सोमवार, 4 नवंबर 2024

चरण सिंह

#जिन्दगी_के_झरोखे_से---

परसो चौ चरण सिंह जी के बारे मे लिखने को सोचा पर नही लिख सका 
आज सही ।
1977 की बात है आपात्काल के बाद का चुनाव शुरू हो गया था ।जनता पार्टी के नेताओ की लाखो वाली सभाए हो रही थी । उस वक्त के हीरो थे राजनारायण जी क्योकी उन्हीने इन्दिरा जी को अदालत मे हरा दिया था और उसी के कारण आपात्काल लगा था । उनकी सभा तो विशालतम थी ।
पर चौ साहब की सभा के लिए उस दिन कम से कम 2 लाख लोग जुटे होने । जिधर देखो सर ही सर दिखता था । उस जमाने मे सभी नेता ट्रेन या किसी कार से ही सफर करते थे इसलिए कार्यक्रम इस तरह बनता था की एक तरफ से शुरू कर जहा अन्त करना है वहा पहुचे और फिर वापसी ।
उस समय सभी नेता सभाओ मे काफी देर से पहुच पाते थे । आगरा के रामलीला मैदान मे चौ साहब की सभा था जहा 1977 से पहले केवल इन्दिरा गाँधी जी की ही सभाए हो पाती थी ।उससे पूर्व चौ साहब की सभाए आगरा के सभाष पार्क मे होती थी और वो भर जाता था ।यह छोटा पार्क था और शहर के बीच मे था । अटल बिहारी वाजपेयी की सभा कभी इसी पार्क के एक कोने मे पंडाल लगा कर होती थी और कभी चिमन पूडी वाले चौराहे पर या बेलनगंज तिकोनीया की छोटी सी जगह पर ।
पर आपात्काल के बाद बाकी नेताओ की सभाए भी रामलीला मैदान मे होने लगी जो अब फिर बंद हो गया है ।पर उस समय का जुनूँन ही कुछ ऐसा था की जनता जनता पार्टी के लिए जो सिर्फ कागज पर घोसित हुई थी टूटी पड़ रही थी ।कोई विधिवत संगठन नही था पर जनता खुद प्रचारक भी बन गयी थी और खुद मंच माइक लगा कर हम लोगो को बुलाने लगी थी भाषण देने । राजनारायण जी ने एक वोट और एक नोट का नारा उछाल दिया तो सभा मे पैसे भी इकट्ठे होने लगे ।
उस दिन चौ साहब की सभा थी और वो कई घंटे लेट हो गए । मंच पर बोलने वाले सभी नेता थक गए थे और जनता शोर कर रही थी । जनसंघ के नेता जो बाद मे एम पी बने भगवान शंकर रावत सभा का संचालन कर रहे थे ।अन्त मे कोई बोलने बाला ही नही बचा था ।तभी योगेन्द्र सिंह चौहान जो भाद मे भाजपा के जिलाध्यक्ष बने और उनका बेटा आज विधायक है भाजपा का उनकी निगाह मंच पीछे बैठे हुये मुझ पर पडी और उन्होने भगवान शंकर रावत से मुझे माइक पर बुलाने को कहा पर कहा ये गया की छात्र नेता और नये उभरते हुये कवि जो बहुत ओज की कविता सुनाते है वो अपनी कविताए सुनायेंगे ।
मेरी जिन्दगी का पहला अवसर था इतने लाख लोगो की भीड के सामने मंच पर माइक के सामने जाने का ।
पर मैने सबको सम्बोधन के बाद शुरू किया की मुझे कविता सुनाने को बुलाया गया है पर अगर आप चाहेंगे तो कविता भी सुना दूंगा पर पहले कुछ कहना चाहता हूँ और पता नही कहा से दिमाग मे पन्ना दाई के बलिदान और इतिहास को लेकर ऐसी बात आई की पूरा मैदान तालियो और नारो से गूजने लगा और मुझे काफी देर तक चुप रह कर शोर थमने का इन्तजार करना पडा । फिर क्या था बोलता चला गया जब तक चौ साहब नही आ गए । चौ साहब ने भी मंच के पीछे गाडी से उतरते हुये कुछ अंश सुन लिया था क्योकी ऊपर आकर उन्होने पूछा की अभी कौन बोल रहा था । उनके मंच पर पहुचने तक मैने भाषण खत्म कर दिया था और नारे लगवाने की जिमीदारी सम्हाल लिया था ।किसी ने मेरी तरफ इशारा किया और मैं भी उनको चरण स्पर्श करने के लिए झुका और उन्होने दो शब्द तारीफ के बोल कर सर पर हाथ रखा ।
उस दिन का एक और दृश्य यही बता दे रहा हूँ ।माता प्रसाद जी आगरा के डी एम थे जिनपर आपात्काल मे लोगो पर अत्यचार का आरोप था ।वो पूर्व मुख्यमंत्री और जनता पार्टी के राश्ट्रीय उपाध्यक्ष चौ साहब की सभा मे प्रोटोकाल के तहत आये थे ।चौ साहब जनता पार्टी मे चुनाव के उत्तर भारत के प्रभारी भी थे और मोरारजी देसाई जी दक्षिण के ।
खैर ज्यो ही चौ साहब की माता प्रसाद पर निगाह पडी वो बहुत नाराज हो गए और बोले अरे ये यहा है, ये तो बहुत बदमाश है इसको नौकरी से बर्खास्त होना चाहिये ।इतना सुनना था की माता प्रसाद पैंट सम्हालते मैदान से बाहर की तरफ भागे ।
यहा यह भी उल्लेख करना चाहूँगा की चौ साहब भारत के गृह मंत्री , फिर उप प्रधान-मंत्री और अन्त मे प्रधान-मंत्री भी बने पर माता प्रसाद का या और भी जिन आई ए एस या अन्य अधिकारी लोगो ने बहुत जुल्म ढाया था किसी का भी कुछ भी नही बिगडा । माता प्रसाद बाद मे भारत के कैबीनेट सेक्रेटरी और अन्त मे शायद यू पी एस सी के चेयरमैन बन कर रिटायर हुये जबकी चौ साहब याददाश्त के बहुत तेज और बहुत सख्त नेता माने जाते थे ।
उसके बाद चौ साहब से फिर मुलाकात 1980 मे ही हुई जब वो बनारस के बनिया बाग मे राजनारायण जी के लिए सभा करने आये थे । राजनारायण जी जनता एस के राष्ट्रीय अध्यक्ष थे और चौ साहब उनके ही प्रयासो से प्रधान-मंत्री बन गए थे । राजनारायण  जी का कांग्रेस के बड़े नेता कमलापति त्रिपाठी जी से चुनाव था जिसमे पूरे महीने मैं वहा प्रचार मे था । उसका किस्सा बाद मे ।
उस मंच पर भाषण मे चौ साहब ने राजनारायण जी के बारे मे एक खराब शब्द का प्रयोग कर दिया मंच से जिसका गलत संदेश भी गया और जो हम सभी को बहुत बुरा लगा । मंच से उतरते वक्त मैने अपना एतराज भी वही जता दिया और थोडा गुस्से मे की चौ साहब आप ने चुनाव बिगाड़ दिया ,इससे अच्छा आप नही ही आते । इसपर उस वक्त राजनारायण जी ने मुझे हल्का से झिड़क भी दिया पर बाद मे माना की उसका गलत संदेश चला गया ।इसके पहले राजनारायण जी के खास जनेश्वर मिश्रा को चौ साहब ने जबर्दस्ती बलिया से चंद्रशेखर जी के खिलाफ चुनाव लड़ा दिया जबकी वो इलाहबाद से लड़ते थे । चौ साहब ने भी उस वक्त घूर कर देखा मुझे । इन्ही सब घटनाओ से दोनो के बीच खटास की शुरुवात हो गयी जो बाद मे दोनो के लिए ही हानिकारक साबित हुई । 
जनता पार्टी सरकार से चौ साहब का और राजनारायण जी का निकाला जाना फिर राजनारायण जी द्वारा किसान सम्मेलन के नाम पर इंडिया गेट के वोट क्लब पर विशाल रैली , फिर सरकार मे चौ साहब का उप प्रधान-मंत्री बनाना और उसके बाद प्रधानमंत्री तक के सफर और घटनाओ पर अलग से लिखूंगा ।
चुनाव खत्म होने के बाद चौ साहब से दिल्ली मे मुलाकात हुई राजनारायण जी भी थे ।चौ साहब को मेरा बनारस का ब्यवहार याद था उन्होने राजनारायण जी से उस दिन उस घटना का फिर जिक्र कर दिया की ये लड़का राजनीतिक मर्यादा नही जानता है तो मैने आगर बुरा लगा तो माफी चाहता हूँ कह कर बात खत्म कर दिया और बाहर निकल गया ।
फिर कुछ समय बाद अशोक रोड के कार्यालय मे मैं युवा साथियो से मिलने गया हुआ था तो पता चला की चौ साहब भी आने वाले है । चौ साहब आये तो मैने प्रणाम किया और उन्होने अपने कमरे मे बुला लिया ।पहले फिर पूरा नाम पूछा ।फिर बोले राय हो तो कहा के हो मैने बताया आजमगढ़ तो बोले की इनमे से किस तहसील के और फिर ब्लॉक का नाम भी लिया की इनमे से किस ब्लॉक के और ये भी की किस किस तहसील के किस ब्लॉक मे कितने राय है ये भी खुद ही बता दिया । उनके तो भाषणो मे भी आँकड़े बहुत होते थे और उनका पूरे प्रदेश के बारे मे बहुत ही व्यापक ज्ञान था । मंत्री और मुख्यमंत्री के रूप मे उनका शासन और फैसले और इमानदारी तो एक नजीर है । किसानो के सवाल पर तो वो नेहरु जी से भी उलझ गए थे । ये अलग बात है की वो जितने अच्छे उत्तर प्रदेश मे थे असक अंश मात्र भी दिल्ली के पदो पर प्रदर्शन नही रहा और गृह मंत्री के रूप मे इन्दिरा जी के पीछे पड कर उनको फिर वापस आने की संजीवनी देना भी चौ साहब की ही देन थी । उनकी कई पुस्तको मे कृषी अर्थशास्त्र पर उनकी पुस्तक बेजोड़ है ।
बाकी किस्सा अपनी किताब मे ।
आजाद भारत मे किसानो की बात करने वाले एकमात्र नेता चौ साहब को सलाम ।

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