गुरुवार, 21 जनवरी 2021

क्या अमरीका से दुनिया को कोई सबक़ मिलेगा ?

क्या अमरीका से दुनिया को कोई सबक़ मिलेगा ?

एक ग़लत फ़ैसला देश को कहा पहुँचा देता है और व्यवस्था तथा समाज को कितना छिन्न भिन्न कर देता है ? कोई अयोग्य और ग़लत व्यक्ति किसी नारे या भावना में सत्ता तो पा सकता हैं पर उसके योग्य वो सफल लोगों का अनुसरण कर , योग्य लोगों से सलाह कर और सबको साथ लेकर तथा ख़ुद को उसके liye बदलने की इच्छा से ही सिद्ध कर सकता है । ये अमरीका ने २० जनवरी २०१७ से २० जनवरी २०२१ तक देखा और दुनिया के कई देश अभी भी देख रहे है 
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आज अमेरिका का दिन है ।आज लोकतंत्र का दिन है ।आज अमरीकी एकता का दिन है ।मैं पूरे अमरीका का राष्ट्रपति हूँ । अब सबकी बात सुनी जायेगी और सबके लिये किया जायेगा । मतभिन्नता हो सकती है पर विभाजन नही ।अमरीका मे किसी भी तरह के और किसी भी आधार के नफरत के लिये जगह नही है । हमारे विचार अलग हो सकते है पर हम सब पहले और अन्त मे अमरीकी है ।हमारे सामने पहले भी चुनौतिया आयी है और हमे विभाजित तथा कमजोर करने वाली ताकते नई नही है पर अमरीका ने हमेशा इन पर जीत हासिल किया है । पिछ्ले दिनो जो हुआ वो अमरीका की 200 साल से ज्यादा की परम्पराओ और लोकतंत्र पर हमला था पर अब ये दुबारा नही होगा और कभी नही होगा । हम ताकत के उदाहरण से नही बल्की उदाहरण की ताकत से चलेंगे ।
आज अमरीका मे 46 वे राष्ट्रपति जॉय बिडेन ने राष्ट्रपति पद की शपथ लेने के बाद कुछ इस तरह से देश को संबोधित किया और आश्वस्त किया कि अमरीका अपनी सभी चुनौतियों पर एकजुट रह कर विजय पायेगा और पूरा अमरीका एक होकर लडेगा वो चाहे अभी की आपदा हो या रोजगार का सवाल हो या आने वाली पीढियो के भविष्य का सवाल और उनके लिये समर्थ तथा सक्षम अमरीका बनाने का सवाल हो ।
इसके पहले आज पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने 19 वी शताब्दी से अब तक की परम्परा को दरकिनार करते हुये राष्ट्रपति के शपथ ग्रहण समारोह में हिस्सा नही लेने का फैसला किया और पहले ही राष्ट्रपति भवन वाइट हाउस छोड गये । मैने पिछ्ले साल ट्रम्प की शपथ के दिन ही जो उनके बारे मे लिखा था पूरी तरह सही साबित हुआ ।
यद्दपि सिस्टम ने उनको सम्मानजनक तरीके से और स्थापित परम्परा से ही विदा किया जिसमे उन्हे गार्ड ऑफ आनर देने से लेकर उनकी मर्जी से स्थान तक उसी सम्मान से पहचाने तक सब हुआ पर जहा वाइट हाउस पर मुश्किल से 100/200 लोग थे वही जहा गार्ड ऑफ आनर के बाद ट्रम्प ने अपना आखिरी सम्बोधन दिया वहा भी मुट्ठी भर लोग ही आये और उनके विदाई कार्यक्रम मे खुद उनकी ही पार्टी का कोई मह्त्वपूर्ण व्यक्ति शामिल नही हुआ ।
जबकी बिडेन के शपथग्रहण मे जॉर्ज बुश, बिल क्लिंटन ,ओबामा सहित कई पूर्व राष्ट्रपति और वर्तमान उप राष्ट्रपति पेंस,तमाम विदेशी मेहमान सहित वो  तमाम लोग मौजूद थे जो ऐसे अवसर पर होते है ।
ये अलग बात है कि ट्रम्प के द्वारा करवाये गये हुडडंग के कारण पूरा समारोह स्थल इस बार छावनी बना हुआ था तो कोरोना के कारण हर बार की तरह लाखो की भीड वाला कार्यक्रम नही था और व्यवस्थाओ मे कटौती कर दी गई थी ।
अमरीका ने एक नया इतिहास भी बनाया इस बार ।200 साल से ज्यादा का लोकतंत्र होने के बावजूद आज तक कोई महिला राष्ट्रपति या उप राष्ट्रपति नही हुयी थी जो इस बार हो गया और वही कमला हैरिस के शपथ के साथ पहले अमरीकी एशियायी ने भी इतना बड़े पद पर बैठने का सौभाग्य पाया ।
आज देश को संबोधित करते हुये बिडेन खुद भी भावुक थे और लोगो को भी उन्होने भावुक किया और उनका लगातार जोर अमरीका की एकता , अमरीका के संविधान की सर्वोच्च्ता और लोकतंत्र की रक्षा तथा उसकी मजबूती पर था ।
चुकी अमरीका के राष्ट्रपति का शपथग्रहण था तो पूरी दुनिया की निगाह उसपर थी और संदेश भी स्प्ष्ट था लोकतंत्र के प्रति प्रतिबद्धता और संविधान की रक्षा । शायद दुनिया मे लोकतंत्र और संविधान से खिलवाड़ करने की इच्छा रखने वालो को कुछ सबका मिला होगा और ट्रम्प के प्रति अमरीका के व्यवहार ने भी शायद चेतावनी का काम किया होगा की व्यव्स्थाओ  , संस्थाओ ,  मान्यताओ , परम्पराओ लोकतंत्र, संविधान से खिलवाड़ आप को किस स्थिति मे पहुचा सकता है ।
डा सी पी राय

आज की दुनिया एनर्की अहंकार और तानाशाही के खिलाफ है

आज की दुनिया अहंकार , तानाशाही , अव्यवस्था और एनार्की के खिलाफ है ।
अमरीका के निचले सदन ने ट्रम्प खिलाफ आये महाभियोग का प्रस्ताव 197 के मुकाबले 232 वोट से पास कर दिया था ।
ट्रम्प शायद अमरीका के पहले राष्ट्रपति है जिनके चुनाव जीतते ही जो उन्होने इलेक्टौरल वोट से जीता था जबकी जनता के वोट मे उन्हे हिलेरी क्लिंटन से 65 लाख वोट कम मिले थे पर उनकी विवादास्पद घोषणाओ के कारन तमाम शहरो मे 50/50 हजार लोगो का शान्त जुलुस उनके खिलाफ निकला था ।
और शायद वो इकलौते है जिनके फौज के जर्नल ने कह दिया की वो अमरीका के संविधान को जानते और मानते है न की किसी ट्रम्प को तथा पुलिस के प्रमुख ने कह दिया की यदि उन्हे कोई कायदे की बात करनी हो तो करे अन्यथा अपना मुह बन्द ही रखे । पर ये भी शायद केवल अमरीका मे ही सम्भव है बल्कि भारत मे तो हम अभी कल्पना भी नही कर सकते की ऐसे कोई सत्ताधीशो को संविधान और कर्तव्य का आइना दिखा देगा ।
वो पहले अमरीकी राष्ट्रपति है जिनके खिलाफ दो बार ये प्रस्ताव लाया गया ।इनके पहले तीन राष्ट्रपतियो एन्ड्र जॉन्सन 1868 ,  बिल क्लिंटन 1998 तथा निक्सन के खिलाफ भी वाटर गेट पर महाभियोग आया था जिसमे निक्सन ने पद छोड दिया था और बाकी दोनो के खिलाफ भी कार्यवाही पूरी नही हुयी ।पूर्व मे ट्रम्प के खिलाफ भी आगे नही बढा महाभियोग क्योकी समर्थन नही मिला ।पर इस बार कांग्रेस मे खुद उन्ही की पार्टी रिपब्लिकन सांसदो ने भी महाभियोग का समर्थन किया और अब ये सीनेट मे विचार के लिये जायेगा जहा बदी कार्यवाही के लिये 100 मे 67 सांसदो की जरूरत होगी जो रिपब्लिकन के मदद के बिना नही होगा पर केवल बहुमत से उन्हे आगे किसी की ऐसे पद के लिये अयोग्य ठहराया जा सकता है पर इसके लिये अभी इन्तजार करना होगा ।वैसे नये राष्ट्रपति जो बिडेन ने आगे कुछ ज्यादा करने मे अरुचि दिखाया है और पूरे अमरीका को साथ लेकर चलने की बात किया है पर उनकी पार्टी सहित अमरीका मे महाभियोग को मुकाम तक पहुचाने पर जोर है ताकी फिर कोई ऐसी हिमाकत न कर सके जो पिछ्ले दिनो अमेरिकी संसद मे हुयी ।
अमरीका के राष्ट्रपति हो या पूर्व राष्ट्रपति उनका पद ग्रहण और विदाई बहुत ही गरिमा पूर्ण होती है जिससे ट्रम्प वंचित रहें ।
क्या ये सबक बन पायेगा दुनिया के उन तमाम नेताओ के लिये जो खुद और खुद की सत्ता को किसी भी तरह कायम रखना चाहते है और संस्थाओ तथा स्थापित परम्पराओ से ऊपर खुद को समझ कर उन्हे खत्म करने मे लगे हुये है । दुनिया बदल रही है और आज की दुनिया अहंकार , तानाशाही , अव्यवस्था और एनार्की के खिलाफ है ।
चीन ने अपने को लोहे की दीवार या आयरन कर्टेन मे कैद कर रखा था और वहाँ एक ही माओ कमीज और एक ही घड़ी नीचे से ऊपर तक सब पहनते थे पर चीन को वो लोहे की दीवार गिराना पडा और खुली अर्थवयवस्था की तरफ तथा दुनिया से व्यापार की तरफ कदम बढ़ाना पडा और दुनिया को चीन मे तथा चीनियो को दुनिया मे जाने आने की आज़ादी देनी पडी । चीन मे 1989 मे वहां के भ्रस्टाचार और तमाम समस्याओ के खिलाफ तिनमीन चौक पर हुये छात्र आन्दोलन पर गोली और टैंक सभी का प्रयोग हुआ और वहाँ लाशे ही लाशे थी पर आज उसी चीन के होंगकोंग मे लगातार आन्दोलन मे टैंक और गोली का इस्तेमाल 1989 की तरह नही हो पा रहा है ।
रुस मे गोर्बाचोव बहुत मजबूत नेता हुये और नोबल पुरस्कार भी पाया पर गलास्नोस्त और पेरोस्त्राईका के उनके फैसलो ने रुस की टुकडे टुकडे कर दिया और  उसके बाद के चुनाव मे भी गोर्बाचोव राष्ट्रपति पद के लिये खड़े हुये पर रुस की जनता ने उनको ऐसे अंजाम तक पहुचाया की आज उनका कही नाम ही नही है । आज की तारीख मे तानाशाही केवल नार्थ कोरिया जैसे छोटे देशो मे देखने को मिलती है पर वहां भी अभी तानाशाह ने जनता से खेद प्रकट किया की वो शायद जनता को मजबूत नही कर सके और उसकी आकांक्षाओ को पूरा नही कर सके ।पिछ्ले ही साल मैं ईरान मे गया था जिसे मैं तानाशाही मुल्क समझता था पर हमारे पहुचने के पहले ही वहा आन्दोलन हुआ था छात्रो का और वहा भी चुनाव मे तमाम दल हिस्सा लेते है ।
तानाशाही ,अव्यवस्था और एनार्की ऐसा और भी तमाम देशो का इतिहास रहा है ,पर किसी तरह अकारण ही सत्ता पा गये अयोग्य लोग आमतौर पर असफल होते है पर स्वीकार नही करते है , अपनी अयोग्यता अपने अहंकार से ढकने की कोशिश करते है और अपने देश का नुक्सान कर भविष्य के प्रति भयभीत होकर किसी भी तरह सत्ता मे काबिज रहने की कोशिश करते है और तब उनका परिणाम ट्रम्प और गोर्बाचोव जैसा होता रहा है और होगा भी ।
क्या ये अमरीका और ट्रम्प का सबक बन पायेगा नजीर और सबक दुनिया के उन तमाम नेताओ के लिये जो खुद और खुद की सत्ता को किसी भी तरह कायम रखना चाहते है और संस्थाओ तथा स्थापित परम्पराओ से ऊपर खुद को समझ कर उन्हे खत्म करने मे लगे हुये है ।
अमरीका मे तो अभी इन्तजार करना होगा 20जनवरी के बाद के एक दो महीने तक की अमरीका अपने भविष्य की चौकसी कैसे करता है और क्या बुनियाद रखता है तथा कैसी दीवार खड़ी करता है सख्त फैसले की कि फिर कोई ट्रम्प या तो सत्ता ही न पाये या ऐसी हिमाकत ही न कर पाये और न उसके आह्वान पर एनार्की फैलाने की कोई हिम्मत कर पाये ।
और निगाह रखना होगा ऐसे ही आचार विचार वाले दुनिया के अन्य लोगो पर भी कि बो सबक लेकर ठिठक जाते है या ऐसे मंसूबे पाले ही रहता है ।
भारत दुनिया का आबादी के हिसाब से सबसे बडा लोकतंत्र है जो परिपक्व होने के इन्तजार मे है पर उसपर ग्रहण लगाने की कोशिशे भी हो रही है ।अमरीका मे तो चुनाव लड़ने के लिये भी चुनाव होता है और नीचे स्कूल सिटी से लेकर हाई कोर्ट के जज से लेकर ऊपर तक चुनाव होता है और सर्वोच्च न्यायालय के न्यायधीश मनोनीत होते है फिर भी फूहड़ हरकते और राजनीतिक प्रतिबद्धता उनके कर्यो मे परिलक्षित नही होती पर भारत? 
आइये एक सुनहरे भविश्य ,सच्चे लोकतंत्र, कल्याणकारी राज्य और केवल संविधान तथा कानून के शासन के लिये आवाज उठाये और आवज उठाये अहंकार ग्रस्त नेतृत्व ,तानाशाही , हिटलर शाही , किसी भी तरह की एनार्की और आवश्यक संस्थाओ के निस्पक्ष्ता के लिये उनपर हमले के खिलाफ और इंसानियत के वजूद और स्वर्णिम भविश्य के लिये खडे हो ।

रविवार, 10 जनवरी 2021

आर एस एस और भाजपा के नाम आम भारतीय का पत्र

आरएसएस और भाजपा के नाम एक आम भारतीय का पत्र 

आदरणीय 

आडवाणी जी से मोदीजी तक हम किसी को देशद्रोही नही मानते ,तब भी नही माना जब आडवाणी जी ने पूरे देश को दंगे और नफ़रत की आग में झोंक दिया था हाँ शांति भाईचारा और संविधान विरोधी माना 
गुजरात जला पर किसी ने मोदी जी को देशद्रोही नही कहा पर इंसानियत द्रोही कहा 
बिना बुलाए पाकिस्तान जाने पर भी देशद्रोही नही कहा और न पुलवामा पर 
चीन को दे दिया १३०० वर्ग मील ज़मीन चुपचाप पर फिर भी किसी ने देशद्रोही नही कहा 
नोटबंदी की बर्बादी , जीएसटी का तमाशा , १५ लाख , दो करोड़ नौकरी , आधार , एफ डीआइ , पेट्रोल की क़ीमत , १०० दिन में काला धन , १०० दिन में महगाईं ख़त्म , १०० दिन में विशेष अदालत इत्यादि इत्यादि सैकड़ा मुद्दों का भूल जाना ,असत्य साबित होना और पलटू हो जाना पर भी हम आलोचना करते है और करते रहेंगे क्योंकि ये हमारा अधिकार भी है और लोकतत्र की तथा देश की रक्षा के लिए कर्तव्य भी पर देशद्रोही नही कहेंगे आप को अयोग्य और असफल और वादाद्रोही तो ज़रूर कहेंगे 
हा कहते है हम देशद्रोही इस पूरी जमात को आज़ादी की लड़ाई में इसकी ग़द्दारी वाली और अंग्रेज़परस्त भूमिका के लिए 
फिर भी सत्ता सौंप दी देश ने कि तब जो भी किया पर अब आओ आप भी भारत में कुछ नया सकारात्मक योगदान दो 
पर एक बार भी नही दे पाए और देश ने बुरे परिणाम पहले भी भोगे और अब भी भोग रहा है 
लड़ायी है हमारी इस बाटने वाली सोच से , लोकतन्त्र और संविधान विरोधी इरादे से , हर रोज़ की तमाशेबाज़ी से और तानाशाही प्रवृति से और केवल हम रहे बाक़ी सबको ख़त्म कर दे के इरादे से । 
और पहले जो कहा और उसका सब उल्टा कर रहे हो इस दोगलेपन से 
पर फिर भी हम आरएसएस या भाजपा और उसके लोगों को देशद्रोही न कहते है न कहेंगे 
क्योंकि सब हमारे भारत के बेटे है और ज़िम्मेदार या ग़ैर ज़िम्मेदार ही सही नागरिक तो है 
और इस नाते जो ज़्यादा बड़े है आडवाणी और जोशी जैसे लोग उनसे मिलने पर हम उन्हें पिता तुल्य सम्मान ही देंगे और मोदी जी से लेकर आसपास की उम्र वालो को बड़े भाई का सम्मान ही देंगे 
लेकिन हम आप को चीन का दोस्त पाकिस्तान का दोस्त और देशद्रोही बिलकुल नही कहेंगे 
और लड़ते भी रहेंगे की सम्हल जाओ , सुधर जाओ , संविधान और इस लोकतंत्र को स्थाई और सच्चाई मान कर स्वीकार कर लो और स्वीकार कर लो कि देश अब पाँच हज़ार साल पीछे नही जा सकता बल्कि औरों से पहले सौ साल आगे ले जाना है 
और अब जनता ने ही अगर मौक़ा दे दिया है तो इसके लिए काम करो और एक देश सबका है सबको मिला कर सबको लगा कर इस लक्ष्य की तरफ़ बढ़ो 
क्योंकि आप थोड़ा विचलित हो सिद्धांतों से हक़ीक़त से यथार्थ से 
पर देशद्रोही नही हो 
आओ चाचा लोगों और भाई लोगों बर्बाद करने के बजाय देश को बचाए और देश कि आगे बढ़ाए और जहाँ तक पहुँचाया है पिछली सरकारों से उससे कुछ आगे बढ़ाए । 
आप का मन आप जय श्री राम बोलो 
पर मुझे जय सिया राम बोलने दो 
आप का मन आप भारत माता की जय बोलो 
पर मुझे जय हिंद बोलने दो ।

उम्मीद करता हूँ कि इस पत्र पर क्रोधित हो एक साधारण भारतीय पर मुक़दमा नही ठोकोगे 

शुभकामनाओं के साथ 

आप लोगों घोषित देशद्रोही 

आप के भारतीय भाई ।