शनिवार, 5 अगस्त 2023

बोलो डमरू बाबा की जय

देश और समाज पर लिखना और बोलना बंद कर मैं भी मुर्दा बन जाऊ क्या ?
बन ही जाता हूँ । 
केवल खुद का सुख तो इसी मे है 
सबकी हा मे हा मिलाओ अब खुश आप भी खुश 
वैसे भी 
"कोई नृप होए हमे का हानि "
हमारा मूल मंत्र और मूल चारित्र है 
तभी तो केवल कुछ सौ लोग आते थे सूदुर पच्छिम से या कही से भी और हमे लूट कर चले जाते थे ,पडोसी की लूटने का ज्ञान लुटेरो को हम ही देते थे और उसके लुटने पर खुश होते थे फिर हमारे लुटने पर हमारा पड़ोसी खुश होता था और मिल जाता था लुटेरो से । चलता रहा यही क्रम हजारो साल ।
वो तो पता नही कहा से गांधी बाबा आ गए और सुभाष से भगत तक को जान देने का शौक चर्रा गया बिना ये जाने की ये समाज डमरू और तमाशा प्रेमी है ।
आज भी यही चल रहा है और ताकत की पूजा मे हम लहलोट हो जा रहे है ।चाहे कोई कितना बर्बाद कर दे हमे पर हम खुश है 
हम कभी नही बदलेंगे 
क्योकी तमाशे देखना , बदर का डमरू पर नाचना और उसी डमरू पर खुद भी नाच लेना हमारा शौक है और हमारे जीन का चारित्र भी ।
कोई भी डमरू की आवाज पर हमसे कुछ भी करवा सकता है ।
हम मर रहे हो ,हमे भूखे हो ,हम बर्बाद हो रहे हो पर बस कोई डमरू बजा दे तो उत्सव प्रेमी हम उसी हालत मे अपना सब दुख भूल दौड पडते है नाचने और उत्सव मनाने के लिए ।
हमारा कोई कुछ बिगाड़ नही सकता क्योकी जेहन से हमने खुद को उसके लिए हजारो साल से तैयार किया हुआ है ।
मैं भी क्यो हवा के विपरीत चलूँ ? 
हवा जब तेज हो तो मुकाबला क्यो करुँ ? 
क्योकी मैं भी पीठ उस तरफ कर उसके वेग के कम हो जाने का इन्तजार न करू ? 
और 
क्यो न मैं दिखावे को ही सही डमरू की आवाज पर मुस्करा ही देने की कोशिश करुँ ? 
चली चुटकले ढूढता हूँ और सुनाता हूँ आप को आज से 
ढूढता हूँ भूले बिसरे गीत और सुनाता हूँ आप को 
नही तो अपनी लिखी कविताओ और कहानियो से ही बोर करता हूँ आप को ।
मैं पूरे समाज और देश जैसा बन जा रहा हूँ और बस सुबह के नाश्ते से रात के खाने तक डमरू की पूजा और डमरू के आदेश को ही खा लूँगा 
और फिर सो जाऊंगा निश्चिंतता के बिस्तर पर ।
रोज सुबह और शाम गिनूगा और पूरा हो जायेगा जीवन एक दिन ।
बोलो डमरू बाबा की जय 
नाच मेरी बुलबुल की पैसा मिलेगा 
ऐसा भी मिलेगा वैसा भी मिलेगा 
जैसा डमरू चाहेगा तैसा  मिलेगा ।
चलो नाच लेते है सत्ता और ताकत के हर ताता थैय्या पर ।
गांधी सुभाष भगत ये कौन थे ? 
क्या कर लिया इन्होने ?
इनसे ज्यादा ताकत तो डमरू ने दिखा दिया ।
इसलिए अब इनको भूल जाते है और दिल दिमाग से भी इन्हे मिटा देते है ।

शुक्रवार, 4 अगस्त 2023

अयोध्या_आंदोलन

फिर से पढिए --

#जिंदगी_के_झरोखे_से--

#अयोध्या_आंदोलन 

1990 - 25 सितम्बर को गुजरात के सोमनाथ से अडवाणी जी ने रथयात्रा शुरू कर दिया था ।अडवाणी जी देश के लोकतंत्र की एक राष्ट्रीय पार्टी के दो बड़े नेताओ मे से एक और उसके अध्यक्ष थे जिसकी जिम्मेदारी देश के भविष्य के लिए लड़ने और शैडो गवर्नमेंट बना कर वैकल्पिक विकास का एजेंडा शिक्षा स्वास्थ्य कृषी सुरक्षा इत्यादि होना चाहिये था वो इन मुद्दो के लिए नही बल्की मंदिर बनाने के लिए माहौल बनाने निकला था । उनको 30 अक्तूबर को अयोध्या पहुचना था पर 23अक्तूबर को उनको लालू यादव ने समस्तीपुर मे गिरफ्तार कर लिया और फिर उनका रथ वाहि थाने मे ही सड़ गया किसी को उसकी याद नही आई ।
काश अडवाणी जी देश की समस्याओ के लिए रथ लेकर निकले होते गरीबी और बेरोजगारी के खिलाफ निकले होते , गांव की बदहाली के खिलाफ निकले होते , अशिक्षा और अभाव मे मौत के खिलाफ निकले होते तो शायद हम जैसे लोग भी साथ हो लेते पर !
कहानी के विस्तार मे नही जाकर मुद्दे पर आता हूँ जिसके लिए आज लिख रहा हूँ 
राम लला हम आयेंगे ,मंदिर वही बनायेंगे 
बच्चा बच्चा राम का जन्मभूमि के काम 
इत्यादि नारे लगवाये जा रहे थे 
आरएसएस और भाजपा तथा विश्व हिन्दू परिसद ने कार सेवा का एलान किया । 21अक्तूबर से ही देश भर से ये सब संगठन मिल कर लोगो को विभिन्न रस्तो से अयोध्या के 100 किलोमीटर के दायरे मे चारो तरफ लाने लगे ।
और अन्ततः 30 अक्तूबर  और फिर 2 नवम्बर  को इस तरह कूच किया जैसे किसी दूसरे देश मे विजय प्राप्त करने क
जा रहे हो ।
अयोध्या मे पूजा और दर्शन होता था उस समय भी पर विवाद अदालत मे था ।
मैं उस वक्त पार्टी का प्रदेश महामंत्री और प्रवक्ता था हम लोगो ने दो प्रस्ताव किया यह कहते हुये की दर्शन और पूजा सबका अधिकार है पर संविधान और कानून से खिलवाड़ सरकार मे बैठा हुआ और उसकी शपथ लिया कोई भी व्यक्ति नही करने देगा और हम भी नही ।
पर हमारे दो प्रस्ताव है --
हम मध्यस्थता करने को तैयार है दोनो पक्ष साथ बैठ जाये और सहमती से तय कर ले क्या होना चाहिये सरकार उसी को मानेगी 
2--यदि सहमती नही बनती है तो फिर एक ही तरीका है की अदालत जो तय करे वो माना जाये ।
कोई तीसरे तरीके को संविधान और कानून से चलने वाले देश मे किसी भी हालत मे नही स्वीकार किया जा सकता है और न किसी हालत मे स्वीकार किया जायेगा ।
तब इन लोगो ने जवाब दिया था जो आज पूरे देश को जानना चाहिये -
कि 
"यह अदालत और कानून नही बल्की हमारी आस्था का सवाल है और इसे हम खुद हल करेंगे "
बड़े नेताओ ने आफ द रिकार्ड यह कहा था की सिर्फ साफ सफाई करेंगे और घोषणा हो चुकी है तो दर्शन कर लौट जायेंगे ।
लाखो की भीड खेतो मे होकर अयोध्या पहुची और रोकने पर पुलिस तथा प्रशसनिक अधिकारियो पर हमलावर हो गई । अधिकारियो ने बहुत समझाने का प्रयास किया की शान्ती से दर्शन करे और वापस चले जाये पर भीड उग्र हो गई जिसके लिए पीछे से सिखा पढा कर लाया गया था ।
भीड गुम्बद पर चढ़ गई और तोड़फोड़ करने लगी 
मजबूरन पुलिस को बल प्रयोग करना पडा और उसमे 16 लोगो की जाने गई जो बहुत अफसोसजनक है क्योकी वो सब इसी देश के नागरिक थे और अपने परिवारो के प्रिय थे । किसी भी हालत मे कभी भी अपने ही नागरिको पर पुलिस की लाठी और गोली चले यह लोकतंत्र के बिल्कुल खिलाफ है और जिम्मेदार राज्य की अवधारणा के भी खिलाफ है । मरने वाले अधिकतर पिछड़े वर्गो के जवान थे ।ये भी सच है की उन मृतको के परिवारो का इन संगठनो और इनकी सरकारो ने फिर कभी हालचाल भी नही पूछा ।
आरएसएस के झूठ तन्त्र ने फैला दिया की हजारो जाने चली गई और सरयू का पानी लाल हो गया और एक खून खौला देने वाला वीडियो भी बना दिया इन लोगो ने 24 घन्ते मे और देश भर मे बांट भी दिया जैसे अन्ना के आन्दोलन मे मिंनटो मे झंडे और मशाले बट जाती थी ,बस आप दोनो को एक साथ रख कर देख्ते जाइए । मैने दिल्ली मे किसी संघी के घर वो वीडियो देखा ,पूरी पिक्चर थी सारे इफेक्ट डाल कर बनायी गई जिसमे लाशे ही लाशे दिखाई गई ,नाली मे खून बहता दिखाया गया , पहले सोमनाथ से लेकर बाबर तक पता नही क्या क्या बताया गया और उसमे एक हेलिकोप्टर उड़ता दिखाया गया था जिसमे बैठे मुलायम सिह यादव को मशीन गन से लोगो पर गोली चलते दिखाया गया था ।
हमने चुनौती दिया की आप मृतको के नाम बताओ ।  ये लोग जो भी नाम बताते हम पूरा सिस्टम लगा कर उनको ढूढ लाते और मीडिया के सामने पेश कर देते । इंनकी सारी लिस्ट और बात फर्जी नकलती गई और अन्त मे वो 16 लोग बचे जो सचमुच मरे थे और उनकी मौत पर हम सबको अफसोस तब भी था और आज भी है ।
पर यह भी उल्लेखनीय है की कल्याण सिंह की भाजपायी सरकार मे जब सरकारी तौर पर फिर लाखो की भीड आई और विवादित ढांचा तोड गया तो उस पर चढे तमाम लोग उसी के नीचे दब गये थे पर सत्ता का नशा और इस विश्व विजय के जोश मे वो बेचारे समचार की सुर्खिया नही बने ।
उसके बाद अयोध्या से ही मार काट लूट शुरू हो गई और यहा तक की खुद भाजपा का अल्पसंख्यक सेल का अध्यक्ष चीखता ही रह गया की मैं तो आप की पार्टी के इस पद पर हूँ, पर ? (इसका ब्योरा उस दिन के हिन्दू के मौके पर मौजूद रिपोर्टर की रिपोर्ट मे मिल जायेगा ।
कैसे लोग आये थे ये धार्मिक काम करने इसी से समझ लीजिये की रुचिरा गुप्ता इनकी भीड मे ही थी तो उसके शरीर से कपडे गायब हो गए और ये देख कर बी बी सी के रिपोर्टर मार्क टूली ने उसे अपना कोट पहनाया और पिटता रहा पर किसी तरह रुचिरा को भीड से निकालने मे कामयाब रहा ।
दंगो मे 2000 से ज्यादा जाने गई ,हजारो करोड़ की सम्पत्ती नष्ट हुई और उठान लिए हुये विकास का पहिया बैठ गया और सालो पीछे चला गया ।
दंगो मे इन लोगो ने क्या किया था आतंक फैलाने को सर्फ इस बात से जान लीजिये की एक टेप बनाया था जी किसी छत पर अचानक काफी तेज आवाज मे चीखता --बचाओओ ओ ,भागो ओ ओ ,आ गए हजारो मुस्लमान ,अरे मार दिया अरे एक और मार दिया भागो ओ ।
और हम लोग जो आगरा के कालेज कैम्प्स मे रहते थे उसके लोग भी अपने हथियार लेकर निकल आये और छपने की जगह ढूढ़ने लगे ,मैने कहा की यहा कहा कोई मुस्लमान है आसपास पर कोई सुनने को तैयार नही था ,आगरा का लाजपत कुन्ज और ऐसी तमाम कालोनी जो मुस्लिम इलाको से 8 से 10 किलोमीटर दूर है लोग रात रात भर पहरा देने लगे ,रास्तो पर बड़े बड़े पत्थर और पुराने टायर रख दिये इत्यादि 
और मुसलमान अपने मुह्ल्लो मे दुबका था की निकले नही की पी ए सी आयेगी और फिर सिर्फ गोलियो की आवाज होगी ।
(दंगो मे क्या क्या हुआ और कौन लोग मरे , किनके साथ क्या क्या हुआ और क्या क्या कर्म करते हुये महान लोग जय श्रीराम के नारे लगते थे और राम का नाम कर बडा कर रहे थे और कौन सी संपत्तियाँ नष्ट हुई इत्यादि तमाम आयोग और जांच कमेटी की रिपोर्ट अब सार्वजनिक है और हो सचमुच देश के वफादार और जिम्मेदार लोग है उनको सब पढ़ना चाहिये और सब जानना चाहिये ।
हर दंगे के बाद भाजपा की सीटे बढती गई ।
और 
इसी बीच विश्वनाथ प्रताप सिंह ने अडवाणी जी के अभियान के मुकाबले मंडल आयोग की रिपोर्ट लागू कर दिया ।उनकी सरकार से भाजपा ने समर्थन वापस ले लिया और चंद्रशेखर जी प्रधान मंत्री बन गए ।
# बीच मे ये भी जान लीजिये की विश्वनाथ प्रताप सिंह की सरकार को भाजपा का समर्थन था और भाजपा के प्रिय जगमोहन कश्मीर के राज्यपाल थे जब कश्मीरी पंडीत कश्मीर छोड कर गए ,पर उस वक्त भाजपा ने न उसे मुड़दा बनाया और न कश्मीरी पण्डितो के सवाल पर उस सरकार से समर्थन ही वापस लिया#
हा तो चंद्रशेखर जी के अटल बिहारी वाजपेयी श्रीमति सिंधिया , भैरोंसिंह शेखावत सहित काफी भाजपा नेताओ से अच्छे सम्बंध थे और उनकी सरकार मे हम लोगो के युवा राजनीती के मित्र सुबोधकांत सहाय गृह मंत्री थे ।
(  मन्दिर सम्बन्धी हिन्दू परिसद और इन लोगो की बैठक और प्रधान मंत्री से मिलकर बात करने की इच्छा पर चंद्रशेखर जी का उनकी बैठक मे श्रीमति सिंधिया के यहा खुद पहुच जाना और फिर उन्होने क्या सुना और क्या कहा तथा फिर मुस्लिम पक्ष से क्या कहा जानने के लिए Chanchal Bhu की वाल खंगालिए थोडा समय निकाल कर )
अन्त मे चंद्रशेखर जी विवाद का एक सर्वसम्मत हाल निकाल ही लिया अपनी दृढता और दूरदर्शिता से जिसपर अंदर सब सहमत थे और वो फौसला करीब ऐसा ही था जो उसके बाद इतनी बर्बादी और दंगो तथा नफरत की खेती के बाद अन्ततः अदालत ने ही दिया # फिर याद रखिये की हमने कहा था की या तो बातचीत से हल कर लो या अदालत को करने दो और तब आस्था के नाम पर अदालत को मानने से इंकार कर दिया था इस जमात ने #
और अपनी सरकार बन जाने पर उसी अदालत को माना भी और दिन रात देश से भी कहते रहे की अदालत को सभी माने मिलजुल कर और पूरे देश ने माना मुसलमान ने भी । पूरा देश शान्त रहा पर यदि अदालत का फौसला इसका उल्टा होता तो क्या होता ,कल्पना से रूह काँप जाती है ।
प्रधान-मंत्री चंद्रशेखर के निवास से विश्व हिन्दू परिसद वाले यह कह कर निकले की थोडी देर मे आपस मे राय कर के आते है और फिर आये ही नही ।
अब पाठक ध्यान से पढे और समझे इस जमात के इरादे की , आदत को , रणनीति को ,इच्छा को , इनके हथकण्डे को , देश के प्रति जिम्मेदारी को , देश के भविष्य को लेकर चिंतन को , चिंता को और इनके देश के लिए सपने ,सिद्धांत और सक्ल्प को । 
( लखनऊ से दिल्ली तक की सत्ता के करीब रह कर , निस्पक्ष रूप से जागृत रह कर जो देखा , जो जाना , जो समझा सब लिख दिया क्योकी जो अब 45 साल के है तब स्कूल मे पढ रहे होंगे और 1990 मे पैदा लोग अब 30 साल के हुये होगे ।देश की 65%आबादी 35 साल के नीचे की है इसका मतलब ये है की उनको जो बताया गया होगा शाखा मे ता सन्घ के प्रचार ने वो उसी को सच मानते है ।इसलिए सभी जागरूक और सच्चे देशभक्तो की जिम्मेदारी है की पूरे देश को सच की तस्वीर दिखाए बड़े पैमाने पर और देश को फसीवद की तरफ जाने से बचाए ।
आज इसिलिए मैने एक पोस्ट मे लिखा था की देश दो पाटो के बीच फंस गया है -एक जो सच है और दूसरा आरएसएस का सच । देखे ईश्वर कैसे बचाता है मेरे देश को ।
जो सच्चे हिन्दू है और सचमुच मे राम कृष्ण और शिव को मानते है और चाहते है की समाज इन तीनो के नाम पर घृणा और दंगे मे न फंसे बल्की इनके जो गुण और ज्ञान आज को और भविष्य को अच्छा बनाते हो और भारत को तथा भारत वासियो को अच्छा बनाते हो उनका प्रसार हो उनकी भी जिम्मेदारी है की देश और समाज को सही धर्म का ज्ञान कराये ,स्वामी विवेकानन्द से लेकर गांधी जी और डा लोहिया तक के धर्म और इन लोगो के बारे मे लिखे का ज्ञान कराने का अभियान चलाये ।
अदालत का फौसला आया , मन्दिर बनेगा , देश मे सब उसके पक्ष मे है पर उसे धार्मिक आयोजन ही रखा जाता और उसमे राजनीती नही की जाती तो भारत बनता 
लेकिन इन लोगो को भारत बनाना ही कब था या है इन्हे तो बस वोट और सरकार बनाना है सब बेच देने के लिए ।

भारत_तमाशों_का_देश_है

#भारत_तमाशों_का_देश_है ? 
काफ़ी पहले मेरा एक लेख छपा था कुछ अख़बारों में । हाँ सचमुच है और तमाशों के प्रति भारत का जुड़ाव तथा आग्रह इतना है कि तमाशे के लिए दवाई या खाने बिना मरता व्यक्ति भी ताली बजा ही देगा और कुछ देर के लिए शामिल हो ही जाएगा उस तमाशे में । चाहे कितने ज़रूरी काम से भी जा रहा हो पर काम छोड़ कर सहभागी हो ही जाएगा तमाशे में ।
पहले भारत की ये कमजोरी भालू और बंदर नचाने वाले , जादू दिखाने वाले , बाइसकोप दिखाने वाले और बसो में या चौराहों पर सुरमा या अन्य चीजें बेचने वाले जानते थे । धर्म के छोटे से बड़े तक ठेकेदार भी थोड़ा बहुत उससे काम चला लेते थे ।
पर कुछ सालो से मीडिया और अख़बार वालो ने पन्ना और अख़बार बेचने के लिए इस तकनीक का प्रयोग किया ,प्राइवेट शिक्षा संस्थानों तथा व्यापारिक संस्थानो ने प्रयोग करना शुरू किया फिर और बड़े पैमाने पर धार्मिक व्यापारियों ने इस तकनीकी और मनोविज्ञान का भरपूर दोहन शुरू किया ।
और अब तो राजनीतिक जमात और उनके आकाओ ने इस तकनीक को मुख्य हथियार ही बना लिया है । कैसी महंगाई ? , कैसी बेरोजगारी ? , कैसी बीमारी ? कैसी चिकित्सा ? कैसी मौत ? कैसी बर्बादी ? कैसी अयोग्यता और असफलता ?कैसी अदूरदर्शिता ? सब कुछ तमाशे के नीचे दफ़न करने की क्या खूब कारीगरी और बाज़ीगरी आ गयी है । सब ख़ास हम भी ख़ुश । उधर लगे रहो , कोई सवाल मत पूछो , अपनी ज़िंदगी और आसपास बिलकुल मत झांको और भविष्य का तो सोचो ही मत बस चली ताली बजाओ मेहरबान क़द्रदान दिखो मेरे झोले से अच्छा दिन निकलने ही वाला है , जो जल्दी में है वो जाकर घर सो जाए क्योंकि वो बीमार है । बाक़ी सब एक बात फ़ोर से थाली बजाओ और अच्छा दिन न दिखे तो मोमबत्ती दिया टॉर्च जलाओ और वो न हो तो मोबाइल की रोशनी में देखो ।  अरे देखो तो वो है अच्छा दिन आप सब के घर में पहुँचा दिया है फिर भी जो नही देख पा रहा है वो ये तो अंधा है , या धर्म द्रोही या देशद्रोही या सेकूलरिस्ट है अन्यथा पड़ोसी देशों का एजेंट है मारो इसे । मारने वाले अपना काम करे बाक़ी सब मुस्कुराओ और फिर से ताली बजाओ । 
अच्छा मेहरबान क़द्रदानों अपने घर जाओ आज का तमाशा यही ख़त्म होता है अब अगले तमाशे का इंतज़ार करो ? 
क्या ? सब महँगा हो गया है ?  बच्चों को नौकरी नही मिल रही है और इलाज बिना लोग मर रहे है और भूखा  किसान आत्महत्या कर रहा है ? 
अरे मूर्ख किसान की आत्महत्या का कारण कुछ मर्दानगी से जुड़ा है हमारे नेता ने इतना बड़ा ज्ञान दिया तूने सूँ नही ? सब नौकरी माँगोगे तो नया स्टार्ट आप कौन करेगा ? पकोड़े बनाओ , रिक्शा चलाओ , नाले से गैस निकालो देश में स्टार्ट अप की संख्या बढ़ाओ । इलाज का क्या रोना रोते हों नीम की पत्ती खाओ और ठीक हो जाओ । जवान सीमा पर खड़ा है और तुम बिना खाए मर रहे हो अरे थोड़ा उसका सोचो और जब तुम कुछ नही कर रहे हो तो जीकर भी क्या फ़ायदा ? लेकिन इस चुनाव तक तो किसी तरह तुमने जीना ही पड़ेगा उसके लिए ५ किलो अनाज और साल के ६ हजार चुनाव तक तो दे दूँगा फिर मुझे वोट देने के बाद तुम जानो तुम्हारा काम जाने । 
अब ज़ोर से नारा लगाओ की हम महान है ऐसा दुनिया में कोई नही और ताली ज़ोर से बजाओ मेहरबान क़द्रदान । ज़्यादा सोचो मत और आपस में ये बातें भी मत किया करो वरना क़ानून अंधा है और वर्दी किसी को नही पहचानती , समझ गए ना । 
तो एक बार बहुत ऊँचा झंडा लहराओ , ज़ोर से ताली बजाओ और समवेत स्वर में गाओ - हर हर —- घर घर — तथा -जी -जी -जी -जी । 
जी जनाब नशा शराब का हो या गुजरात के पोर्ट पर उतरने वाली हजारों करोड़ के माल का उससे भी बड़ा नशा है जानकर अंधे होने का , भक्त होने का और उससे भी बड़ा नशा तमाशे का होता है जनाब ।
यद्दपी सिद्धम लोक विरुद्धम ना करणीयम ना करणीयम ।

गुरुवार, 3 अगस्त 2023

#उनके_राम और #हमारे_राम ---

 #उनके_राम और #हमारे_राम ---

हमारे राम तो पूरी दुनिया के कण कण मे व्याप्त है सर्वव्यापी है
उनके राम बस जमीन के एक छोटे से टुकडे मे है
हमारे राम तो मर्यादित है
उनके राम उनको सब मर्यादाए भंग करने देते है
हमारे राम तो पत्नी के लिए समर्पित है ,उनके राम ने उन्हे क्या सिखाया वो ही जाने , हमारे राम समाज की चिंता करते है और एक भी इन्सांन के उंगली उठा देने पर अपनी प्राणौ से प्रिय पत्नी को भी कष्ट के लिए छोड देते है ,उनके राम ने उनको सिखाया कि एक क्या सारी जनता की ही कोई परवाह नही ,हमारे राम सीता के हरण पर सोने की लंका जला कर राख कर देते है पर उनके राम ने उन्हे सिखाया की रोज सीताओ के अपरण , बलत्कार और हत्या से आंखे मूदे सोने से खेलने मे व्यस्त रहो साथियो साथ , हमारे राम समाज द्वारा सतायी अहिल्या को भी सम्मान दे सबके बराबर कर देते है तो शबरी और केवट को भी बराबर का दर्जा देते है,उनके राम ने उनको सिखाया की केवल कुछ बड़ो को ही अपना मानो है और उन्ही के लिए समर्पित रहो ,हमारे राम गरीब गुरबा आदिवासियो को योद्धा बना देते है और उनकी रक्षा करते है ,उनके राम ने सिखाया की गरीबो के बच्चो को रोज शहीद होने दो है
,हमारे राम असम्भव पुल का निर्माण कर देते है समुद्र मे तो उनके राम की शिक्षा से रोज पुल गिर जाते है और मरने देते है उसके नीचे अपनो को , हमारे राम समुद्र को रास्ता देने को मजबूर कर देते है तो उनके राम की शिक्षा का असर है की वो दुश्मन के लिए अपनी जमीन पर रास्ता छोड देते है ,हमारे राम गरीबो को साथ लेकर एक शक्तिशाली साम्राज्य खत्म कर देते है तो उनके राम उन्हे एक शक्तिशाली के सामने याचना करने देते है ,हमारे राम साम्राज्य जीत भी लेते है तो एक जगह वही के सुग्रीव और दूसरी जगह विभीषण को सौंप देते है तो उनके राम ने उनको सिखाया की लोगो के राज हड़पने की फिराक मे रहो , हमारे राम पिता के कहने पर राज छोड देते है तो उनके राम की शिक्षा है की अपने बडो को ही बनवास दे दो , हमारे राम अवतार होकर भी पूरे समय मनुष्य बने रहने की जद्दो-जहद करते दीखते है तो उनके राम की शिक्षा का असर की वो पूरे समय खुद को ईश्वर सिद्ध करने मे परेशान है ,हमारे राम शिव को देव मांन आशीर्वाद लेते है तो उनके राम की सीख की खुद की ईश्वर मांन ईश्वर को गढने की कोशिश मे लगे रहो , हमारे राम समाज को मर्यादित बनने का सदेश देते जीवन गुजार देते है तो उनके राम उन्हे सारी मर्यादा तार तार करने की शिक्षा देते है ।
हमारे राम ने तो उत्तर से दक्षिण को जोड़ कर एक कर दिया ,उनके राम की शिक्षा है की सब तोड दो ।हमारे राम ज्ञान को महत्वपूर्ण मानते थे इसलिए वो किसी भी विद्वान से लेने को तैयार थे चाहे वो विश्वामित्र हो या फिर दुशमन रावण ही पर उनके राम उनको ज्ञान से घृणा सिखाते है और विरोधी को दुश्मन बताते है ,हमारे राम एकांगी है उनके राम का वही बतायेंगे ।
हमे तो हमारे राम पसंद है जो ब्रह्मांड मे व्याप्त है उनको हमारा बने रहने दो कुछ गज जमीन मे रहने वाले राम को तुम अपने पास रखो ।
(अभी इतना ही विस्तार से बाद मे )
इति राम कथा संपन्नम ।