रविवार, 28 अप्रैल 2013

अगर कोई व्यक्ति थोड़े से पैसो के लिए बार बार संसथान और नौकरी बदलता हो ,कोई दुकानदार या व्यापारी बार बार बार बात और भाव बदलता हो दिन में कई बार  ,कोई अफसर समय के साथ बार बार व्यवहार और आका बदलता हो और जनता सत्ता के साथ किसी के यहाँ जाने लगे हो उसे माला पहनने लगती हो और दूसरे को पहचानना बंद कर देती हो तो इन्हें क्या बदलू कहें ,सबका अलग अलग बताइए । इनका यह व्यव्हार नैतिकता की सीमा में गलत है या सही ?
मुख्यमंत्री अखिलेश यादव का बड़ा और कडा फैसला । अमरीका के सारे कार्यक्रम रद्द कर दिया कडा सन्देश । किसी हिंदुस्तानी का अपमान बर्दाश्त नहीं । केवल मुसलमान होने के कारण किसी का अपमान बर्दाश्त नहीं । अखिलेश यादव ने लोहिया वादी होने का धर्म निभाया । डॉ लोहिया भी मानव अधिकारों के बड़ी लड़ाइयाँ लड़ी थी । अखिलेश यादव से पहले किसी नेता ने इतना कद रुख अपना लिया होता तो डॉ ए पी जे कलाम ,शाहरुख़ खान ,मीरा शंकर ,जोर्ज फर्नांडीज का अपमान नहीं हुआ होता और आज भी उत्तर प्रदेश के मंत्री आज़म खान का अपमान नहीं होता ।
अखिलेश यादव ने सच्चे हिंदुस्तानी का धर्म निभाया ,बधाई अखिलेश ।
कई दिनों से देश में चर्चा है चीन के द्वारा भारत की जमीन पर कब्ज़ा करने के बारे में । पता नहीं तथकथित रास्ट्रवादी तत्त्व किस बिल में घुस गए है या फिर जमाखोरी ,मिलावट ,मुनाफाखोरी और कालाबाजारी से फुरसत ही नहीं मिली होगी ये जानने को और इसपर कुछ करने को ।
हिटलर को आदर्श मानने वाले लोग असहमति सुनने के आदी नहीं है और वे अपने को सब पर थोपना चाहते है । पर हिटलर के लिए भारत में कोई सम्भावना नहीं है ।
आप चीन ,पाकिस्तान ,बंगला देश ,म्यामार ,अफगानिस्तान ,श्रीलंका ,सभी जगह 20 / 30 किलोमीटर घुस जाओ । सभी देशो का बयांन आएगा की स्थानीय समस्या है और वे चुपचाप आप के स्वागत में तालियाँ बजायेंगे ।
अबकी बार कोई दिल्ली में या संसद में घुसा तो हमारे प्रधानमंत्री जी सैनिको को हटा देंगे औए वार्ताकारो को आगे कर देंगे क्योकि ये छोटा सा स्थानीय मुद्दा जो होगा ।ग्रेट पी एम् ।
कही ये कोई चुनावी ड्रामा तो नहीं ,ऐसा ही लगता है प्रधानमंत्री जी के बयांन से । हम आप तो सीमा पर जा नहीं सकते इसलिए असलियत भी नहीं मालूम । कही चुनाव के समय फायदा उठाने की कोई पटकथा तो नहीं लिखी जा रही है ????? और हम लोग जुट गए हैं राशन पानी लेकर ।

बुधवार, 24 अप्रैल 2013

चीन 1962 से हमारी हजारो वर्ग मील जमीन दबाये बैठा है । तिब्बत पर कब्ज़ा कर लिया ।डॉ लोहिया ने चीन के आक्रमण से काफी पहले ही देश और तत्कालीन प्रधानमंत्री नेहरू जी को चेतावनी दिया था की चीन के झांसे में न आये वो आक्रमण करेगा ,फिर भी सरकर हिंदी चीनी भाई भाई के नारे में उलझी रही ।पिचले आठ साल से मुलायम सिंह यादव भी लगातार चीन से चौकन्ना रहने की बात कर रहे है पर वो जब चाहे जहा पहुच जाता है और सरकार सोती रहती है । चीन पाकिस्तान तक सड़क और हमारे सागर में अड्डे बना रहा है । अरुणाचल सहित हमारे कई हिस्सों को अपना बताता है । अब 10 किलोमीटर घुस आया और कह रहा है की वापस नहीं जायेगा । कैलाश मानसरोवर उसक कब्जे में है । क्या करना चाहिए । क्या वो शक्तियां जो देश के अन्दर धर्मस्थलो के लिए लड़ाई करवाती है ,क्या वे वैसा ही माहौल पाकिस्तान में मौजूद ननकाना साहब और चीन में मौजूद कैलाश मानसरोवर पर कब्ज़ा करने के लिए बनाने को तैयार है ।
अगर हाँ तो मैं विश्वास दिलाता हूँ की पूरा देश जिसमे हिन्दू, मुस्लिम , सिख, इसाई सभी होंगे इसमें साथ होंगे पर आप बहादुर लोग आगे तो बढ़ो एक बार हिम्मत कर के ।
ये तो अलग लोगो के लिए अलग शिक्षा और जनता के लिए चिंतन का विषय दिया था मैंने पर सचमुच देश के जागरूक लोग क्या बता सकते है की देश को क्या करना चाहिए ??? क्या देश की सरकारों ने इस विषय पर गंभीर रुख नहीं अपनाया बल्कि कम चलाऊ बयानों से और कागजी विरोध प्रदर्शन से ही काम चलाया है आज तक ? क्या अब की बार भी असफल रहने पर केंद्र सरकार और कोंग्रेस को देश को माफ़ करना चाहिए ?
विषय गंभीर है इसलिए देखता हूँ की कितने लोग और क्या कहते है ?

रविवार, 21 अप्रैल 2013

मन को मार कर ,दिमाग को दबा कर ,आत्मा को नकार कर कोई फैसला लेना कितना दुखदाई और क्रूर होता है । ये आप को कई साल बूढा बना देता है । आप को मन से इतना बीमार कर देता है की फिर तन हमेशा ही बीमार रहता है और फिर आप जी नहीं बल्कि घसीट रहे होते है जीवन को अपने कर्तव्यों के लिए । कुछ भी तो नहीं बचता है, हंसने ,मुस्कराने को । क्या ऐसी किसी की कथा को आप जान पाते है उसके अभिनय के पीछे भी ।

शुक्रवार, 19 अप्रैल 2013

ये वही मुशर्रफ है क्या जिसने तमंचे देकर कुछ छोकरे कारगिल और संसद में भेजे थे ,जिसने आगरा आकर केवल बकवास किया था ,अभी बोला था कारगिल पर गर्व होना चाहिए । अरे ये तो बिल्ली बन कर म्याऊं म्याऊं कर रहा है । वैसे इसकी गर्दन की नाप इसके साथियों ने अभी तक ली या नहीं । बात करते है !जैसी नीव पर ईमारत बनती है फिर वैसी ही रहती है हिलती डुलती । वो तो हम धक्का नहीं मारते वर्ना तो ---------???????????
अपने साथियों को बांध कर उनकी लगाम पकडे रहने वाली ,अपने कर्मो के कारण दहशत में जीने वाली ,दिन रात केवल नोट गिनने वाली ,चारा डाल डाल कर लोगो को भाई बनाने वाली एक दौलत की बेटी को आज अपना कल बहुत जोर से याद आया और बहक गयी । है कोई डाक्टर इसके लिए ? ये कौन है ? अरे ये मिशन के लिए काम करने वाले की बेटी जैसी पर उसके विपरीत आचरण करने वाली । अभी नहीं समझे तो जाओ मैं नहीं बताता ।

गुरुवार, 18 अप्रैल 2013

समाज और देश में एक सन्नाटा सा क्यों है ? किसी तूफ़ान की आहट तो नहीं ? फिर बदल ही जाओ वो सब लोगो जिनके खिलाफ तूफ़ान अन्दर अन्दर उफान ले रहा है । क्या ख्याल है सब दोस्तों का ?
मायावती ब्राह्मण ब्राह्मण खेल रही है ,है और कोई इस खेल का खिलाडी ?
इंसानों में क्या कोई ईश्वर हो सकता है ? अगर कुछ लोगो को या किसी इन्सान को ये ग़लतफ़हमी हो जाये की वो ही भगवान है तो क्या किया जाये ?
राजनीती में और धर्म के कुछ व्यापारी अपने को भगवान समझ बैठे है ।

बुधवार, 17 अप्रैल 2013

नदियों की सफाई के लिए उत्तर प्रदेश के सिचाई विभाग ने 6000 करोड़ रूपया जारी किया है । इसमें आगरा की यमुना नहीं है । जिस दिन जारी करने का बयां आया उसी दिन मैंने सिचाई के प्रमुख सचिव से बात किया । अब पत्र दे रहा हूँ की आगरा में ताजमहल से एक किलोमीटर पूर्व से कैलाश तक यमुना की भी सफाई करवाया जाये ।अंतररास्ट्रीय शहर है और जबरस्त पेय जल संकट से भी जूझ रहा है । यदि बरसात से पहले ही इतनी दूर की [ desalting ] सफाई हो जाये तो करीब 6 फुट तक जमा पोलिथिन इत्यादि साफ़ हो जाएगी । यमुना में इतनी बड़ी झील बन जाएगी और बरसात के बाद एक तरफ पेय जल संकट ख़त्म होगा ,दूसरी तरफ ताजमहल की सुरक्षा और खूबसूरती दोनों बढ़ेगी । तीसरा पानी को ताल मिलेगा तो वाटर लेबल बढेगा ,जीव जन्तुओ को जीने का माहौल मिलेगा । देखे क्या होता है । पर चुने हुए लोगो को फुर्सत ही नहीं है इन चीजो को जानने और इनके लिए प्रयास करने के लिए ।

मंगलवार, 9 अप्रैल 2013

आगरा में कल रात 12 बजे से आज इस वक्त तक कुल करीब 15 घंटे की बिजली कटौती हो चुकी है । इनवर्टर भी जवाब दे गए । मोमबत्ती और पेट्रोमेक्स घरो में रहे नहीं हाथ का पंखा भी नहीं कैसे सोयेंगे सभी । तीन साल पहले मायावती बिजली एक प्राइवेट कंपनी टोरेंट को दिया था । तब वादा किया गया था की एक साल बाद आगरा के लोग जेनरेटर ,इनवर्टर और स्तेब्लाइजर भूल जायेंगे । इस कंपनी को देने से पहले कभी दो घंटे से ज्यादा बिजली गयी नहीं और आगरा त्राहि त्राहि कर रहा है । उस सरकार के खिलाफ हमने भी कहा था की ये सरकार गयी तो टोरेंट गयी पर ---
हम उत्तर प्रदेश के लोगो को जो बिजली सामान्य हालत में करीब चार रुपये पड़ती है वाही बिजली हम टोरेंट को 1 रुपये और 80 पैसे में देते है । टोरेंट वही है 4 .450 रुपये में देता है । पीक टाइम में बिजली हमें 8 / 9 रुपये भी पड़ती है हम फिर भी टोरेंट को 1.80 में ही देते है । पर एक सीमा के बाद टोरेंट को बिजली 5.50 में मिलेगी । अतः वो बिजली काट कर अपना बिजली खर्च उस सीमा के नीचे ही रखता है ।
प्रदेश को इनसे केवल एक फायदा हुआ है की आगरा में नौकरी करने वाले सभी कर्मचारी और अधिकारी चले गए तो उनका खर्च बच गया ।बाकि हिसाब तो सरकार ही दे सकती है । पर जनता हमसे बहुत नाराज है ।
क्यों नाराज है ? क्योकि जब भी ये घंटो बिजली काटते है तो लोगो को बताने लगते है की बिजली लखनऊ से सरकार काट रही है ।
हम हजरों करोड़ की सब्सिडी देते है ,कर्ज माफ़ करते है ,और तमाम चीजे बाँटते है तो ये छोटी से रकम क्या मायने रखती है ?
आगरा बहुत परेशांन है ।सर्वॊच्च नयायालय के आदेश के विपरीत सभी जेनरेटर खरीदने लगे है ,मैं भी सोच रहा हूँ की जेनरेटर तो नहीं खरीद सकता तो ,हाथ का पंखा और पेट्रोमेक्स और मोमबत्ती के पैकेट तो खरीद ही लू । चलिए पुराने युग की तरफ क्योकि एक मल्टीनेशनल कंपनी का राज आ गया है ।

गुरुवार, 4 अप्रैल 2013

सोच रहा हूँ की अब अन्धो के शहर में चश्मे और गंजो के शहर में कंघियाँ बाटना बंद कर दूँ ।
 आगरा के  विकास  के लिए मैंने लिए मैंने एक प्रस्ताव मुख्यमंत्री जी को दिया है । इसमें आग्रह किया है की आगरा से टुंडला मार्ग ,फतेहाबाद मार्ग ,आगरा से लखनऊ जाने वाला नया एक्सप्रेस वे ,और टुंडला स्टेशन के चार कोण मन कर आगरा विशेष आर्थिक परिक्षेत्र बनाया जाये । इसमें नॉएडा एक्सप्रेस वे के सामने का हिस्सा सोफ्टवेयर कंपनियों को दिया जाये ,एक हिस्से में स्कूल ,कालेज ,मेडिकल कालेज और विश्वविद्यालय ,स्टेडियम इत्यादि को दिया जाये ,बीच का हिस्सा व्यापारिक हो जिसमे होटल इत्यादि भी हो और बाकि सब आवासीय हो । टुंडला स्टेशन का एक नंबर प्लेटफोर्म मुख्य हो जाये तथा वह तक आगरा से इसी क्षेत्र के बीच से रोड निकला जाये और पूरा विकास नॉएडा या चंडीगढ़ की तरह किया जाये । चूँकि इस क्षेत्र का बड़ा भाग खादर है इसलिए उसका विकास भी हो जायेगा । जरूरी ये है की इसका फैसला हो और एक अथोरिटी बना दी जाये । सरकार पर कोई बोझ नहीं होगा क्यों जो जमीन बिकेगी उससे विकास के बाद भी पैसा बच जायेगा ।
नॉएडा और दिल्ली तथा गुडगाँव में लोगो को आने जाने में दो से तीन घंटे लग जाते है पर एक्सप्रेस वे से डेढ़ घंटे में लोग यहाँ पहुँच जायेंगे । आगरा अंतररास्ट्रीय शहर है .लोगो के आकर्षण का केंद्र है । यहाँ का रोजगार फाउंड्री के जाने के साथ चला गया था । अगर ये हो जाता है तो सीधे करीब डेढ़ से दो लाख रोजगार मिलेगा पर अप्रत्यक्ष रूप से पूरे शहर और जिले को ही नहीं बल्कि आसपास के कई जिलो को लाभ मिलेगा ।
यदि ये हो जाता है तो टूरिस्म भी बढेगा ,जहाज भी चलेंगे और जहाज चलेंगे तो हवाई अड्डा भी बनेगा और विकास होगा तो हर तरह का रोजगार भी बढेगा और व्यापार भी बढ़ेगा । बस मेरी कोशिश मुख्यमंत्री जी के साथ विभिन्न विभागों की लखनऊ में मीटिंग करवाने की है । मुख्यमंत्री जी भी आगरा सहित प्रदेश के विकास के लिए गंभीर है । आगरा के दोस्तों दुवा करिए की मैं कामयाब हो जाऊ । उन्नीस सौ सैतालिस से कुछ भी तो नहीं हुआ आगरा में ।
शरीर की बीमारी का इलाज तो डॉक्टर लोग अपनी क्षमता अनुसार करने की कोशिश करते है पर मन अगर बीमार है तो उसका इलाज करने वाला डॉक्टर तो शायद कोई नही है ।
उस दिन से जब से पढ़ा है कि किसी के सूचना के अधिकार में पूछे गए सवाल की रास्ट्रपिता महात्मा गाँधी को कब और किस आदेश से रास्ट्रपिता घोषित किया गया ,भारत सरकार ने जवाब दिया की कभी नहीं बहुत व्यथित हूँ कि इतना बड़ा धोखा की हम बचपन से जिसे रास्ट्रपिता कहते रहे और दुनिया जिसे रास्ट्रपिता ही जानती है हिंदुस्तान के सन्दर्भ में उसे उसी के चेलो ने धोखा दे रखा है और अभी भी उन्हें रास्ट्रपिता घोषित करने का कोई इरादा नहीं दिखाया है ,जबकि दुनिया के तमाम देशो में ऐसा हो चूका है ।
मैं ट्विटर और यहाँ भी ये मुद्दा उठा चूका हूँ पर लोगो के लिए ये कोई मुद्दा नहीं है । किसी जाती की बात करो तमाम लोग जुड़ जायेंगे ,धर्म और नफ़रत की बात करो तमाम मिल जायेंगे ,कोई कविता या शेर लिख दो क्या बात है वाह वाह कुछ नकारात्मक बात करो लाखो साथ है कोई घटिया बात करो तब भी । पर गंभीर बात पर चर्चा में कोई नहीं आता । दोस्तों मैं कुछ बातें केवल देखने के लिए दाल देता हूँ की आज का पैमाना क्या है ?
क्या मीडिया के साथी इसे मुद्दा बनाना चाहेंगे ? देखते है ।
लोकतंत्र में सबको स्वतंत्रता है अपने तरीके से रहने ,पढ़ने ,व्यापर करने ,नौकरी करने ,अपना धर्म का पालन करने ,देश में कही आने जाने और अपने विचार व्यक्त करने की कानून और संविधान के दायरे में ,पर भारत में पता नहीं कुछ लोग क्यों हिटलर का युग और व्यवस्था लाना चाहते है । क्या ये भी मैं बताऊँ की कौन और किसने कानून और संविधान की धज्जियाँ उड़ाई है पहले भी और टाक में लगे हुए है की कब हिटलर बन जाएँ ।
दूसरे काव्यसंग्रह की तैयारी हो गयी है । पहली तो काफी लोकप्रिय हुयी और केवल चार महीने में डेढ़ हजार के करीब बिक गयी । उसका नाम रखा था ; यथार्थ के आसपास ; । कविताएँ भी वैसी है असली पात्रो और घटनाओ पर आधरित । इस बार की कवितायेँ भी यथार्थ की ही हैं । क्या आप लोग बताएँगे की इस पुस्तक का की नाम रखूं ?
कुछ भी फैसला करते वक्त ये जरूर ध्यान रखना चाहिए की हम तो आज है कल नहीं रहेंगे पर समाज ,मानवता ,देश और दुनिया हमेशा रहेगी । शायद हमारे अपने लोग अपनी पीढियां भी रहे । हम इस सबका कुछ अहित तो नहीं कर रहे ,आने वाले कल में हम कांटे तो नहीं बो रहे । शायद वे कांटे हमारे वंशजो को भी जख्मी करेंगे । बस ये सोच ले तो गलती की गुंजाईश कम जरूर हो जाएगी ।
जिसने भी पुलिस या किसी तंत्र का इस्तेमाल अपने विरोधियो को डराने ,फंसाने और उन पर मुकदमे लगाने की शुरवात किया उसने लोकतंत्र का बहुत अहित किया है जो अक्षम्य है ।फिर तो उसने दूसरो को भी विरोधियों के उत्पीडन का रास्ता दिखा दिया । ऐसे तो एक दिन या तो लोकतंत्र ख़त्म हो जायेगा या जनता ऐसे लोगो को ख़त्म कर देगी । सभी को इसका ध्यान भी रखना होगा अगर देश में लोकतंत्र को बचाना और बढ़ाना है ।
पता नहीं ये जनता को क्या हो गया है नेताओ और सरकारों से नाराज है और बुराई ही करती रहती है । क्या ले लिया तुमसे ,नदी नाले और कुए का पानी पीने को ,साँस लेने को हवा और देखने को सूरज की रोशनी तथा खाने को धुप नहीं छोड़ रखी है । बात करते है ।
समाचार प्लस के भाई अमिताभ अग्निहोत्री ने मेरा आग्रह स्वीकार कर लिया है महात्मा गाँधी को रास्ट्रपिता घोषित करने या नहीं करने और आज तक का स्टेटस क्या है पर बहस छेड़ने का । वे सच्चे पत्रकार है ,मैं उनका आभारी हूँ वरना तो तमाम लोगो को लिख चूका मीडिया से लेकर नेता तक पर किसी के लिए ये कोई मुद्दा नहीं है । देखते है क्या होता है ? कांग्रेस क्या जवाब देती है ,सरकार क्या जवाब देती है और बाकी पार्टियाँ तथा तथकथित गाँधीवादी और उनके नाम की रोटी खाने वाले क्या करते है ।
क्या वैज्ञानिक कोई ऐसी विधि खोज पाएंगे कि कोई जिस परिवार ,जाति या धर्म में पैदा होना चाहे वही पैदा हो जाये । अगर ऐसा हो जायेगा तो लोग किस जाती ,धर्म या परिवार में पैदा होना चाहेंगे ? क्या बता सकते है सभी लोग ?