सोमवार, 4 नवंबर 2024

इलाहाबाद का वो चुनाव

#जिंदगी_के_झरोखे_से

#इलाहबाद_का_चुनाव -

एक पुरानी याद जब विश्वनाथ प्रताप सिंह कांग्रेस से बाहर आ गये थे तो इलाहबाद मे लोक सभा सीट का चुनाव हुआ जिसमे वो उम्मीदवार थे ।अजेय लगने वाली कांग्रेस को हराने के लिये पूरा विपक्ष एकजुट हो रहा था ।ये दोनो की प्रतिष्ठा का चुनाव था । कांग्रेस ने पूर्व प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री जी के पुत्र सुनील शास्त्री को उम्मीदवार बनाया और उधर से चुनाव की कमान मुख्यमंत्री वीर बहादुर सिंह के हाथ मे थी ।पूरा विपक्ष विश्वनाथ प्रताप सिंह के लिये लगा था ।पूरे देश का मीडिया हाज़िर था तो उस वक्त रामायण सीरियल की लोकप्रियता को देखते हुये उसके पात्र राम लक्षमण भी उसी पोशाक मे जोकर बने प्रचार के लिये हाज़िर थे ।
और देश मे इतनी बड़ी राजनीतिक घटना घट रही हो और हम जैसे लोग वहा नही हो ये कैसे सम्भव था ।
एक तरफ भारी संसाधन थे काग्रेस की तरफ से तो दूसरी तरफ विश्वनाथ प्रताप सिंह एक मोटरसाइकिल पर बैठ कर अपना प्रचार कर रहे थे (ऐसे चुनावो ने बार बार गाड़ियो के काफिले और करोडो रुपये तथा सत्ता की धमक को परास्त कर सिद्ध किया है कि जज्बा हो ,मुद्दे हो और समर्पित नौजवां हो तो सत्ता ,साधन सबको परास्त किया जा सकता है ,ऐसा अनुभव 1984 के आजमगढ़ के चुनाव मे भी हुआ था जहा सबसे ज्यादा खर्च और चमक के बाद भी चंद्रजीत यादव को केवल 15 हजार वोट मिओआ था ) ,और हजारो जागरुक नौजवांन जो उस वक्त कांग्रेस की हार जरूरी मानते थे खुद इलाहबाद पहुच गये थे । विश्वनाथ प्रताप सिंह बोफोर्स की तोप से कांग्रेस को पहले ही घायल कर चुके थे ।
खैर चुनाव हुआ और खूब हुआ और विश्वनाथ प्रताप सिंह चुनाव जीत गये और सम्पूर्ण कांग्रेस हार गयी ।
मुझे उस वक्त का मुख्यमंत्री वीर बहादुर सिंह का वो बयान याद है जब हार के बाद उन्होने कहा था कि कांग्रेस के सब नेता बहुत कुछ लेने आते और अपने प्रयास से मिलने वाला वोट गिनवाते तो मैं नोट करता गया और बाद मे जब जोडा तो वो डेढ करोड से ज्यादा निकला ।
उस चुनाव पर उस वक्त की सबसे बड़ी राजनीतिक मैगजीन रविवार के प्रधान संपादक खुद इलाहबाद मे घूमे और उन्होने उस बार इलाहबाद के चुनाव को कवर स्टोरी बनाया और उसमे कुछ खास नामो का जिक्र किया जिसमे जनेश्वर मिश्रा, शिवानंद तिवारी,रघुनाथ गुप्ता  ,मोहन सिंह , मुख्तार अनीस,देवव्रत मजूमदार , मोहन प्रकाश Mohan Prakash, चंचल जी Chanchal Bhu , चन्द्रमाणि त्रिपाठी,नरेंद्र गुरु , क्रांती कुमार ,फतेह सिंह और हमारा भी जिक्र किया उन्होने ।
नीचे रविवार का चित्र है जिसमे ये नाम है और दूसरा चित्र विश्वनाथ प्रताप सिंह के घर का है जब उनके साथ नाश्ता करने के बाद मैं उनके साथ प्रचार के लिये निकल रहा था और साथ मे जफर अली नकवी भी है ।

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