सोमवार, 4 नवंबर 2024

जो ज्यादा वोट से जिताएगा वही रखेंगे

 जो ज्यादा वोट से जितायेगा वही सीट रखेंगे | जसवंतनगर हार कर जीते | 


१९९३ की बात है | समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी का समझौता हो चूका था |  मुलायम सिंह यादव जी और काशीराम जी की रैली मैनपुरी से शुरू होकर आगे बढ़ चुकी थी | नारा लगाने लगे थे नीचे के कार्यकर्ता की " मिले मुलायम काशीराम .हवा में उड़ गए जयश्रीराम राम " और इसका असर व्यापक तौर पर दीखने लगा था | चुनाव शुरू हो गया था | मैं दूसरे एपिसोड में लिख चूका हूँ की कैसे इस बार भी मेरी चुनाव लड़ने की इच्छा पूरी नहीं हो पायी की आप अपनों एक सीट पर फंस जायेंगे जबकी आप पचासों सीटो पर सभाए करते है तथा मीडिया सहित अन्य काम भी सम्हालते है | एक एक दिन में कम से कम दस से लेकर १५?१६ सभाए होंने लगी | जहा अन्य डालो की सभाए देर में शुरू होती थी तो समाजवादी पार्टी की मुलायम सिंह जी की कई सभाए तो सुबह ८ बजे ही शुरू हो जाति थी | खुद मैंने एक दिन आगरा से  जाकर सुबह ८ बजे फरूखाबाद की रैली से दिन शुरू किया था | तय येर हुआ था जिस दिन मेरी अलग सभाये या और कोई काम नहीं होगा और मुझे मुलायम सिंह जी के साथ सभाओं में रहना होगा तो  पहली रैली मे हम दोनों साथ रहेंगे और पहली सभा में अपना भाषण कर मैं अगली सभा की तरफ निकल जाऊँगा तथा वहा मेरे पहुचने पर माइक मुझे दे दिया जाएगा और मैं अपना भाषण पूरा करूँगा तथा मुलायम सिंह जी के वहा पहुच जाने पर मैं अगली सभा में चला जाऊंगा और यही क्रम चलता रहता था | आखिरी सभा हम लोग साथ करते और फिर आगे अपने अपने गंतव्य की तरफ बढ़ जाते या जहा खाने की व्यवस्था होती वहा चले जाते थे | 

एक दिन हमारी सभा एटा के निधौलीकला से शुरू हुयी जहा खुद मुलायम सिंह जी चुनाव लड़ रहे थे | मुलायम सिंह जी इस बार तीन क्षेत्रों से चुनाव लड रहे थे | निधौलीकला के आलावा शिकोहाबाद और अपनी सीट जसवंतनगर से भी | सभी सभाओं में मेरे  दिमाग में पता नहीं क्या आ गया की मैंने अपने भाषण में कह दिया की जो ज्यादा वोट से जितायेगा मुलायम सिंह जी वही सीट रखेंगे | उस दिन निधौलीकला से एटा में सभा करते हुए हम लोग फिरोजाबाद और फिर शिकोहाबाद पहुचे | यहाँ की सभा के बाद जसवंतनगर की सभा में पहुचे | जसवंतनगर में सभा में भरी भीड़ थी | पर मैं जब भाषण दे रहा था तो मैंने उन वक्तव्यों पर जिसपर जनता झूम जाति थी और नारे लगाने लगती थी उस सभा में मुझे वो जोश नहीं दिखा और भीड़ का एक हिस्सा बस तमाशबीन जैसा लगा \| अपना भाषण देने के बाद मैं बैठा तो मेरे मुह से निकल गया की जसवंतनगर में मुझे हालात कुछ अच्छे नहीं लग रहे है | मेरी ये बात मुलायम सिंह जी तो नहीं सुन पाए नारे के के बीच पर मेरे बगल में बैठे हुए मोहन प्रकाश जी जो अब  कांग्रेस के देश के बड़े नेता है ,बीच में राष्ट्रीय महासचिव् और प्रवक्ता भी रह चुके है उन्होंने सुन लिया | उस दिन के दौरे में यहाँ तक वो भी साथ थे और फिर उनको दिल्ली जाना था | मोहन प्रकाश जी ने मुलायम सिंह के बैठते ही ये बात उनको बता दिया की सी पी राय तो कह रहे है की यहाँ हालत ठीक नहीं लग रही है | मुलायम सिंह जी ने मुझे घूर कर देखा और बोले की इतनी भारी भीड़ सुनने आई है तो हालत कैसे ठीक नहीं है तो मैंने कहा की भाईसाहब जरा दिखावा लीजियेगा ,मुझे ऐसा ही एहसास हुआ है तो मुलायम सिंह जी गंभ्जीर हो गए और तब तक उनका बोलने के लिए नाम पुकार दिया गया था |

जब वोटो की गिनती हुयी तो मुलायम सिंह जी बाकि दोनों जगह से जीत गए पर जसवंतनगर से प्रारंभ में ८०० वोट से हार की घोषणा हो गयी जबकि पूरे प्रदेश में सपा बसपा गठबंधन बहुमत प्राप्त कर रहा था | जसवंतनगर में वोटो की गिनती दुबारा हुयी तो मुलायम सिंह जी संभतः ११०० वोट से जीत गए | 

जसवंतनगर की सभा से आगे मैं नहीं गया था क्योकि उसके बाद आगरा की चार सभाए थे और वो मेरा जिला था तो मुलायम सिंह जी ने कहा था की मैं साथ ही रहू और अपना भाषण  थोडा छोटा कर दूँ | जसवंतनगर के बाद आगरा में बाह में , फतेहाबाद ,कलाल खेरिया और अंत में लालकिले के पास अम्बेडर पार्क में रात को १० बजे के बाद सभा हुयी | उस समय तक प्सरचार और सभाओं पर इतनी पाबंदिया नहीं थी | उस  दिन हम लोगो ने कुल १६ सभाए किया था | मुलायम सिंह जी ने कहा की खाना कहा खिलावोगे | ऐसा करो की [अपने रिश्तेदार का नाम लेकर बोले जो शिवपाल यादब के साले लगते थे और उनका होटल तथा बार था ]उनको खबर कर दो की हम लोग इतने लोग खाना खायेंगे और फिर मैं इटावा निकल जाऊँगा | मैंने कहा की मैं किसी कार्यकर्ता को अभी भेज दे रहा हूँ पर मैं आप के रिश्तेदार के होटल पर नहीं जाऊंगा | तो उन्होंने करण पुछा | मैंने कहा की आप के रिश्तेदार है इसका मतलब मेरे कार्यकर्ताओ से बत्तमीजी करेंगे क्या और एक दिन एक कार्यकर्ता के साथ हुयी घटना मैंने बता दिया | तब वो बोले की फिर कहा खिलावोगे | साथ में इतनी सुरक्षा और स्टाफ है इसलिए आप के घर इस वक्त इंतजाम नहीं हो पायेगा | मैंने कह की मेरे ऊपर छोड़ दीजिये | उन्होंने बताया की अगले दिन उनका  पूरब का कार्यक्रम है और आप बाकि जगहों की सभाए कर लीजियेगा | डाक्टर कौशल ने वही कह दिया की सी पी राय को आगरा के लिए भी दो तीन दिन के लिए छोड़ दीजिये वर्ना यहाँ अभी चुनाव व्यवस्थित नहीं हो पा  रहा है | 

मैंने अपने सहयोगी तुलसीराम यादव को नीचे से सीढियों के पास बुलाया और उनको निर्देश दिया की वो मेरे घर जाकर मेरी पत्नी से इतने पैसे ले ले और फिर आगरा शहर के बाहर कानपूर रोड पर बुढिया के ताल के पास के ढाबे पर चले जाए और करीब २० लोगो के लिए देशी घी में फला फला चीज बनवाये पर ये बिलकुल न बताये की किसके लिए खाना बन रहा है और खाना अपने सामने ही बनवाये | तुलसीराम ने वाही किया | मुलायम सिंह जी ने मुझसे धीरे से कहा की केवल उम्मीदवारों को भी वहा बुला लीजिये | मैंने सभी उम्मीद्वारो को चुपके चुपके बता दिया की केवल वो लोग सभा के बाद फला ढाबे पर पहुचे | सभा के बाद उस ढाबे पर रात १२ बजे तक खाना और बातचीत हुयी तथा उम्मीदवारों को मुलायम सिंह जी ने कुछ आर्थिक मदद किया | जो उम्मीदवार नहीं थे उनका पैसा मुझे दे दिया की मैं उन  लोगो को दे दूँ | उसके बाद मुलायम सिंह जी इटावा  निकल गए और मैं रात को ही कुछ जरूरी काम निपटाने सादाबाद चला गया जहा से दो बजे रात को घर पंहुचा | 

चुनाव पर परिणाम निकल गया था और सरकार बन गयी थी | सवाल वही था की मुलायम सिंह जी कौन सी सीट रखे तो उन्होंने बयान दिया की उनको तो जसवंतनगर से प्यार है पर चूँकि सी पी राय ने कह दिया था की जो ज्यादा वोट से जितायेगा वही सीट रखंगे इसलिए मैं शिकोहाबाद की सीट रखूँगा | निधौलीकला ने ६५०० वोट से जिताया था और शिकोहाबाद ने १८ हजार से ज्यादा वोट से जिताया था | जसवंतनगर से शिवपाल यादव विधायक हुए तो निधौलीकला से जिसको मुलायम सिंह जी ने हराया था उस अनिल सिंह यादव को ही पार्टी में शामिल कर टिकेट दे दिया था | 

इसके बाद की कुछ कहानिया और भी है की सत्ता बनाने के बाद कैसे एक दिन मुझे हर कोई ढूढ़ रहा था और फिर मैं पहुचा तो मुलायम सिंह जी मुख्यमंत्री कार्यालय से जा चुके थे लेकिन उनके सचिव पी एल पुनिया जी मिले और एक कागज देखने को मिला जिसमे तीन नाम लिखे थे | पहला नाम मेरा था और दो अन्य | वो दोनों तो जोम पद लिखे थे वो पा गए पर मेरा नाम हवा में विलीन हो गया | फिर इस सरकार में रामपुर तिराहा हुआ ,.,हल्ला बोल हुआ जिसका पार्टी में अकेले मैंने विरोध किया और पार्टी से निकाल दिया गया | लिख सका तो इसी किताब में होगा वर्ना अगली किताब में रहेगा क्योकि कहने को बहुत कुछ है जो बाकि है | 


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