सोमवार, 4 नवंबर 2024

मोहन सिंह जी वो आखिरी बात

 मोहन सिंह एक समाजवादी आन्दोलन का खांटी समाजवादी जो सरल थे साधारण थे पर जो जुझारू और संघर्षशील छात्र नेता रहे ,इलाहबाद विश्वविद्यालय के चर्चित छात्र संघ अध्यक्ष रहे तो विधान सभा ही विधान परिषद् हो ,लोकसभा या राज्यसभा सभी के प्रखर वक्ता और सदस्य रहे इस तरह लोकतंत्र के चारो सदनों के सदस्य रहे और हर साल संसद | के के दोनों सदनों में जो सर्वश्रेष्ठ सांसद का चयन होता है उसमे वो सर्वश्रेष्ठ सांसद चुने गए | उत्तर प्रदेश में १९७७ की सरकार में मंत्री थे तो पी ए सी का जुल्म होने पर उसको उजागर कर दिया की पी ए सी ने जुल्म किया हैं चाहे उसके करण सरकार और मंत्री पद चला गया | 

मोहन सिंह जी लगातार अध्ययन से जुड़क रहे और लेखन भी करते रहे | तीन बार लोकसभा के लिए चुने गये तथा लोकसभा में अपनी मेहनत से अपनी पहचान बनाया और राज्य सभा में भी उनकी भूमिका को सभी लोगो की सराहना मिली | देवरिया में प्रसिद्ध समाजवादी उग्रसेन जी के परिवार में पैदा हुए मोहन सिह ने इलाहबाद में एक बात डा लोहिया को क्या सुना की फिर उन्ही के हो गए और आगे चल कर मधु लिमये जी से जुड़ गए | आपातकाल में गिरफ्तार हुए और छुटने पर विधायक का चुनाव जीता तो पहले पार्टी का महामंत्री और फिर सरकार में राज्यमंत्री बन गए | जीतते हारते ये सफ़र रुका नहीं चलता ही रहा | आखिरी में समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय महामंत्री थे तथा राष्ट्रीय प्रवक्ता भी थे और राज्यसभा के सदस्य थे | 

मोहन सिंह जी बहुत बीमार हो गए थे तथा आल इंडिया मेडिकल इंस्टिट्यूट में भर्ती थे | मैं एक दिन उनसे मिलने गया | एम्स में मेरे एक जानने वाले थे उनसे मिलता हुआ और मोहन सिंह जी का कमरा नंबर पता लगा कर मैं उनके कमरे में पहुच गया | मोहन सिह जी आँख बंद किये हो जैसे कुछ सोच रहे थे | मेरे अन्दर आ जाने पर उन्होंने आँख खोला और बोले की राय साहब आप मानो या मत मानो इस वक्त मैं आप के ही बारे में सोच रहा था | मैंने आश्चर्य व्यक्त करते हुए कहा की हम जैसे साधारण कार्यकर्ता की कैसे याद आ गयी तो बोले की जब अंतिम समय पास हो और आप को एकांत मिला हो तो बहुत कुछ और बहुत लोग याद आते है | मैंने कहा कैसी बात करते है अंतिम समय आप के दुश्मनों का हो ,आप को तो अभी बहुत कुछ करना है | उनके चेहरे पर कई भाव आये और चले गए और  फीकी सी मुस्कान के साथ बोले की नहीं राय साहब मेरा समय पूरा हो गया है अब जाना है | जितना करना था मैं कर चूका मेरी भूमिका बस इतनी ही थी | 

तभी अचानक बोले की काश मेरे जाने से पहले मुलायम सिंह जी मिलने आ जाते तो मैंने कहा की वो तो एक बार क्या बार बार आप से मिलने आयेंगे \| कहिये तो मैं ही फोन कर देता हूँ की आप उन्हें  याद कर रहे है | इसपर  बोले की उनसे मैं कुछ कहना चाहता हूँ और आप कहेंगे की मैंने बुलाया है तो बात का अर्थं बदल जाएगा | मैंने कहा की क्या फर्क पड़ता है किसी तरह उन्हे सूचना मिल जानी चाहिए तो बोले की बात ही कुछ वैसी है की आप का कहना ठीक नहीं रहेगा | बात करते करते वो थोडा भावुक हो गए और बोले समाजवादी आन्दोलन के वैचारिक साथी सब चले गए | पुराने लोगो को छोड़ भी दे तो इधर जनेश्वर जी चले गए ,ब्रजभूषण तिवारी जी चले गए ,मैं जाने वाला हूँ अब बच ही कौन रहा है | प्रो आनंद कुमार जैसे साथी है ऊँ लोगो की दिशा अलग हो गयी है | समाजवादी पार्टी में तो एक आप ही बच रहे है और आप ने जितना काम किया है उसके हिसाब से आप के साथ न्याय नहीं हुआ | मैंने कहा जाने दीजिये अपनी अपनी किस्मत है आया मेरी ही कोई कमी होगी तो बोले नहीं आप केव साथ न्याय नहीं हुआ | मैं चाहता हूँ की मेरे जाने के बाद मुलायम सिंह जी मेरी जगह आप को अपर हाउस में ले आये | वो अगर मिलने आये तो मैं उनसे यही कहूँगा | मैंने कहा की आप बहुत जल्दी पूर्ण स्वस्थ होकर फिर से हम लोगो का नेत्रत्व करेंगे और संसद में दहाड़ेंगे | तब तक एक दो लोग और आ गए और मैं उनके स्वस्थ होने की एक बार फिर कामना कर निकल गया क्योकि मुझे आगरा पहुचना था | 

कुछ ही दिन में मोहन सिंह जी का निधन हो गया । मुलायम सिंह यादव जी उनसे उनके अंतिम संस्कार में ही मिले । उनके निधन के बाद रिक्त राज्यसभा सीट पर बचे हुए कार्यकाल के लिए मोहन सिंह जी की बेटी को सांसद बना कर मुलायम सिंह यादव जी ने मोहन सिंह जी को श्रद्धांजलि दिया । कितने अच्छे और सच्चे चंद लोग भी थे समाजवादी आन्दोलन में |  

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