सोमवार, 4 नवंबर 2024

सम्मेलन या युद्ध का मैदान

सम्मेलन  या युद्ध का मैदान था गंगीरी में ?


1993 की ही बात है समाजवादी पार्टी के कार्यकर्ता सम्मेलन चल रहे थे । एक दिन अलीगढ़ के कुछ विधान सभा क्षेत्रों के सम्मेलन थे । सिकन्दराराउ के सम्मेलन के बाद गंगीरी क्षेत्र का सम्मेलन था । मुझे ही संबोधित करना था । उस दिन आगरा में बहुत पुराने समाजवादी नेता और इंदौर के पूर्व सांसद कल्याण जैन जी आए हुए थे तो मैं उनको भी अपने साथ ले गया था । 
गंगीरी के पास पहुंचे तो देखा कि दो गुटों में लोग स्वागत के लिए खड़े हुए है और कार्यक्रम स्थल पर ले जाने के लिए । बहुत कोशिश हुई कि मैं उन लोगो में से किसी गाड़ी में बैठ जाऊं पर मैने दूसरी किसी गाड़ी में बैठने से इनकार कर दिया । हमारा काफिला वहां की मंडी के गेट में घुसा तो मैने देखा की मंडी में जो बड़े बड़े शेड बने होते है उनमें से पहले पड़ने वाले शेड में भारी भीड़ थी लेकिन उससे थोड़ी दूर के शेड में भी भीड़ थी । दोनो जगह तमाम राइफल और बंदूक दिख रही थी और बीच बीच में फायर भी हो रहे थे  और दोनों जगह के माइक से अपने अपने नेता के बारे की आवाज सुनाई पड़ रही थी । मैने देख लिया की पहले शेड में पार्टी के पुराने नेता बाबू सिंह के बेटे जो लंबे समय से पार्टी में काम कर रहे थे वीरेश यादव का खेमा जमा था तो दूसरी जगह अभी हाल में पार्टी के आए और राम गोपाल यादव जी के कृपपात्र महेश यादव का खेमा जमा था और वातावरण में तनाव था।  दोनो पक्ष अपने स्टेज पर ले जाना चाहते थे । पर मैने अपने दिमाग में रणनीति तय कर लिया और पहले शेड के पास गाड़ी रोक कर कल्याण जैन की को उतार दिया की आप इनके मंच पर चलिए मैं अभी आता हूं । वीरेश को मैने धीरे से कहा की मैं अभी आता हूं और मैं दूसरे खेमे के मंच पर चल गया । इस खेमे ने अपने मंच पर मेरे आने को अपनी जीत समझ लिया और नारेबाजी और ज्यादा जोश में होने लगी तो मैने माइक अपने हाथ में ले लिया। मैने जोर से पार्टी की जिंदाबाद और मुलायम सिंह यादव जिंदाबाद का नारा लगाया और आदेश कर दिया की इन दो के अलावा कोई भी नारा लगा तो उसे अनुशासनहीनता मानी जाएगी । और उसके बाद कुछ पार्टी की बात कहते कहते मैने इस बात पर एतराज जताया कि दो जगह सम्मेलन क्यों आयोजित हुआ । इसका कोई जवाब नहीं मिला तो मैने कहा कि पार्टी का संगठन उस जगह बैठा है और पार्टी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी के सदस्य आदरणीय कल्याण जैन जी भी वहां बैठे है इसलिए पार्टी की परम्परा और कायदा कहता है कि सबको उसी जगह चलना चाहिए । जो अलग सम्मेलन करेगा उसके खिलाफ मै अभी कार्यवाही करूंगा और पार्टी से निकालने की घोषणा इसी वक्त कर दूंगा । इतना कह कर मैने कहां की मेरी अपील है कि जो लोग मुलायम सिंह यादव के सच्चे सिपाही हो वो सब लोग मेरे साथ वही चले और जो मुलायम सिंह यादव का नुकसान करना चाहते हो वो अलग रहे । फिर मेरे पीछे सारे लोग वीरेश यादव द्वारा आयोजित शेड की तरफ आ गए । 
वहा पहुंचते ही मैने फिर माइक ले लिया और कुछ निर्देश दिया कि कोई  भी मुलायम सिंह यादव और समाजवादी पार्टी के अलावा नारा नहीं लगाएगा और लगाएगा तो खुद को पार्टी के बाहर मान ले इसी वक्त से , दूसरा कोई फायरिंग नही करेगा । सब अपने हथियार नीचे रख ले जिससे किसी फोटो में न आए । सम्मेलन कैसे चलेगा ये बता कर मैने कहा कि वीरेश और महेश पहले गले मिले और सम्मेलन खत्म होने पर भी नारे को लेकर तथा फायरिंग को लेकर जो मैने कहा है वहीं नियम लागू रहेगा । मैं कार्यक्रम खत्म होने पर दोनों की चाय पियूंगा और उस चाय में दोनों को शामिल होना होगा । फिर विधिवत कार्यक्रम हुआ और कार्यक्रम समाप्त होने पर भी सबने अनुशासन बनाए रखा । जब सम्मेलन के बाद हम आगरा के लिए निकले तो कल्याण जैन जी ने बताया कि उस माहौल और फायरिंग के कारण वो तो बहुत डर गए थे बल्कि उनके पैर कांप रहे थे । फिर मुझसे पूछा कि मैने कैसे किया कि सब एक जगह आ गए ।

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