बुधवार, 26 सितंबर 2012



                                  कागज पर न हो पर दिलो में लिखा है रास्ट्रपिता                    डॉ 0 सी 0 पी 0 राय
                                                                                                                    स्वतंत्र चिन्तक एवं स्तम्भकार

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          पिछले दिनों एक समाचार ने पूरे हिंदुस्तान ही नहीं बल्कि पूरी दुनिया का ध्यान अपनी तरफ खींचा और सभी को सोचने को मजबूर ही नहीं किया बल्कि महात्मा गाँधी को महापुरुष मानने वालों और दिलो में रास्ट्रपिता पिता मान चुके लोगो की आस्था को हिला कर रख दिया । मुझ जैसे करोडो लोग बचपन से बापू को रास्ट्रपिता मानते आये थे और ये समझते थे की आजाद भारत ने सर्वसम्मति से उन्हें इस उपाधि से नवाजा होगा जसे अन्य बहुत से देशो अपने देश के महापुरुषों को ;फादर ऑफ़ द नेशन;जैसे शब्दों से समय समय पर नवाजा है । पर जब कुछ लोगो ने पता नहीं किन कारणों से सूचना के अधिकार के द्वारा भारत सरकार से ये जानकारी माँगा कि क्या महात्मा गाँधी को रास्ट्रपिता की उपाधि से भारत ने नवाजा है ? यदि हाँ तो किस आदेश या प्रक्रिया द्वारा और कब ?इस सवाल का भारत सरकार द्वारा दिया गया जवाब ही इस चर्चा का कारण बना ,जब भारत सरकार ने जवाब दिया की ऐसा तो कुछ भी और कभी नहीं हुआ । ऐसा कोई अभिलेख भारत सरकार के संज्ञान में नहीं है । आश्चर्य तो इस जवाब पर नहीं है बल्कि इस बात पर है की इस जवाब के बाद भी न तो कांग्रेस की सरकार जो अपने को महात्मा गाँधी को मानने वाली कहती है उसने इस भूल का सुधार करने की तरफ कोई कदम बढ़ाने की कोशिश किया और न देश भर में बापू के नाम की रोटी खाने वालो ने ही इस पर कोई मुद्दा बनाने की कोशिश किया ।
          क्या मुश्किल हो जाती भारत सरकार को यदि वो अब से ऐसा कर देती और संसद तथा सभी विधान सभावो में सर्वसम्मति प्रस्ताव पास कर देती की पुँरानी गलती सुधारते हुए महात्मा गाँधी को देश रास्ट्रपिता स्वीकार करता है । जबकि ऐसा दुनिया के अन्य देशो ने अपने देश के दुनिया में कम चर्चित लोगो के साथ किया है ।1- अहमद शाह दुर्रानी [अफगानिस्तान  ]2- डान जोश डी सैन मार्टिन [ पेरू ] 3- सर लिंडन पिडिंग [ बहमास ] 4-शेख मुजीबुर्रहमान [ बंगला देश ] 5 -जोर्ज केडल प्रायिस [ बेलायिस ] 6- साइमन बोल्वियर [बोलविया ] 7-डोम पेड्रो [ ब्राजील ] 8 - बर्मान्दो ओ हिंस [ चिली ] 9 - सू यां चेन [ चाइना ] 10 - साइमन बोल्वियर [ कोलंबिया ] 11- कार्लोस मैनुअल [क्यूबा ] 12 -सुकर्णो [ इंडोनेशिया ]13 - विकटर इमैनुअल[ इटली ] 14 - थिओडोर हर्जिल [इज़राइल ] 15 -टुंकु अब्दुल रहमान [ मलेशिया ] 16-शिवसागर रामगुलाम [ मारीशस ] 17 -सैम नुजोमा [ नाम्बिया ] 18 - विलयम द साइलेंट [ नीदरलैंड ] 19 - इनर गर हर्द्सन [ नार्वे ] 20 - मोहमद अली जिन्ना [ पाकिस्तान ] 21 -डोन स्टीफन सर् नायके [ श्री लंका ] 22- जुलियस न्यरेरे  [ तंजानिया ]23 -मुस्तफा कमाल अता तुर्क [टर्की ] 24 - जोर्ज वाशिंगटन [ अमेरिका ] सहित ऐसे  कई महापुरुष हुए कई देशो में जिन्हें उन देशो ने अपने देश में फादर ऑफ़ द नेशन स्वीकार किया । जब की ये  तमाम नाम अपने देशो की सीमाओं में कार्यों की दृष्टि से बंधे रहे और हमारे बापू ने देश की सीमाओं \ को तोड़ कर दुनिया को रास्ता दिखाया और अपने सिद्धांतो का मुरीद बनाया ।
          मार्टिन लूथर किंग से लेकर वर्तमान राष्ट्रपति ओबामा तक ने उन्हें अपनी लड़ाई और जीवन का प्रेरणा श्रोत माना और आज भी मान रहे है । बापू की रोशनी ने ऐसी ताकत दी की नेलशन मंडेला ने पूरी जिंदगी जेल में बिता दिया और तभी वापस बाहर आये जब दक्षिण अफ्रीका में बापू द्वारा छेड़ा गया युद्ध जीत लिया ।आज संयुक्त रास्ट्र संघ ने बापू के जन्मदिन को वर्ड पीस डे मान लिया और मनाना शुरू कर दिया । दुनिया के तमाम देशो ने इन वर्षो में बापू के अहिंसा को हथियार बना कर उसी तरह अपनी लड़ाइयाँ जीत लिया जैसे बापू जिसका सूरज अस्त नहीं होता था उसके खिलाफ बिना हथियार उठाए जीता था । जहा स्वतंत्रता और गैर बराबरी की लड़ाइयाँ बची है ,वे लगातार बापू के हथियार को मांज रहे है और बस कदम उठाने की देरी है ।
             सरकार किसी कागज पर लिखे या न लिखे पर जिस  दिन सिंगापूर में आजाद हिंद रेडियो को पहली बार संबोधित करते हुए महान रास्त्रभक्त नेता जी सुभाष चन्द्र बोस ने बापू को रास्ट्रपिता कह कर संबोधित किया भारत ने और करोडो भारतीयों ने तो उसी दिन अपने दिलो पर लिख दिया रास्ट्रपिता महात्मा गाँधी ।दुनिया ने भी मान लिया की दुनिया को रास्ता दिखने का दावा करने वाले हिंदुस्तान ने दुनिया के बीसवी सदी के आश्चर्य [ जैसा की महान वैज्ञानिक आइन्सटीन ने महात्मा गाँधी के बारे कहा था जब ये कहा था की शायद आने वाली पीढियां विश्वास ही नहीं कर पाएंगी की कभी पृथ्वी पर ऐसा हाड़ मांस का कोई पुँतला भी चला था । तभी उन्होंने कहा था की बीसवी सदी में दो आश्चर्य हुए है 1- अणु बम्ब और 2- महात्मा गाँधी ।] को ये छोटी सी उपाधि दे दिया है ।
               पर सच्चाई में ये नहीं हुआ । जैसा की हमेशा होता है सत्ता की चकाचौंध कुछ मतिभ्रम पैदा कर देती है और उसकी चमक घेर लेती है सभी को ,वो भूल जाता है उन लोगो को जिनके कारण वो सत्ता के दरवाजे तक पंहुचा होता है । भारत में भी यही हुआ और बापू को सामान्य सा सम्मान देना भी भूल गया भारत का शासन ।
सवाल ये है की क्या अब इस भूल का सुधर तुरंत नहीं होना चाहिए । क्या बापू को दुनिया ने याद रखा और मान्यता दिया पर वो अपने देश में ही बेगाने हो गए । क्या बहुत छोटे छोटे स्वार्थो को लेकर संसद और विधान सभाओ में हंगामा मचाने वाले लोग एक दिन कुछ मिनट खर्च कर सर्वसम्मति से बापू के रास्ट्रपिता होने का प्रस्ताव पास नहीं कर सकते । उस दिन का इंतजार है मुझे भी ,दुनिया को भी और कही दूर से देखते हुए महात्मा गाँधी को भी और उनके मानने वाले दुनिया के करोडो लोगो भी । देखे ये दिन कब आयेगा ।

                                                                                                   डॉ 0 सी 0 पी 0 राय
                                                                                        स्वतंत्र चिन्तक एवं स्तम्भकार
                                                                                     13/1 एच आई जी फ़्लैट संजय प्लेस आगरा
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शुक्रवार, 21 सितंबर 2012

क्या भारत में 1- बंद को बंद कर देना चाहिए ? 2- क्या सभी तरह के रास्ते रोकना बड़ा अपराध घोषित होना चाहिए ? 3 - क्या रास्ट्रीय दिवस को छुट्टी के स्थान पर पूरे समय मौजूद रह कर उसकी याद और उस पर चर्चा होनी  चाहिए ? 4- क्या महापुरुषों के दिवस पर छुट्टी के बजाय  ज्यादा कार्य दिवस कर देना चाहिए जिसमे आधा समय उस महापुरुष पर चर्चा और आधे समय में ज्यादा  काम हो । हाँ तीज त्यौहार भारत की आत्मा है उनके लिए छुट्टी भी हो और हर स्तर पर पूरी तरह मनाया भी जाना चाहिए । क्या देश और देशवासी सहमत है 
प्रधानमंत्री जी की बातो पर भरोसा करना चाहिए और उन्हें समय तथा विश्वास भी देना चाहिए ।1991 यदि उन्होंने दोहराया तो निश्चित ही देश हित में चमत्कार होगा ।ऐसा लगता है की उनमे इतिहास के प्रति जवाबदेही का जबरदस्त अहसास पैदा हो गया है । जब किसी में इतिहास के प्रति ये अहसास पैदा होता है तो वो इतिहास बनाता है ऐसा इतिहास बताता है ।

गुरुवार, 20 सितंबर 2012

क्या भारत की संसद को एक सर्वसम्मति से प्रस्ताव पास कर बापू यानि महात्मा गाँधी को नेताजी द्वारा दिया गया रास्ट्रपिता का दर्जा दे देना चाहिए । दुनिया ने जो मान लिया उसे सांवैधानिक स्वरुप देना क्या अपने देश को गौरवान्वित करना नहीं होगा । वैसे कुछ नासमझ भी यहाँ बोलने की कोशिश करेंगे । उचित ये है की वे दुनिया के महानतम को मान न दे सके तो यहाँ कुछ न कहे ,अन्यथा मै उन सभी को ब्लोक कर दूंगा । ये मेरे सहित दुनिया के करोडो लोगो की भावना का सवाल है ।