गुरुवार, 4 अगस्त 2022

भारत_तमाशों_का_देश_है

#भारत_तमाशों_का_देश_है ? 
काफ़ी पहले मेरा एक लेख छपा था कुछ अख़बारों में । हाँ सचमुच है और तमाशों के प्रति भारत का जुड़ाव तथा आग्रह इतना है कि तमाशे के लिए दवाई या खाने बिना मरता व्यक्ति भी ताली बजा ही देगा और कुछ देर के लिए शामिल हो ही जाएगा उस तमाशे में । चाहे कितने ज़रूरी काम से भी जा रहा हो पर काम छोड़ कर सहभागी हो ही जाएगा तमाशे में ।
पहले भारत की ये कमजोरी भालू और बंदर नचाने वाले , जादू दिखाने वाले , बाइसकोप दिखाने वाले और बसो में या चौराहों पर सुरमा या अन्य चीजें बेचने वाले जानते थे । धर्म के छोटे से बड़े तक ठेकेदार भी थोड़ा बहुत उससे काम चला लेते थे ।
पर कुछ सालो से मीडिया और अख़बार वालो ने पन्ना और अख़बार बेचने के लिए इस तकनीक का प्रयोग किया ,प्राइवेट शिक्षा संस्थानों तथा व्यापारिक संस्थानो ने प्रयोग करना शुरू किया फिर और बड़े पैमाने पर धार्मिक व्यापारियों ने इस तकनीकी और मनोविज्ञान का भरपूर दोहन शुरू किया ।
और अब तो राजनीतिक जमात और उनके आकाओ ने इस तकनीक को मुख्य हथियार ही बना लिया है । कैसी महंगाई ? , कैसी बेरोजगारी ? , कैसी बीमारी ? कैसी चिकित्सा ? कैसी मौत ? कैसी बर्बादी ? कैसी अयोग्यता और असफलता ?कैसी अदूरदर्शिता ? सब कुछ तमाशे के नीचे दफ़न करने की क्या खूब कारीगरी और बाज़ीगरी आ गयी है । सब ख़ास हम भी ख़ुश । उधर लगे रहो , कोई सवाल मत पूछो , अपनी ज़िंदगी और आसपास बिलकुल मत झांको और भविष्य का तो सोचो ही मत बस चली ताली बजाओ मेहरबान क़द्रदान दिखो मेरे झोले से अच्छा दिन निकलने ही वाला है , जो जल्दी में है वो जाकर घर सो जाए क्योंकि वो बीमार है । बाक़ी सब एक बात फ़ोर से थाली बजाओ और अच्छा दिन न दिखे तो मोमबत्ती दिया टॉर्च जलाओ और वो न हो तो मोबाइल की रोशनी में देखो ।  अरे देखो तो वो है अच्छा दिन आप सब के घर में पहुँचा दिया है फिर भी जो नही देख पा रहा है वो ये तो अंधा है , या धर्म द्रोही या देशद्रोही या सेकूलरिस्ट है अन्यथा पड़ोसी देशों का एजेंट है मारो इसे । मारने वाले अपना काम करे बाक़ी सब मुस्कुराओ और फिर से ताली बजाओ । 
अच्छा मेहरबान क़द्रदानों अपने घर जाओ आज का तमाशा यही ख़त्म होता है अब अगले तमाशे का इंतज़ार करो ? 
क्या ? सब महँगा हो गया है ?  बच्चों को नौकरी नही मिल रही है और इलाज बिना लोग मर रहे है और भूखा  किसान आत्महत्या कर रहा है ? 
अरे मूर्ख किसान की आत्महत्या का कारण कुछ मर्दानगी से जुड़ा है हमारे नेता ने इतना बड़ा ज्ञान दिया तूने सूँ नही ? सब नौकरी माँगोगे तो नया स्टार्ट आप कौन करेगा ? पकोड़े बनाओ , रिक्शा चलाओ , नाले से गैस निकालो देश में स्टार्ट अप की संख्या बढ़ाओ । इलाज का क्या रोना रोते हों नीम की पत्ती खाओ और ठीक हो जाओ । जवान सीमा पर खड़ा है और तुम बिना खाए मर रहे हो अरे थोड़ा उसका सोचो और जब तुम कुछ नही कर रहे हो तो जीकर भी क्या फ़ायदा ? लेकिन इस चुनाव तक तो किसी तरह तुमने जीना ही पड़ेगा उसके लिए ५ किलो अनाज और साल के ६ हजार चुनाव तक तो दे दूँगा फिर मुझे वोट देने के बाद तुम जानो तुम्हारा काम जाने । 
अब ज़ोर से नारा लगाओ की हम महान है ऐसा दुनिया में कोई नही और ताली ज़ोर से बजाओ मेहरबान क़द्रदान । ज़्यादा सोचो मत और आपस में ये बातें भी मत किया करो वरना क़ानून अंधा है और वर्दी किसी को नही पहचानती , समझ गए ना । 
तो एक बार बहुत ऊँचा झंडा लहराओ , ज़ोर से ताली बजाओ और समवेत स्वर में गाओ - हर हर —- घर घर — तथा -जी -जी -जी -जी । 
जी जनाब नशा शराब का हो या गुजरात के पोर्ट पर उतरने वाली हजारों करोड़ के माल का उससे भी बड़ा नशा है जानकर अंधे होने का , भक्त होने का और उससे भी बड़ा नशा तमाशे का होता है जनाब ।
यद्दपी सिद्धम लोक विरुद्धम ना करणीयम ना करणीयम ।