#जिन्दगी_के_झरोखे_से --
वो थे जवाहर लाल नेहरू -----
आज का ही दिन था शायद 56 साल हो गए मैं आजमगढ़ के स्वतंत्रता सेनानी और तत्कालीन जिला पंचायत अध्यक्ष स्व शिवराम राय जी जो बाद मे सांसद भी हुये और अपने स्व पिताजी जो उस वक्त तक आजमगढ़ में ही इंटर कालेज के मुखिया थे के साथ तत्कालीन आजमगढ़ का जो हिस्सा आज मऊ हो गया के दोहरीघाट क्षेत्र में एक गाँव में एक शादी समारोह में गया था ।
हम लोग दोहरीघाट की नहर देखने गए जो नदी से पानी पंप कर ऊपर ले जाकर नहर में डाला जाता था और तब नहर शुरू होती थी । मेरे लिए तो अजीब अनुभव था ये उस उम्र मे ।
वहां से लौटते वक्त सभी लोग पान खाने रुक गए दोहरीघाट के बाजार में । कुछ बाते हो रही थी तभी रेडियो पर एक समाचार सुनाई पड़ा ।
चारो तरफ सन्नाटा छा गया कुछ पल को और फिर हर व्यक्ति जोर से रोने लगा ।
शिवराम राय जी ने सर से गांधी टोपी उतार लिया और जोर से रोते हुये जमीन पर ही लेट गए । सिर्फ वो नही मेरे पिता सहित हर व्यक्ति जो वहा था सब रो रहे थे ।
मुझ छोटे से बालक को समझ में ही नहीं आया की हँसते हँसते अचानक क्या हो गया । सब लोग रो क्यो रहे है ।
समचार ये थे की चाचा नेहरु दुनिया से चले गए थे ।
पर उतना प्रेम ,उतनी श्रद्धा ,उतना लगाव और उतनी आस्था की सब रो पड़े और व्याकुल हो गए ।
कुछ तो था नेहरु जी में जो अब किसी में बिलकुल नहीं दिखता और न किसी के भी प्रति दीखता है ।
जी हाँ एक थे जवाहर लाल नेहरु ।
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