सोमवार, 4 नवंबर 2024

रामगोपाल यादव का पहला चुनाव

#जिंदगी_के_झरोखे_से-'
#रामगोपाल_यादव_का_पहला_राज्यसभा_चुनाव

ये 1992 की बात है । मैं मुलायम सिंह यादव के घर गया था उनके बुलाने पर । तब वो 5 विक्रमादित्य मार्ग पर अकेले रहते थे और नीचे कोने मे छोटे से कमरे मे जगजीवन बैठता था जो तब तक टाईपिष्ट , खजांची ,व्यक्तिगत टेलिफोन ओपरेटर सहित सब बन चुका था और नीचे पायजामा तथा ऊपर कमीज पहनता था ।
बाहर गेट पर छोटी सी गुमटी बनी थी जिसमे सुरक्षा बैठती थी ।
मेरे लिए कोई रोक टोक नही थी कही भी जाने की ।
गेट पर राम अवतार शाक्य विधायक मिला जो अंदर से आ रहा था और उसकी आंखो मे आँसू थे । मुझे देख कर रुक गया ।मैने पूछा कि क्या हो गया तो बोला की मुलायम सिंह यादव ने डांट कर भगा दिया जबकी वो कुछ जरूरी बात करने आया था और आज पार्टी बुरी दशा मे है फिर भी ये बेइज्जती तो कोई पार्टी मे क्यो रहे ? मैने उसकी पूरी बात सुना और फिर बाहर ही उसे रोक दिया की वो मुझसे बिना मिले नही जायेगा ।मेरी आदत थी ये सबको जोडना । 
मैं अंदर गया ।मुलायम सिंह यादव तनाव मे टहल रहे थे । मैने पूछा कि क्या हो गया ? वो बोले की चंद्रशेखर जी के 4 विधायक पार्टी छोड गये और उन्होने अपने भाई को राज्य सभा उम्मीदवार घोसित कर दिया है अब क्या राजनीति करेंगे और क्या मुह दिखाएँगे ।
मैने कहा की पार्टी चंद्रशेखर जी के लोगो ने छोडा है और गुस्सा आप अपनो पर उतार रहे है इसका क्या मतलब है ।तो बोले की मूड ठीक नही फिर भी लोग चले आ रहे है ।मैने कहा उनको क्या पता ,आप गेट पर बोर्ड लगवा दीजिये मूड़ ठीक नही ।
तो चुप हो गए । मैने कहा की राम अवतार शाक्य को मैने रोक दिया है बाहर पहले उसे बुलाइए और अच्छी तरह बात करिए फिर बात करते है ।
उन्होने उसे बुलाया ,खेद व्यक्त किया और मिठाई खिला कर विदा किया ।फिर हम दोनो ड्राइंग रूम में बैठ गये ।
मैने कहा हमारे पास 25/26 विधायक बचे है , यदि मैं 2 विधायक का इन्तजाम कर दूँ तो क्या आप और बाकी लोग मिल कर 2/4 का इन्तजाम नही कर सकते ?  वो बोले की आप कैसे करेंगे ? बहुत पैसा मांगेंगे लोग और हम कहा से देंगे ? 1989 की सरकार मे उन्होने लूट नही किया था । मैने कहा की एक भी पैसा मेरे लोगो को नही देना होगा ।मैने कहा की अकसर आखिरी व्यक्ति 30 के आसपास वोट पर जीत जाता है । वो बोले की कोई निर्दलीय पूंजीपति खड़ा हो गया तो नही होगा ।
तब मैने कहा की काशीराम जी फला तारीख को कानपुर आ रहे है आप भी चले जाईये और यूँ ही उनके रूंम मे चाय पीने चले जाईयेगा सर्किट हाउस में ।
उन्होने कहा की काशीराम ने बयान दिया है कि वो चुनाव मे हिस्सा नही लेंगे ।
मैने कहा की बयानो का क्या अर्थ आप जाईये तो और मिल गया तो सीधे 11/ 12 वोट मिल जायेंगे ।
फिर हम लोगो ने चाय पिया और वही हुआ ।मुलायम सिंह जी की काशीराम की बात हो गई और वही 1993 मे दो दलो के समझौते की बुनियाद बनी ।
इस बीच जीवन मे पहली बार मैने गाडी के शीशो पर काली फिल्म लगवाया जो चुनाव के बाद हटा दिया ।
जनता दल के विधायक चन्द्रभान मौर्य और ओम प्रकाश दिवाकर को काली शीशे वाली गाडी मे ले जाकर मैने मुलायम सिंह यादव से मिलवाया और फिर कुछ और लोगो को भी ।
और अन्ततः रामगोपाल यादव अच्छे वोट से जीत गये ।
मुझे वो दृश्य भी याद है जब चुनाव जीतने के बाद सब लोग विधान सभा से राज भवन कालोनी के दफ्तर तक पैदल गये थे और मैं मुलायम सिंह यादव के साथ गाडी मे ।
पार्टी ऑफिस मे छोटा सा तखत लान मे रखा था उस पर मुलायम सिंह यादव ,राम सरन दास सहित हम कुछ लोग बैठ गये और बाकी सभी सामने नीचे लान मे जमीन पर और रामगोपाल जी सबसे पीछे ।
मैने उस कार्यक्रम का संचालन कर रहा था ।मैने मुलायम सिंह यादव से धीरे से कहा की रामगोपाल को मंच पर बुला ले आज उनका दिन है तो उन्होने मुझे धीरे से डपट  दिया की वही बैठने दो ,दिमाग खराब मत करो और मैं चुप हो गया ।
इससे पहले बैकग्राउंड ये है कि एक दिन दिल्ली के अशोका होटल मे चाय पीते हुए मुलायम सिंह यादव ने अचानक कहा की सी पी राय क्या आप को पता है कि रामगोपाल के बेटे भूखे मर रहे है ?
मैने कहा की वो तो डिग्री कालेज मे टीचर है और गाँव मे खेतो भी है तो भूखे कैसे मर रहे है ? फिर उन्होने ना पचने वाले तर्क दिये और मैं बात समझ गया और कह भी दिया कि भाई साहब आप उन्हें राज्य सभा देना चाहते है तो देगे ही पर उसके लिए ये सब बाते करने की क्या जरुरत है ।
मुझे अगली बार दे दीजियेगा । जो मौका कभी नही आया 
और रामगोपाल ने जिदंगी भर पता नही किस बात की मुझसे दुश्मनी निभाया की फिर कुछ मिलने ही नही दिया जो मेरा हक था और जिससे पार्टी का भी भला  ही  होता ।

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