ,
:इस देश मे दो माताएं हुई है । एक हुई थी पन्ना दाई जिसने दुश्मन के सामने अपने बेटे को राजा का बेटा बता दिया और अपने सामने अपने बेटे को कट जाने दिया और राजा के बेटे को बचा लिया क्योकि राजा ही प्रतीक था राज का , संप्रभुता का । 
और एक माता आज है जिसने अपने बेटे के लिए ---वाक्य पूरा किया लोगों ने -पूरी जनता बोली देश के लोगों को कटवा दिया ।
फिर बस शोर और नारे में डूब गया रामलीला मैदान और अगले 20 मिनट मुझे बस खड़े होकर उन नारो में भागीदारी होना पड़ा और उसके बाद पुनः शुरू हुआ भाषण फिर तभी रुका जब चौ चरण सिंह की गाड़ी मंच के बगल में आ गयी और उनके नारो के लिए लोग माइक पर आ गए और मैं चौ साहब के स्वागत के लिए उनकी गाड़ी के पास चला गया ।
( उस दिन की एक घटना पुनः लिखूंगा और चौ साहब के साथ दिल्ली की पहली मुलाकात का ब्यौरा पुनः लिखूंगा )

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें