सोमवार, 4 नवंबर 2024

पहली कार्यकारिणी जब पार्टी छोड़ने का मन बना लिया था

#जिंदगी_के_झरोखे_से

पार्टी की पहली राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक -उसी अवसर पर कार्यक्रम खत्म होते ही पार्टी छोड़ने का मन बना लिया था मैने 
और 
जब #बिहार वाले #पप्पू_यादव को चुपचाप बिना किसी की जानकारी के ठहराया था मैने और #मुलायम_सिंह यादव जी से मिलवाया था ।
1993 की बात है । समाजवादी पार्टी की स्थापना के बाद आगरा मे पार्टी की तीन दिवसीय बैठक होनी थी और उसकी पूरी जिम्मेदारी अकेले मेरे ऊपर थी । संसाधन थे नही तो मुलायम सिंह यादव जी ने आसपास के जिला अध्यक्षो को स्पष्ट निर्देश दे दिया था कि कौन कितनी मदद करेगा क्योकी 100 से ज्यादा लोगो का ठहरना , खाना , आवागमन , प्रचार ,शहर मे सजावट ,गेट होर्डींग इत्यादि तथा मीडिया का खर्च । दिन पास आते जा रहे थे और कही से पैसा नही आ रहा था ।मैने पहले ग्रांड होटल पूरा बुक कर दिया जिसमे एक हाल मीटिंग के लिए ,एक हाल भोजन के लिए ,एक छोटा हाल प्रेस के लिये ,एक और छोटा मीडिया सेंटर (जो उस समय तक किसी भी पार्टी ने नही बनाया था ) के लिए ,एक अपनी व्यवस्था सम्बन्धी चीजो और लोगो के लिए । इसी होटल का एक पूरा विंग मीडिया के लिए कर दिया था करीब 25 कमरे और मीटिंग हाल के ऊपर एक सुईट मुलायम सिंह यादव जी के लिए की अगर उन्हे किसी से मिलना हो या आराम करना हो और कुछ कमरे अन्य बड़े नेताओ के लिए , होटल का रेस्तराँ चूंकि चलना ही नही था तो वो सुरक्षा , खास आगंतुक लोगो के वेटिंग रूम के लिए इस्तेमाल किया ।
फिर होटल से सारी चीजो का विस्तार से तय हो गया ।
फिर शुरू हुआ बाकी इन्तजाम और मेरा हमेशा से तरीका रहा है की जहा तक हो सके लोगो से आवश्यक चीजे करवा लो ,पैसा मत लो और जिस चीजो के पैसा आप को ही खर्च करना जरूरी हो उतना ही लो तो सबसे पहले मैं अपने छात्र जीवन के दोस्त जो अब एक्सपोर्टर हो गए थे उनसे मिला तो उन्होने तुरंत हा किया और बोले की मेरे तो विदेश से बायर आते रहते है तो 4/5 कमरे हमेशा ही फाईव स्टार मे बुक रहते है उसी मे आप बता दो की महत्वपुर्ण कौन कौन है उतने कमरे मैं अपनी तरफ से करवा देता हूँ कल तक ही ।इस तरह ताज होटल का एक पूरा फ्लोर मेरे इस दोस्त ने बुक कर दिया जिसमे एक नम्बर सुईट था वो मुलायम सिंह यादव को 2 मे जनेश्वर जी 3 कपिलदेव बाबू 4 मे हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री हुकुम सिंह 5 आसाम के पूर्व मुख्यमंत्री गोलप बोरबोरा के लिए  6 किरणमय नन्दा और इसी तरह बाकी सब ।फिर एक दोस्त ने एक दिन क्लार्क शी राज मे ग्रैंड डिनर कर दिया ,एक डिनर मैने अपने घर रख दिया ,एक साथी ने  मीडिया के साथियो के लिए व्यवस्थाये कर  दिया । 
फ़ोन विभाग से अस्थाई फ़ोन करवा लिया मीडीता सेंटर के लिए और वही मीडिया के लिए फ़ैक्स और टाइपिंग की व्यव्स्था कर दिया ।फिर आवश्यकता अनुसार अनुमान से गाडिया किया । मेरे एक आयकर अधिकारी मित्र ने क्लार्क मे तीन कमरे करवा दिये तो एक मित्र होटल मालिक ने कुछ कमरे दे दिये ,एक मित्र पी सी एस अधिकारी भुवनेश्वर सिंह ने एक नया बना पूरा होटल ही करवा दिया सुरक्षा ड्राईवर और कुछ कार्यकर्ताओ के लिए ।इसी बीच मुलायम सिंह जी का फ़ोन आया की एक बड़े पत्रकार आ रहे है और उनकी जिद है की वो मुगल शेरटन मे ही रुकेंगे तो वहाँ जाकर उनके लिए कमरा करवाया जिसका बिल मुझे महंगा पडा ।
हर होटल मे कार्यक्रता की ड्यूटी लगाया तो किसी की पार्टी सम्बन्धी चीजे टाइपिंग करवाने की ,किसी को गाडी तथा पार्किंग और यातायात , किसी को केवल पूरे समय मीडिया के साथ रहने और व्यव्स्था देखने की इत्यादि इत्यादि और अपनी पत्नी को सब कोर्डीनेट करने की क्योकी पार्टी मे सब पढने वाले और कम उम्र के नौजवान थे 2/4 को छोडकर ।
अपने घर पर फ़ोन के पास एक चार्ट चिपका दिया जिसमे नेता का नाम, उसका होटल का नाम, उसका कमरा नम्बर , होटल का फ़ोन नम्बर ,उस होटल मे कौन कार्यकर्ता मिलेगा , अगर गाडी उस नेता को देनी है तो गाडी का नम्बर , ड्राईवर का नाम , मीटिंग स्थल का फ़ोन नम्बर , जरूरत पडने पर अलग अलग डाक्टर के नम्बर इत्यादि और मेरी स्व पत्नी ने ये काम बखुबी अंजाम दिया बिना किसी गलती के ।
दिल्ली गया और वहा बाराखम्भा रोड के एम्पोरियंम से ढूढ कर बहुत ही सुन्दर फ़ाईल लाया जिसमे पूरा चार्ट जो घर पर लगा था ताकी कर नेता को हर एक के बारे मे पता हो ,तीन दिन का मिनट टू मिनट कार्यक्रम और सहयता सम्बन्धी सभी नम्बर इत्यादि थे ।पंछी से सभी के लिए जाते वक्त देने के लिए पेठा और दालमोठ बुक कर दिया तो यादगार गिफ्ट के लिए ताजमहल ।
ये कार्यकारिणी 10 दिन पहले से अखबारो मे छ्पनी शुरू हुई और खत्म होने के कई दिन बाद तक किसी न किसी रूप मे देश और प्रदेश भर मे छपती रही ।हा एक अंग्रेजी अखबार की पत्रकार ऐसी भी थी जिन्होने हमारा कमरा और कोई सुविधा लेने से इंकार कर दिया और उनकी मैगजीन मे एक बडा लेख छपा जिसमे सारा वर्णन था तारीफ भी थी पर अन्ग्रेजी मे हेडींग था की समाजवाद पहुचा होटल मे, जिसकी मुझे उम्मीद भी थी ।उसके बात किसी भी मीटिंग का उतना प्रचार और प्रसार मैने नही देखा ।दूसरी बात थी तीन के कार्यक्रम मे कोई भी गफलत नही ,भ्रम नही , कोई अव्यवस्था नही , किसी कार्यक्रक मे परिवर्तन या देरी नही और एक कागज या अप्लिन भी कम नही पडा और न किसी चीज के लिए अचानक दौडना पडा ।सब कुछ पहले से दिमाग मे था और मौके पर होता था ।
कार्यक्रम की तारीख आ गई मैं व्यव्स्था मे दिन रात लगा था की कोई कमी न रह जाये तो जो नकारा लोग होते है और न किसी काम के होते है और न करते है वो कमिया निकालने मे व्यस्त रहते है और भाग भाग कर चुगली करते है ।
मेरी शायद ये कमी मानी जानी चाहिये की जो काम मिला लग कर उसे कर दिया ,उसकी रोज रिपोर्ट देना की क्या क्या हो गया ,क्या झन्डा गाड़ दिया या क्या मुसीबत झेल रहा हूँ और कर रहा हू इत्यादि मुझसे नही होता और हो जाने के बाद भी उसका व्योपक जिक्र करना या किसने नही किया या बुरा किया ये बताना भी नही होता हा जिन जिन ने जो थोडा भी किया उन सबको नेता से मिलवाना और उन सबकी खूब तारीफ करना जरूर करता रहा मैं जिससे मेरे सर पर पैर रख कर लोगो को बढने का भी मौका मिला और नेता को भी मुझे डाउन कर विकल्प खड़ा करने का मौका मिला ,दूसरा कभी भी किसी की भी बुराई ,चुगली और चापलूसी मे मेरा कोई विश्वास नही रहा ।
पर लोग मेरे साथ सारे हथकण्डे आजमाते रहे और आजमाते भी क्यो नही जब पार्टी के किसी बड़े का उकसावा और हाथ साथ हो ।
इसमे भी ऐसा ही कुछ हुआ और जब एक दिन पहले शाम को मुलायम सिंह जी को आना था तो दिल्ली के रास्ते पर मैं उनके स्वागत मे गया खुशी खशी बताने की सब इन्तजाम हो गया ।
सिकंदरा से आगे ज्योही मैं उनकी गाडी मे बैठा तो बहुत गुस्से मे थे मुलायम सिंह जी और तरह तरह के सवाल करने लगे मुझे रोना आने लगा ।हा ये जिक्र भी कर दूँ की इस कार्यक्रम मे फीरोजाबाद के महामंत्री ने 500 रुपया और विधायक ने 1000 रुपया कुल दिया था और बाकी किसी ने कुछ नही दिया दूसरा ये हो या अन्य सभी कार्यक्रम मैने अपने व्यक्तिगत दोस्तो की मदद से आयोजित किये हमेशा जिनका पार्टी और राजनीती से कोई सम्बंध नही था और सरकारे बनने के बाद भी कभी भी जरूरत पड़ने पर मैं उनमे से किसी का कोई काम भी नही करवा पाया ।
उस वक्त मन हुआ की गाडी रोक कर अभी उतर जाऊँ और साथ चल रही मीडिया को बता दूँ की मैं अभी पार्टी छोड रहा हूँ पर लगा की सारी जिम्मेदारी मैने खुद अपने ऊपर लिया था ऐसा करना ठीक नही बल्की आखिरी दिन शाम को पार्टी छोड़ने की घोषणा कर दूँगा क्योकी ये नेता तो कां कच्चा है और छोटी सोच का है तो इसके लिए कुछ भी कर लो कभी भी किसी की भी चुगली पर सब किया बर्बाद हो जायेगा और बाद मे हुआ भी ,काश तभी पार्टी छोड देता तो जिन्दगी के इतने साल बर्बाद नही होते और बीबी बच्चो को इतनी तकलीफे नही सहनी पड़ी होती  । साथ बैठे चौ हरमोहन सिंह मेरे चेहरे की तरफ देख रहे थे और शायद मेरा उस वक्त का भाव समझ रहे थे उन्होने कहा की राय साहब की बात भी तो सुन ले ।किसी इमानदार पर उंगली उठे या सच्चाई के साथ केवल काम मे लगे रहने वाले पर तो फिर पागलपन सवार हो जाता है ।
मैने तत्काल जवाब दे दिया यहा पार्टी है नही मैं बना रहा हूँ और कोई खजाना नही है न किसी का सहयोग सब अपने लोगो की मदद से कर रहा हूँ और जिसने जहा जो व्यव्स्था दे दिया कमरा हो या कुछ और उसी से काम चलाना मजबूरी है ।
फिर मैने व्यवस्थाओ का ब्योरा देकर कह दिया की बाकी सब कुछ लिखत पढत मे आप को अपने कमरे मे मिल जायेगा ।
उसके बाद बिल्कुल सन्नाटा रहा पूरे रास्ते ।ताज होटल पहुच कर मैने वहा वाले ड्यूटी के कार्यकर्ता को मिलाया की ये पूरे समय यही रहेगा और सब देखेगा और कमरे पर पहुचा कर मैं बाहर से ही चला गया ।
अगले दिन सुबह बैठक शुरू हुई ।परम्परा ये है की आयोजक प्रारम्भ मे सबका स्वागत करता है ,मीडिया के फोटो सेशन का हिस्सा रह्ता है और समापन पर आभार व्यक्त करता है और कोई कमी इत्यादि के क्षमा की नौटंकी इत्यादि ।
पर मैं दोनो ही अवसर पर बाहर ही रहा और नश्ता लन्च डिनर जिसमे एक मेरे निवास पर था पूरी कार्यकारिणी का और कवि गोष्ठी भी थी उसके अलावा मुलायम सिंह से मिलने ही नही गया हा बाकी सभी के कमरे मे जाता सभी के और सबका सुख दुख पूछना और कोई आदेश पूछना चलता रहा ।
मुलायम सिंह भी समझ गए थे तो जब भी मौका लगता वो इन्तजाम की तरीफ करते मुझसे बात करने की कोशिश करते और कहते की इतना सब कैसे कर लिया आप ने और मैं जवाब नही देता ।फिर दूसरे दिन मेरे घर के डिनर मे वो परिवार से मिलने के लिए घर मे चलने लगे तो उन्होने अपने व्यवहार पर खेद व्यक्त किया और भविष्य मे न करने के साथ यह भी याद दिलाया की उन्होने तो मुझे दिल्ली भेजने का फैसला कर रखा है अगला मौका आते ही और पिछ्ली बार एक ही सीट थी इसलिए वादा पूरा नही कर पाये थे इत्यादि ।फिर भी मेरा मन भारी ही रहा ।उस वक्त की तीन दिन की फोटो मे मैं शायद ही कभी हँसता या मुस्कराता दिखा हाऊँगा ।
खैर इसी बीच कही से खबर आई की बिहार वाले पप्पू यादव मुलायम सिंह जी से मिलना चाहते है और ये गोपनीय है तथा वो पार्टी से जुड़ेंगे ।
मैने पप्पू से बात किया और उनको रात को आगरा बुलाया और मीटिंग हाल को ऊपर जो कमरा मुलायम सिह के लिए रखा था उसी के बगल मे पीछे साइड के दो कमरे उनको और उनके लोगो को दे दिया और ये की वो वापस की अब कल रात को ही जाये और मैं दिन मे मिलवा दूंगा । दूसरे दिन मैने मुलायम सिंह जी को चुपचाप ये बता दिया की आप के बगल के फला रूम मे पप्पू को रुकवाया है मैने । थोडी देर मीटिंग चलने के बाद मुलायम सिह जी ने मुझे बुलवाया और बोले की बाथरूम जाना है और किसी से मिलना भी है तो चलिये बताईए किधर है कमरा और मेरे साथ ऊपर जाकर पप्पू से मिले ।किसी को कानोकांन खबर नही हुई पप्पू आये और चले गए और फिर पार्टी से जुड़ भी गए ,।हा फिर जहा भी मिले बडा भाई कह कर लोगो से परिचय करवया और पूरा सम्मान दिया ।थोडी देर बात कर मुलायम सिंह जी फिर नीचे मीटिंग मे आ गए ।
खैर पूरी सफलता के साथ मैं ये आयोजन करने मे सफल रहा और आखिरी दिन जब मुलायम सिंह को विदा करने गया तो उन्होने पूछा की जिन लोगो को बोला था किस किस ने क्या मदद किया तब मुझे बताना पडा की सिर्फ डेढ़ हजार रुपया पार्टी का योगदान है और करीब इतना कुल खर्च जो आगे पेमेंट करना है और ये तब जबकी ये ये इन्तजाम मेरे फला फला दोस्तो ने किया और मैने क्लार्क के लंच मे भी आप से उन लोगो को मिलवाया था और सबका योगदान बताया था जी की कैश के रूप मे नही बल्की काम के रूप मे है और अब मीटिंग वाले होटल का पूरा पेमेंट नाश्ता इत्यादि के साथ ,मीडिया सेंटर सम्बंधी पेमेंट ,गाड़ियो का और मुगल होटल का करना है तब वो बोले की लखनऊ पहुच कर सबको टाइट करता हूँ और जिसने जो बोला वो देकर जायेगा ।इसके बाद एक हफ्ता हो गया और कोई नही आया और शहर मे मेरि साख का सवाल था तो मैने अपने साथ रहने वाले तुलसीराम से बात किया कि क्या किया जाये वो बोले की नेताजी के पास जाईये और बात करिये पर मैं नही गया तो तुलसीराम जी ने कुछ हजार रुपये अपने पास से दिये की थोडा सहयोग मेरा भी ले लीजिये पर देना बहुत ज्यादा था तो  आगरा के आर बी एस कालेज के पोस्ट आफिस मे जाकर #बेटियो के नाम जमा #एनएससी ले जाकर  तुड़वाया और  तुलसीराम यादव के साथ  जाकर सब पेमेंट किया ।
जबकी परिवार मे एक का एक पद ले लिया तो उसने मुलायम सिंह जी से सब ले लिया और उनको दूध की मक्खी की तरह निकाल फेका ,एक को एक पद से हटाया और फिर बना भी दिया तो वो षडयंत्रकारी हो गया ,एक के कुछ मंत्रालय कम हुये तो वो बगावत कर बैठा और वो तमाम जो शायद कही क्लार्क भी नही बन पाते और मुलायम सिह के कारण क्या क्या बन गए और करोड़पति भी उनमे से कोई भी मुलायम सिह जी के साथ उस वक्त नजर नही आया और एक हम जैसे मूर्ख लोग है जिनकी जिन्दगी का बहुमूल्य समय गया , मेहनत के साथ धन भी गया ,दो दो बार घर बिके कुछ नही मिला फिर भी रिश्ता निभा दिया इस बुरे वक्त तक भी ।
सचमुच हम जैसे लोग बहुत मूर्ख है वर्ना बार बार सच जान कर कौन पत्थर से सर मारता रह्ता है की पत्थर से भगवान निकलेंगे । सगे परिवार और जाती के लोगो ने तो नही माना और जब भी धोखा दिया इनके अपनो ने ही दिया और इन्होने अपने वफादारो को जो गैर थे उनको दिया 
इस कार्यकारिणी के चंद दिन बाद ही सरकार बन गयी और तब से आगरा लकी मान लिया गया पर फिर  जब तक सरकार रही पार्टी के पद भंग और मुलाक़ात बंद । 
जो सिर्फ चुगली और चापलूसी करते रहे और उस वक्त किस हालत मे थे नही लिखूंगा वो सब सैकड़ो करोड़ वाले बने एम पी एम एल सी और मंत्री बने और अब लात मार मार कर सत्ता पार्टी मे आज भी ।सब पिछड़े वर्ग के ही है । 
अभी तो बहुत पिक्चर बाकी है ।

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