मंगलवार, 6 नवंबर 2018

किसान का दर्द दूर किये बिना देश का दूर नही होगा ।

सिनेमा की टिकट , होटल का खाना , कपड़ा , पैरोल , कार ,स्कूटर , यात्राएं इत्यादि किसी भी चीज की महंगाई हमे न प्रभावित करती है और न मितव्ययी ही बनाती है
बस किसान की पैदावार  के थोड़े और पैसे देने में हमे भी आफत लगती है और सरकारों की भी
किसान का खेत , उसका बीज , उसका श्रम , उसका रिस्क और मुनाफा बिचौलिए तथा व्यापारी की जेब मे जाकर उन्हें करोड़पति बनाता है
किसान आधा कपड़ा पहन कर , आधा पेट खाकर भी देश का पेट पालने में लगा है
नौकरी करने वालो की तनख्वाह कई गुना बढ़ गयी और उन्हें तरह तरह की सुरक्षा , सुविधा के साथ तमाम भत्ते मिलते है
व्यापारी को भी कर्ज , कर्जमाफी , और तमाम सुविधाएं मिली है
फिर किसान ने क्या अपराध किया है
उसे स्वाथ्य बीमा और सुविधा क्यो न मिले , उसे बच्चों की शिक्षा का अलाउंस क्यो न मिले , गर्भवती महिला को वो सब कुछ क्यो न मिले जो शहरों में मिलता है , उसकी फसल को भी उद्योग की सुरक्षा और दर्जा क्यो न मिले , उसे भी अच्छे निवास में रहने की सुविधा और सस्ते कपड़े की सुविधा क्यो न हो ।
बस उसकी उपज की कीमत केवल उसकी लागत और श्रम से नही बल्कि ये सब जोड़ कर तय कर दीजिये ,
गांवों में भी अच्छे स्कूल , चिकित्सा का इंतजाम कर दीजिये , व्यवस्था का आतंक और शोषण खत्म कर दीजिये , बिचौलियों को किसान से दूर कर दीजिये , सभी स्तर के विकास का विकेंद्रीकरण कर दीजिये न्यायपूर्ण
फिर देखिए
गांवों से पलायन रुक जाएगा बल्कि बाहर गए लोग गांव की तरफ लौटने लगेंगे , शहरों के स्लम खत्म होंगे बोझ खत्म होगा और तब कह सकेगे की समाज , देश और मानव शक्ति का समग्र और सामूहिक विकास हो रहा है
वरना आर्थिक ऑंखडे और जी डी पी , प्रति व्यक्ति आय सब झूठा छलावा है ।
मैंने कई बार चुनौती दिया कि ऊपर के 10000 लोगों को अलग कर ये सब देखिये की फिर आंकड़े क्या कहते है
ऊपर के 1 लाख को अलग कर यदि बाकी एक करोड़ 29 लाख लोगों को इन पैमानों पर कसा जाएगा तो देश के सारे आंकड़े औंधे मुंह पड़े होंगे
और सब सर्फ छलावा ही साबित होगा
हिन्दुतान और इंडिया  के अंतर को मिटाना ही होगा और योजनाबद्ध तरीके से अब जल्दी मिटाना होगा
बस सरकारों की दृष्टि और संकल्प की ईमानदारी चाहिए
वरना ईश्वर ही मालिक है ।
पर अच्छे की उम्मीद के साथ
जय हिंद ।

समाज परिवर्तन -2

इधर देख रहा हूँ कि शहरों में पढ़े लिए लोग जिसमे नौजवान ज्यादा है उनका रुझान सामाजिक सरोकारों की तरफ बढ़ रहा है
पर्यावरण के प्रति जिम्मेदारी महसूस करने के साथ समाज के पीछे रह गए लोगो या किसी भी तरह की अपंगता या कमी के शिकार लोगों के प्रति भी लोग ज्यादा ही संवेदनशील हो रहे है ।
पिछले दिनों नेत्रहीन लोगो द्वारा बनाये गए सामानों को यद्धपि बाजार में मशीन से बनी वही चीजे सस्ती पड़ती पंर इन लोगों द्वारा बनाई चीजो को खरीदने के लिए भीड़ उमड़ी और खरीदने के लिए लोगों को इंतजार करना भी बुरा नही लगा
दीपावली के मौके पर भी बड़े सबके ने कुम्हार के बनाये दियो और मिट्टी के अन्य सामानों को लेने में कुछ ज्यादा ही रुचि दिखलाया है
पहले तीन दिन पहले से पटाखे कान फोड़ने लगते थे और चारो तरफ धुवाँ ही धुआं होता था
पर इस बार वो दृश्य कम से कम मुझे दिल्ली और नोएडा में तो अभी तक नही दिखा ।
काश समाज और उपेक्षित तथा पीछे छूट गए लोगो के प्रति जिम्मेदारी का ये एहसास एक आंदोलन बन जाये ।
और
विश्वास है कि नई पीढ़ी बना देगी ।
जय हिंद ।

समाज मे परिवर्तन -1

समाज मे बहुत से अच्छे परिवर्तन देखने को मिल रहे है ।
पहले चंद लोग गर्मी में शहरों और कस्बो में प्यासों के लिए प्याऊ लगाते थे
फिर जाड़ो में उन्ही स्थानों पर कुछ लोग बेसहारा लोगो के लिए तंबू लगाने लगे
फिर शहर की किसी दीवार को साफ कर उसे नेकी की दीवार की पहचान मिलने लगी जहाँ लोग अपने काम नही आने वाले कपड़े , बर्तन इत्यादि रख देते है और जरूरतमंद लोग उनका उपयोग करते है
जाड़ो में कांपते लोगो को कम्बल उड़ाने वाले भी काफी लोग है
कुछ शहरों में बचा खास ठंडी जगहों पर रख कर लोग जाने लगे और भूखा व्यक्ति सिर्फ अपने खाने लायक लेने लगा पंर ये अभी शायद सिर्फ मुंबई में हुआ
लेकिन बड़े पैमाने पर शहरों में छोटे और मझोले व्यापारियों और समाज सेवियों ने रोटी बैंक और 5 रुपये में भरपेट खाना खिलाने की परंपरा शुरू किया है ।
भीख नही खाना मिलेगा
और कोई भूखा नही मरेगा
ये क्रांतिकारी सामाजिक सरोकार के क्षेत्र में स्वस्फूर्त परिवर्तन बहुत सुखद और स्वागत योग्य है
जिस दिन सभी सम्पन्न लोग ऐसे के कामो में ईमानदारी और संवेदनशीलता से आगे आ जाएंगे
कोई भूखा नही मरेगा , कोई दवाई बिना नही मरेगा , कोई बच्चा पड़े बिना नही रहेगा , कोई नंगा नही रहेगा , कोई फुटपाथ पर आसमान के नीचे जीवन जीने को मजबूर नही होगा ।
सचमुच भारत वैभवशाली देश होगा और छलांग लगा देगा दुनिया मे सबसे आगे ।
जो लोग भी ये सब कर रहे है उन सभी को मानवता का सलाम
और
जो नही कर रहे है इस योग्य होते हुये उनसे अपेक्षा
जय हिंद ।