#जिंदगी_के_झरोखे_से
ध्रुवलाल यादव दारोगा जी आये है कुर्सी छोड दो -
मुलायम सिंह यादव जी को दरोगा और पुलिस से बहुत प्यार रहा है ,उसी का एक किस्सा है ये ।
हम लोग सत्ता से बाहर थे और कार्यक्रम बहुत करने लगे थे और दौरे भी ।
ऐसा ही एक कार्यक्रम लगा फीरोजाबाद का, वहा जैन मन्दिर प्रांगण मे चौ हरिमोहंन सिंह यादव के स्वागत का कार्यक्रम था जिसमे मुलायम सिंह यादव जी मुख्य अतिथि थे । प्रदेश महामंत्री ,एक मात्र प्रवक्ता था और सब जगह साथ जाना होता था तो इस कार्यक्रम मे भी था ।
कार्यक्रम के बाद फीरोजाबाद के रईस जैन साहब ने अपने घर पर खाना रखा था और वही मैने प्रेस बुला लिया था ।प्रेस के बाद खाना हुआ और हम लोग बात करने तथा जो लोग मिलना चाहते थे उनसे मिलने के लिए वही बैठ गए ।उस जमाने मे दारोगा ध्रुव लाल यादव की बहुत चर्चा थी अलग अलग कारणो से ।बाद मे एक एनकाउन्टर मे वो मारे भी गए जो रहस्य ही रह गया ।क्योकी चर्चाये कुछ और भी हुई ।
अचानक कोई आया की ध्रुव लाल यादव आ रहे है ।
ये बात बताना जरूरी है कि मैने फीरोजाबाद एकमात्र शहर देखा जहा लोग कार्यक्रमो का मुख्य अतिथि उस जमाने मे किसी वी आई पी , साहित्यकार , डी एम, एस पी को नही बल्की दक्षिणी थाने के थानेदार को ही बनाते थे ।
ध्रुव लाल प्रकट हुये तो कोई कुर्सी खाली नही थी । मुलायम सिंह यादव ने ने मेरी तरफ कुछ इस तरह देखा की मैं उनके लिए कुर्सी छोड दूँ पर मैने अनदेखा कर दिया और बगल मे बैठे विधायक से बात करने लगा ।
2 मिनट ही उनको खड़ा रहना पडा होगा कि सेठ जी के एक रिश्तेदार सेठ और फीरोजाबाद के एक नेता ने कुर्सी छोड दिया और विनम्रता से अपनी अपनी कुर्सी पर बैठाने के लिए पूरी जद्दो-जहद कर दिया ।
इस पोस्ट का मतलब है भी और न समझे तो नही भी है ।
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