#ज़िंदगी_के_झरोखे_से
#अमेरिका_के_नासा_से
अमेरिका मे मैने नासा मे मैने काफी समय बिताया अपनी जानकारी बढाने के लिए ।
अमरीका ने नासा को गोपनीय जगह रखने के बजाय टूरिस्ट स्थान बना दिया है और रोज हजारो लोग वहा आते है जिससे हजारो डालर की आय होती है और देश के बच्चो को ज्ञान तथा प्रेरणा भी मिलती है ।नासा मे दो हिस्से है एक उनका म्युजियम जिसमे पुराने स्पेस यान रखे है तो ऐसा भी की आप उसके सारे हिस्से देख सके ,स्पेस सूट है जो स्पेस के यात्री पहनते है तो उनका बाथरूम भी, कई हाल है जिसमे अलग अलग तरह की पिक्चर लगातार चलती रहती है और स्पेस के बारे मे बताती है तो पूरी स्पेस यात्रा के बारे मे भी और हर कदम ,हर असफलता और जो बुरा हुआ वो भी पूरा बताती है तो सफलता किस किस तरह और किस किस चरण मे मिली वो भी बताती है ,जिन्होने अपनी जान कुर्बान किया उनके बारे मे बताती है तो देश ,समाज और सत्ता के योगदान ,चिंता और चिंतन तथा अभियान के लोगो के साथ पल पल खड़े रहने के बारे मे भी बताती है और इन अभियानो पर खर्च के बारे मे भी ।
फिल्मे ऐसी बनायी गई है जो भयभीत नही करती ,निराश नही करती बल्की दर्शक जिसमे अधिकतम छात्र और नौजवान होते है उनको हिम्मत देती है और प्रेरणा भी ।
इसी मे एक बिल्कुल स्पेस शिप है जिसमे बैठ कर आप पूरा वही अनुभव पाते है ,झटके और शोर भी जी असल स्पेस शिप मे उड़ने पर मिलता है ।
इसमे बैठने से पहले बता दिया जाता है कि हार्ट पेशेंट, और कमजोर दिल वाले इसमे न बैठे और वही लाईन मे लगी बडी संख्या हट जाती है । मुझे भी नासा मे आने के पहले ही बता दिया गया था कि मैं इस शिप मे न बैठू । बैठते वक्त ऊपर की जेब की सारी चीजे निकाल देने को बोला जाता है क्योकी शिप के सीधे ऊपर तरफ होने पर गिर सकती है ।
मैने दुस्साहसी होने के करण सारे सुझाव दरकिनार कर इस शिप मे बैठना तय किया । सचमुच जबर्दस्त अनुभव रहा ये ।
नासा को दूसरा हिस्सा उनका असली लांच पैड है जहा से प्रक्षेपण होता है । पहले हिस्से से वहा के लिए बस चलती है लगातार और वहा जाने के लिए सुरक्षा चौकियाँ पार करना होता है पर फोटो खीचने की कोई पाबंदी कही भी नही है ।पूरा दिन कम पड़ जाता है इसलिए जगह कैन्टीन भी बनी है जहा आप खा पी सकते है और दुकान भी जहा से मोमेंटो खरीद सकते है ।
मैने वहा बच्चो मे ललक देखा और वापसी मे एस्ट्रोनोट बनने की इच्छा व्यक्त करते हुये सुना ।
बच्चो को इस तरह मोटीवेट किया जाता है और भविष्य के लिये गढा जाता है ।
गढ तो हम भी रहे है किसी धर्म नाम की चीज के लिए मरने और मारने को और देश तथा समाज नही बल्की ईंट गारे का धर्मस्थल बनाने को ।
और
भारत मे प्रचारित एक बात और स्पष्ट कर दूं की पूरे नासा मे कही कोई संस्कृत नही जानता और न प्रयोग ही की गई संस्कृत वहा । फ़ोन भर गया है तो आज खाली करने के पहले ये पोस्ट डाल रहा ताकी जिन लोगो की हिन्दू मुसलमान पाकिस्तान से अलग बच्चो के भविष्य मे कोई रुचि हो वो अपने बच्चो को और अधिक से अधिक बच्चो को ये शेयर कर सके ।
फोटो मे कई ऐसे भी है जिसमे जानकारिया लिखी हुयी है वो शायद बच्चो के काम आ सके ।लेखक और टीचर अपना काम तो कही भी नही छोड पाता है ।
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