सोमवार, 4 नवंबर 2024

जातिवाद की पीर कभी गई ही नहीं

जातिवाद की पीर जो गयी ही नहीं --
और
अभिमन्यु उस दिन खूब सोया |

#जिंदगी_के-झरोखे_से -

इस कहानी के पात्र मैं खुद हूं पर कहानी में पात्र नाम रख देते है अभिमन्यु ,जी वो एक उतसाह रखने वाला नौजवान था जिसकी आँखों में सपने थे खुद के लिए ,समाज के लिए , देश क्ले लिए और इसी क्रम में छोटी सी उम्र में जुड़ गया एक राजनीतिक विचारधारा से और एक जुझारू त्यागी नेता से | उस वक्त वो एक कालेज का छात्र था | काफी सालो से उसके कालेज में छात्र संघ चुनाव नहीं होता था और उसे लगता था कि लोकतंत्र की नर्सरी है छात्र संघ तो हर हाल में चुनाव होना चाहिए | बस साथियो से बात किया और सहमती होने पर बजा दिया कालेज का घंटा और खड़ा हो गया कालेज की लाइब्रेरी के सामने ऊंचे बरामदे में जहा से वो अक्सर छात्रो को संबोधित करता है मुद्दों पर और जब छात्र सहमत हो जाते थे तो निकल पड़ता था छात्रो के हुजूम के साथ कभी विश्वविद्यालय तो कभी शहर की कलक्ट्री छात्रों की मांगे लेकर और हमेशा जुलुस शांति से नारे और मांगे बताता हुआ जाता था और सफल होकर लौटता था सिर्फ उन अवसरों को छोड़कर जब किसी अधिकारी ने जिद पकड़ लिया की बात सुनना तो दूर निकलने ही नहीं देंगे तो टकराव भी हो जाता था |
इस बार भी ऐसा ही हुआ और टकराव हो गया | पुलिस ने भारी लाठीचार्ज कर दिया उस अधिकारी के आदेश पर | आज तक ये समझ में नहीं आया की अहिंसक और सही मांग लेकर निकले हुये लोगो को रोका क्यों जाता है लोकतंत्र में और पुलिस अपनों के खिलाफ ही इतनी हिंसक होकर क्यों व्यवहार करतीन है जैसे कोई दुश्मन देशो के साथ युद्ध हो | इसबार भी यही हुआ जब देखा की छात्र आधिक घायल हो गए और मेडिकल करवा कर पुलिस के खिलाफ मुकदमा हो सकता है और छात्रो को घायल देखकर बाकी जगह के छात्र भी आंदोलित हो सकते है तो मौजूद सभी को गिरफ्तार कर लिया और शाम तक थाने में बैठा कर रात को जेल भेज दिया | शायद २० तारीख थी और रात को ही किसी तरह उस वक्त एन देश के बड़े नेता जिनका कार्यकर्ता था अभीमन्यु और जिन्होंने देश की सबसे बड़ी नेता को हराया था कोर्ट में भी और फिर वोट से भी | अगले ही दिन सुबह ही वो नेता अभिमन्यु के समर्थन में जेल पहुच गए | उनको लेकर सरकारों और प्रशासन में एक दहशत रहती थी इसलिए सभी अधिकारी जेल पहुच गए और प्रस्ताव रखा की वो तुरंत मुचलके पर सबको छोड़ देना चाहते है और छात्र संघ की मांग के बारे में सरकार को अवगत करवा देंगे पर वो नेता इससे सहमत नहीं हुए | वो चाहतें थे की सब लोग कुछ दिन जेल में रहे और प्रशिक्षित हो | छात्रो के समर्थन में एक पूर्व सांसद भी गिरफ्तार हो गये थे जो खुद भी छात्र राजनीति से ही राजनीति में आये थे | उसके बाद एक बड़े नेता और क्रांतिकारी स्वतंत्रता सेनानी रहे नेता भी सत्याग्रह कर छात्रो के समर्थन में जेल में आ गए ,फिर बड़े नेता के ही कार्यकर्ता और बरेली के बड़े नेता भी गिरफ्तार होकर जेल आ गए ऐसे ही कारवा बढ़ता गया औरे ३५० से ज्यादा लोग जेल में आ गए |
जेल में रोज क्लास लगने लगी और अभिमन्यु तथा स्वतंत्रता सेनानी नेता रोज विभिन्न विषयो पर क्लास लगाने लगे | किसी दिन पूर्व प्रधानमन्त्री ,कभी पूर्व मुख्मयमंत्री,कभी पूर्व रेलमंत्री सहित विभिन्न बड़े नेता में मिलने आते रहे और सबकी क्लास लगती रही | इतने राजनीतिक कैदियों के कारण बंद कैदियों की स्वतंत्रता में बाधा होती थी तो एक दिन कैदियों की तरफ से टकराव भी हुआ और पगली घंटी बजी लाठी चार्ज भी हुआ पर कुल मिला कर राजनीति में रूचि लेने वाले छात्रो को नया प्रशिक्षण मिला तो कुछ बुराई में रूचि लेने वाले छात्रो को अपराधियों में रूचि थी और उनसे दोस्ती में लग गए | { जेल के जीवन और अनुभव पर अलग से लिखा जायेगा } |
३५ दिन की जेल के बाद समझौता हुआ और सभी जेल से बाहर आये और चुनाव की घोषणा हुयी |
कहानी यहाँ से शुरू होती जिस पीर की चर्चा है ये |
छात्र संघ का चुनाव काफी सालो बाद हो रहा था | छात्र भी भूल गए थे की छात्र संघ क्या होता है और कैसे काम करता है और उसका मूल काम क्या होता है और उस कालेज में सालो से सारे आन्दोलन केवल अभिमन्यु के नेतृत्व में हुए थे और ये जीत भी उसी की मानी गयी थी तो अभिमन्यु के मन में आया कि यदि वो खुद अध्यक्ष हो जाएगा तो छात्र संघ एक स्वरुप ले लेगा आगे के लिए | बस इसी विचार के साथ प्रकाश अपने नेता से मिलने दिल्ली पंहुचा की वो छात्र संघ अध्यक्ष का चुनाव लड़ना चाहता है |
बड़े नेता ने अभिमन्यु से पुछा की बच्चा तुम्हारे कालेज का इतिहास क्या है और कौन सी जाति के लोग अध्यक्ष होते रहे है | अभिमन्यु ने बताया की ये कालेज ठाकुर जाति की प्रमुखता का है और एक बार को छोड़कर सारे अध्यक्ष ठाकुर ही हुए है | सिर्फ एक बार कई ठाकुर प्र्ताशियो के टकराव में एक पंजाबी अध्यक्ष हो गया था जिसकी छात्र संघ का उद्घाटन प्रधानमंत्री ने किया पर उनके जाते ही उस अध्यक्ष की पिटाई कर दिया ठाकुर लड़को ने और फिर वो अध्यक्ष कभी कालेज ही नहीं आया |
तब उस नेता ने अभिमन्यु को समझाया की वो खुद चुनाव नहीं लडे बल्कि किसी ठाकुर कार्यकर्ता को ही लडवाये पर अभिमन्यु नहीं माना और तर्क दिया की आज तक मैं इकलौता नेता रहा हूँ और ये चुनाव मेरे जेल जाने पर हो रहा है इसलिए इसबार जातिवाद नहीं चलेगा बल्कि उससे ऊपर उठकर समर्थन मिलेगा | तब वो नेता बोले कि बेटा ऐसा होगा नहीं और जातिवाद का जिन्न निकल कर तुम्हे हरा देगा और फिर भी नहीं मानना चाहते हो तो जाओ ये अनुभव भी कर लो और अगर तुम चुनाव जीत गए तो तुम्हारे छात्र संघ का उद्घाटन मैं राष्ट्रपति नीलम संजीव रेड्डी से करवाने उन्हे खुद लेकर आऊंगा और ५०० रुपया भी दिया चुनाव के लिए |
हुआ भी वही जो बड़े नेता ने कहा था अचानक ठाकुर लोगो न इ लामबदी कर एक होनहार छात्र जो कालेज के ही अध्यापक का बेटा था उसे खड़ा कर दिया और कुछ अपराधियो तत्त्व साथ लग गए तो पिछड़े वर्ग के अपराधिक प्रव्रित के छात्रो ने अपने में से एक उम्मेदवार बना दिया | अभिमन्यु ने शरीफ छात्रो को और सभी वर्गों को प्रतिनिधित्व देने ने वाला अपना पेनल बनाया |
चुनाव प्रचार शुरू हो गया | अभिमन्यु के साथ वाणिज्य संकाय के छात्र जिसमे अधिकतर पंजाबी ,बनिया और ऐसे ही छात्र थे वो मजबूती से लगे तो दक्षिण भारतीय ,नेपाली और अन्य प्रदेशो के छात्र खुल कर आ गए | ठाकुर छात्रो में से भी भारत की तरफ से एशिया फ़ुटबाल खेले हुए खिलाड़ी ,उनके दो खिलाड़ी भाई तीन चार अच्छे खानदान के छात्र ,कुछ खिलाडी ,डिबेटर ,साहित्य में रूचि रखने वाले और एन सी सी के साथी प्रचार में लगे |
उस वक्त कालेज की की मैनेजमेंट के सचिव एक ठाकुर राजा साहब थे जो कई बार से विधायाक हो रहे थे | एक दिन उनका सचिव अभिमन्यु के पास आया की राजा साहब बुला रहे है | अभिमन्यु राजा साहब से मिलने पंहुचा तो उन्होंने कह्गा की तीन लोग चुनाव मैदान में है जिनमे सिर्फ आप शरीफ हो और बाकी दो गुंडे है | मैं चाहता हूँ की आप जीतो जिससे कालेज का वातावरण ठीक रहे | अभिमन्यु ने उनकी इस सदिच्छा के लिए आभार व्यक्त कर दिया परन्तु राजा साहब ने फिर कुछ ऐसी शर्त रख दिया जिसे अभिमन्यु अपने जमीर और सिद्धांत के कारण नहीं मान सका और ये कह कर की आप ने जो पूर्व में कहा क्या वही काफी नहीं है शुभकामना के लिए .और वहा से निकल गया | चुनाव उठान पर था की एक दिन शाम को अँधेरा हो गया था और प्रचार ख़त्म कर अभिमन्यु घर की तरफ निकल ही रहा था की एक शुभचिन्तक भगा हुआ आया की राजा साहब के घर पर एक मीटिंग हो रही है जिसमे कालेज के प्रधानाचार्य ,दोनों कैम्पस के कई अध्यापक और ठाकुर जाति के सभी प्रत्याशी मौजूद् है और उनमे अपने पेनल वाले ठाकुर लडके भी है और भी कुछ बाते | अभिमन्यु को एकबारगी विश्वास नहीं हुआ तो वो उन्ही के साथ राजा साहब के घर की तरफ चल पड़ा | राजा साहब बहुत बड़े परकोटे वाले घर में रहते थे जिसमे चारो तरफ बड़ा बगीचा था और बीच में उनका घर | अँधेरा था तो अभिमन्यु को तो बरामदे में बैठक कर रहे सभी लोग दिख गए पर वो उन लोगो को नजर नहीं आ सका | अभिमन्यु इस तरह के दृश्य से एक अचंभित वापस लौट कर घर पर सो गया |
अगले दिन पता चला की ठाकुर प्रत्याशी के पिता जो विद्वान अध्यापक थे उनको हार्ट अटेक हो गया है और वो मेडिकल कालेज में भर्ती है तो अभिमन्यु प्रचार के बजाय उन्हें देखने चला गया | वो बहुत दुखी थे और अभिमन्यु से बोले बेटा कालेज का हित इस बात में है की तुम जीतो पर ये लोग कैसे भी तुम्हे जीतने नहीं देंगे और मेरे अच्छा भला पढने वाले होनहार बेटे को भी बर्बाद कर रहे है सब मिलकर | अभिमन्यु उनकर ठीक होने की कामना कर के और मेडिकल कालेज में अपने दोस्त छात्रो को उन्सेक मिलवा कर की वो लोग उनका विशेस ध्यान रखे चला आया |
वो वोटिंग से पहले का आखिरी दिन था | वैसे तो पुरानी परम्परा थी चुनाव पूर्व डिबेट होती थी जिसमे तत्काल विषय मिलता था और उसको क्वालीफाई करने वाले ही चुनाव लड़ पाते थे बाकि रिजेक्ट हो जाते थे पर इस बार उसका पालन नहीं हो रहा था | फिर भी अभिमन्यु ने दोनों कैम्पस में खबर कर दिया था की वो चुनाव के पहले के दिन में लाइब्रेरी से छात्रो को संबोधित करेगा और उसकी अपील है की बाकि उम्मीदवार भी इसमें हिस्सा ले पर कोई नहीं आया |
उस दिन अपने आधा घंटे के भाषण में अभिमन्यु ने अपने सारे कार्यक्रम पर प्रकाश डाला की उसका अध्यक्ष बनने के बाद क्या इरादा है और क्या भविष्य का एजेंडा है और ये भी की वो जीत कर भी बाकी प्र्त्याशियो को विशेस आमंत्रित के रूप में छात्र संघ में रखेगा और सबके सहयोग से योजनाओं को लागू करेगा | उस दिन अभिमन्यु ने छात्र छात्रावो को चेताया भी था की कल की तारिख तय होना है की कालेज की समस्याए दूर होगी ,सांस्कृतिक साहित्यिक गतिविधियाँ बढ़ेगी ,आई ए एस इत्यादि के लिये विशेष कक्षाए लगेगी या कल से अध्यपक ही नहीं छात्राओ के साथ बत्तमीजी होगी ,गोलिया चलेगी ;गुंडों का बोलबाला होगा और कालेज नरक बन जायेगा |
शिक्षा का मंदिर वीभत्स छल कपट और अंधे जातिवाद के नाले में बह निकला | गिनती के लोगो को छोड़कर खास दोस्त तक या तो ठाकुर बन गए या पिछड़े वो पिछड़े जिनके लिए बचपन से लड़ रहा था अभिमन्यु और फिर परिणाम निकला |
अभिमन्यु ८० वोट से हार गया पर उसके पेनल के ठाकुर प्रत्याशी महामंत्री तथा एनी पद पर जीत गए थे राजा साहब के बनी रणनीति के कारण और पिछड़े पेनल वाले सब हार गेये |
{ ये अलग बात है की अभिमन्यु ने शहर के एक ईसाई कालेज में अपने दो प्र्ताशी खड़े किए थे और उनके प्रचार की कमान खुद ही सम्हाला था वो दोनों क्रमशः अध्यक्ष और महामंत्री पद पर जीत गये और तीसरे कालेज में जहा ब्राह्मण अध्यक्ष ही होते थे वहा जिसके समर्थन में भाषण दिए वो ब्राम्हण होने के चलते जीत गए } |
पर उसकी बात उसी मिनट सही साबित हो गयी जब ठाकुर और पिछड़े प्रत्याशियों के बीच गोली चलने लगी और लुकाछिपी शुरू हो गयी | कालेज के नर्क बनने का द्वार खुल गया |
जहा वो दोनों प्रत्याशी गैंग की तरह लुकाछिपी कर रहे थे वही अभिमन्युं दोनों कैम्पस में जहा जहा वोट मांगने गया था सब जगह घूम कर निर्द्वन्द धन्यवाद डे रहा था अकेला और निहत्था | कालेज के दक्षिण भारत के और नेपाल के काफी छात्र अपनी खानपीन की आदतों के कारन अलग जगहों पर पूरा पूरा घर किराए पर लेकर रहते थे | जहा कक्षाओं में काफी छात्र जिनके काम आया था अभिमन्यु या अच्छा सम्बन्ध थे विभिन्न गतिविधियों में हिस्सा लेने के कारण वो आँख चुरा रहे थे तो प्रदेश के बाहर के छात्र रो पड़े की सर हमने बुरा किया और आप को वोट नहीं डाला क्योकि हम लोग यहाँ पढने आये है और फला फला सर ने धमकी दिया था की वोट दिखा कर डालना नही तो प्रैक्टिकल में फेल कर देंगे |अभिमन्यु ने फिर भी सबका भाव से साथ होने के लिए धन्यवाद दियां और ये वादा कर के की पहले की ही तरह वो हर समस्या में साथ खड़ा रहेगा वापस आ गया |
इस छल ने अभिमन्यु की नीद छीन लिया और सिधान्तो पर भी चोट किया |
कालेज जंग का मैदान हो चूका था ,काफी छात्रावो के साथ बत्त्मीजिया हुयीं .आये दिन चुन्निया खीची जाति जिसमे उन अध्यापको की बेतिया भी थी जिन्होंने जातिवाद का नंगा नाच किया था ,उन अध्यापकों सहित कई के गिरेबान पकडे गए और कालेज में शिक्षा के आलावा सब होने लगा | प्रतिष्ठित कालेज जहा कभी दो दो अमरीकी राष्ट्रपति आये थे बुरी तरह बदनाम होने लगा | आये दिन छात्रवासों में पुलिस की छापेमारी होती थी |
फिर शुरू हुआ बुरे कामो का दौर और उसके बाद हत्याओ का दौर और इस क्रम में छात्र संघ अध्यक्ष की हत्या उसके ही साथियो ने कर दिया फिर बदले की हत्याए एक के बाद एक होने लगी | छात्र संघ अध्यक्ष ने अपने छोटे बेटे को बदले की कसम दिया तो उसकी हत्या अन्य जिले में जीप से घसीट कर कर दी गयी और उस घटना के बाद अध्यक्ष की माँ ने मिटटी का तेल पीकर और खुद कर डाल कर आत्महत्या कर लिया | एक के बाद एक हत्याये होती गयी और इस गंग से सिर्फ एक शातिर सदस्य बचा तो वो शहर ही छोड़कर अज्ञात हो गया | जो पिछड़े वर्ग का प्रत्याशियो था किसी तरह बचा रह गया और अंत में शिक्षा संस्था में क्लर्क हो गया |
फिर कुछ सालो बाद फिर चुनाव हुए और इस बार अभिमन्यु को अपने नेता की सीख याद थी और इस बार एक ऐसे ठाकुर को जो बोलना तक नहीं जनता था अपना प्रत्याशी बनाया उसके साथ ब्राह्मण उपाध्यक्ष पद पर औरे बाकि पर अलग अलग जाति के प्र्ताशियो का अपना पेनल उतारा और छल का सहारा भी लिया | इस बार अभिमन्यु का पूरा पेनल सभी कांग्रेस ,भाजपा ,सहित सभी दलों के पेनल को हरा कर जीत गया और छल के कारन तथा अघोसित गोपनीय समझौतों के कारण ब्राह्मण तथा बनिया पंजाबी लड़को और एक लड़की को ठाकुर प्र्ताशी से ज्यादा वोट मिले |
प्रयोग सफल रहा और भारत की राजनीति का सच उजागर हुआ जो आज तक जारी है |
काफी सालो बाद अभिमन्यु उस दिन गहरी नीद सोया |
पर जातिवाद के छल ने अभिमन्यु का पीछा अब तक नहीं छोड़ा |
हाँ एक सीख जरूर है की जो जीस काम और विचार का होता है उसका वही रास्ता बनता है वाही परिणाम होता है | कोई दुनिया से बदनाम होकर गया " कई बर्बाद हुए तो कोई क्लर्क बन कर रह गया और अभिमन्यु आज भी अपने रास्ते पर चल रहा है बेदाग़ | 
जी मै अभिमन्यु हूं और आजतक आखिरी चक्र से बाहर नहीं निकल पाया हूं और रोज हर वक्त प्रहार झेल रहा हूं  परायों से ज्यादा अपनो के बाणों का , पीठ पर तीर और तलवार का , धोखे का और छल का । फिर भी चला जा रहा हूं लगातार चक्रयुह की गोल परिधि में । न मेरा अंत हो रहा है और न राह मिल रही है चक्रव्यूह से बाहर जाने की और विजय तो बस दिवास्वप्न है । 

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