मंगलवार, 30 जनवरी 2024

30 जनवरी मार्ग और बापू

#जिंदगी_के_झरोखे_से 
वो 30 जनवरी की तारीख़ थी जो भारत के इतिहास की काली तारीख़ साबित हुयी और भारत ही क्या दुनिया को मानवता का रास्ता दिखाने वाला सूरज अस्त कर दिया गया एक हत्यारे द्वारा ।
राष्ट्रपिता महात्मा गांधी हम सबके बापू दिल्ली के बिडला हाउस के एक छोटे से कमरे में रहते थे बहुत ही साधारण तरीक़े से । ज़मीन पर बैठते थे सोते थे , बहुत साधारण बर्तन में सादा भोजन करते थे ।
बापू रोज़ पीछे के मैदान में उपस्थित इंसानो से मिलते थे , उनके प्रश्नो का जवाब देते थे , रामधुन गाते थे , प्रार्थना करते थे और विभिन्न विषयों पर प्रवचन भी करते थे ।
कुछ देर पहले ही तो सरदार पटेल महत्वपूर्ण मुद्दों पर बात कर के गए थे और कल ही तो बापू में ड़ा राममनोहर लोहिया को बुलाया था चर्चा करने को । रात हो रही थी और ड़ा लोहिया थके हुए थे जबकि बापू कुछ व्यस्त थे । जब बापू वापस आए तो ड़ा लोहिया गहरी नीद में सो गए थे । बापू ने उन्हें नही जगाया और ख़ुद भी ध्यान करने के बाद सो गए । सुबह बापू जल्दी जाग गए और अपनी नित्य की दिनचर्या में व्यस्त हो गए और ड़ा लोहिया उनके बाद जगे । लोहिया बापू के पास गए की बापू मुझे नीद आ गयी थी बताइए क्या आदेश है । बापू का समय निर्धारित होता था और उसी हिसाब से उनका जीवन चलता था इसलिए बापू ने उन्हें आज यानी ३० जनवरी को आने को कहा और इतना ज़रूर कह दिया कि आवश्यक बात करनी है और कांग्रेस के भविष्य पर तथा उसमें इन लोगों की भूमिका पर बात कर कुछ महत्वपूर्ण निर्णय लेना है । ड़ा लोहिया चले गए । 
३० तारीख़ को मिलने वालो ने सरदार पटेल प्रमुख थे और गम्भीर चर्चा कर वो वापस का चुके थे । 
बापू अपने नियत समय पर अपने कमरे के इसी चित्र वाले दरवाजे से प्रार्थना स्थल के लिए निकले और ज्यों ही नीचे की सीढ़ियाँ चढ़ कर आगे बढ़े भारत का पहला आतंकवादी जो इतना कायर था की आज़ादी की इतनी लम्बी लड़ाई में वो देश के लड़ना तो दूर जिसने कभी मुह छुपा कर भी अंग्रेज के ख़िलाफ़ कोई नारा तक नही लगाया था ,जिसने किसी अंग्रेज के घर की दीवार पर ग़ुस्सा दिखाने के लिए कभी एक कंकरी तक नही फेंका था और जिसने चंद दिन पहले ही अपने हाथ पर मुस्लिम नाम लिखवा लिया था उसी ने जिन अंग्रेजो कि कभी औक़ात नही हुयी बापू को उँगली से भी छूने की उन्होंने की अंग्रेज़ी पिस्तौल से उन्ही अंग्रेजो कि बनाई तीन गोलियाँ बापू के सीने में उतार दिया और भागने लगा जिसको वही के माली ने तमाचे मार कर पकड़ लिया ।
अपने को हिंदुओं का ठेकेदार बताने वाली एक सगठन जो अब देश भक्ति का उपदेश देता है ने तुरंत देश भर में फैलाया की बापू को मुसलमान ने मार दिया पर तुरंत नेहरू जी और पटेल जी ने निर्णय लिया और हत्यारे का नाम देश भर तक रेडियो से पहुँचा दिया । देश की जानता रोटी हुयी सड़क पर थी और कांग्रेसी गोलीय जनता को सच बताने निकल पड़ी ।
ड़ा लोहिया बापू से मिलने के लिए आ रहे थे और अभी थोड़ा दूर ही थे की पता लगा की सूरज अस्त हो गया । नेहरू जी ने रोते हुए कहा कि रोशनी ख़त्म हो गयी । 
दूसरी तरफ़ संघ और हिंदू महासभा ने ख़ुशी मनाया और मिठाई बाँटा । 
जी आज तीस जनवरी को 74 साल हो गए । वो ताकते जी बापू की हत्या के लिए ज़िम्मेदार है सब तक पैर जमा चुकी है तथा अपने आका के सपनो को उतार देना चाहती है बापू के भारत में हिटलर और मुसोलिनी ने भी जो रास्ता तय किया था उसी पर चल कर उन्ही की तरह  मानवता का क़त्ल करके और देश को जहन्नुम बना कर । 
इसलिए ३० जनवरी हमें चेतावनी देती है देश को समाज को और मानवता को बचाने की चेतावनी और हिटलर मसोलिनी का नही बल्कि बापू के सपनो का भारत बनाने की । 
काश उस दिन ड़ा लोहिया दो नही गए होते या काश बापू की हत्या नही हयी होती और आचार्य नरेंद्र देव , ड़ा लोहिया , जयप्रकाश , अच्युत पटवर्धन इत्यादि कांग्रेस में ही रहे होते तो शायद तस्वीर कुछ और होती पर आज इस बात को याद करने का दिन नही है बल्कि मानवतावादी सत्य अहिंसा ग्राम स्वराज और स्वावलम्बन बनाम हत्या दंगे , राक्षसी सोच और अंधाधुंध पूंजीवाद के बीच चलती लड़ाई में से अपना पक्ष चुनने का दिन है ।
आइए बापू के साथ खड़े हो । 
#मैं_भी_सोचूँ_तू_भी_सोच

मंगलवार, 9 जनवरी 2024

1991 और वो सरदार जी

#जिंदगी_के_झरोखे_से 

सरदार जी जो बस बड़ी बाते कर एम एल सी बन गए :

1989 की बात है जब मैं मुलायम सिंह यादव जी के चुनाव का काम देख रहा था जसवंत नगर इटावा में । संभवतः पीलीभीत क्षेत्र के एक सरदार जी तथाथित तैर पर किसानों की कुछ समस्या लेकर मुलायम सिंह जी से मिले थे और शायद ये भी कह दिया था की उनके पास अच्छी खासी ताकत है कही भी भीड़ जाने के लिए ।तभी ये चुनाव पड़ गया । इस समय इटावा में बाबू दर्शन सिंह यादव जी बहुत बड़े और ताकतवर व्यक्ति थे तथा कभी मुलायम सिंह जी की मदद करते थे पर एक राजनीतिक घटनाक्रम के कारण जिसमे पहले उनको जिला पंचायत अध्यक्ष का चुनाव लड़ाने की बात कह कर मुलायम सिंह जी ने रामगोपाल यादव को उम्मीदवार बना दिया था उसी से आहत होकर बैर भी हो गया था और वो काग्रेस में चले गए थे तथा वहा के नेता हो गए थे । जसवंत नगर में मुकाबला उन्ही दर्शन सिंह यादव जी से होना था । इस समय सरकारी गेस्ट हाउस में रुकने पर पाबंदी नहीं थी वैसे भी मुलायम सिंह जी ने सिंचाई विभाग के एक सूट को अपना स्थाई निवास बना रखा था क्योंकि शहर में उनका घर नही था और गांव में भी बस घर था , और चुनाव में गाड़ियों का काफिला लेकर चलने तथा हथियारों के साथ चलने पर रोक नही थी । 
दर्शन सिंह जी का आतंक था की भट्ठे में झोकवा देते है लोगो को और वो मुलायम सिंह जी पर शक्ति में इस वक्त कुछ हद भारी भी थे या ऐसा मनोवैज्ञानिक असर था  इसीलिए जब तक 10/12 राइफल एकत्र नही हो जाती तब तक मुलायम सिंह जी भी प्रचार के लिए नही निकलते थे ( ये भी यही जिक्र कर दे की इसी चुनाव में मुलायम सिंह जी पर गोली भी चली थी जिसमे वो बाल बाल बच गए थे एक हमर  द्वारा धक्का दे दिए जाने के कारण ,फिर शायद दर्शन सिंह जी भी कही हाथ लग गए थे शायद इसलिए की उस घटना के वक्त मैं मौजूद नही था बाद में लोगो से और मीडिया के दोस्तो से पता लगा था जिन लोगो के अचानक उसी स्थान पर पहुंच जाने के कारण दर्शन सिंह जी बच गए थे )। 
ये चुनाव बड़ा तनाव वाला था इसी में एक बार मुलायम सिंह जी नाराज होकर मुझे कह दिया था की मैं तत्काल इटावा छोड़ दूं और इलाहाबाद जनेश्वर मिश्र जी के चुनाव में चला जाऊं क्योंकि मैं कही भी चला जाता और भाषण देने लगाया तो उस दिन मुलायम सिंह जी ने गुस्से में कहा था की आप जानते है को वो भट्ठे में झोकवा देगा और आप की हड्डियां भी नही मिलेंगी और मैं आप के परिवार को क्या जवाब दूंगा और मैने जाने से इंकार कर दिया ये कह कर की मेरी मौत जब आनी होगी तभी आयेगी उसके पहले किसी की औकात नही जो मुझे मार दे और मैने अपनी तरह ही प्रचार जारी रखा ।
मैं बात कर रहा था सरदार जी की जिनका नाम अब याद नहीं । 
इस माहौल के कारण उनकी बन गई और 10/12 सिख लोगो के साथ आ गए और सिंचाई विभाग के गेस्ट हाउस की एनेक्सी में जम गए और जम कर दारू और मुर्गा चलने लगा ।
एक दिन उनका इम्तहान हो गया । वोटिंग के दिन जसवंत नगर कस्बे के पास  वाली पोलिंग पर गोली चल गई और मतदाताओं को भगाया जाने लगा जिसमे स्थानीय दरोगा तथा एस डी एम भी शामिल थे । उस पोलिंग पर मुलायम सिंह जी के पक्ष में मतदान होने की सभवना थी । मेरे पास खबर आई तो मैंने सरदार जी से कहा की आप लोग तुरंत चलो ऐसा हो गया है। मैने 10 मिनट इंतजार किया पर सारे लोग एक दूसरे का मुंह देखते रहे और जाने के प्रति बिलकुल अनिक्षुक तब मैंने अपनी गाड़ी उस पोलिंग की तरफ बढ़ा दिया और वहा जाकर अधिकारियों से भिड़ गया । इतने दिनो में पूरा क्षेत्र मुझे जान गया था और मेरे भाषणों का आकर्षण भी खूब था +जिसका जिक्र अगले किस्से में ) तो मुझे देखते ही तीतर बितर हुए लोग पोलिंग पर इकट्ठे हो गए और अंततः अधिकारियों को झुकना पड़ा और फिर पोलिंग शुरू हो गई ।
चुनाव हो गया मुलायम सिंह जी जीत गए और मुख्यमंत्री बन गए । दर्शन सिंह जी के कारोबार और भट्ठो पर खुद तांडव चला सत्ता का उनकी आर्थिक कमर भी तोड़ी गई और उनको दिल्ली में घर लेकर तब तक शरण लेनी पड़ी जब तक सत्ता रही । ये अलग बात है की बाद में उनसे समझौता भी हुआ और पार्टी में उनका सम्मान भी हुआ और उनको राज्य सभा सदस्य भी बनाया गया जिसपर मुलायम सिंह जी ने भी कहा की इस क्षेत्र में कोई भी विरोधी क्यों हो और दर्शन सिंह जी मुझसे मिले तो पहले तो ये कहा की आप ही है वो सी पी राय ? मैं सोचता था की कौन है ये नौजवान को बिना डरे मेरे क्षेत्र में चुनौती दे रहा है और फिर उनसे मेरी बहुत अच्छी दोस्ती हो गई । उन्होंने कहा की मैने सोचा की अपनी दुश्मनों अगली पीढ़ी को क्यों दिया जाए इसलिए समझौता कर लिया ।
इस बीच उत्तर प्रदेश में एम एल सी चुनाव आ गए । इसी चुनाव में मैने आगरा के खेरागढ़ से टिकट मांगा था जिसके लिए संसदीय बोर्ड के अधिकांश सदस्य मेरे पक्ष में था चौ देवीलाल विशेस तौर पर और जॉर्ज फर्नाडीज इत्यादि भी पर मुलायम सिंह जी वहा एक बदनाम व्यक्ति को टिकट देना चाहते थे तो उन्होंने संसदीय बोर्ड में ये कह दिया की सी पी राय मेरा चुनाव देखे और जब मैं मुख्यमंत्री हो जाऊंगा तो एम एल ए क्या होता है सी पी राय उससे ज्यादा बना दिए जायेंगे और इसपर पहले जॉर्ज साहब फिर देवीलाल जी और चंद्र शेखर जी सहित सभी ने कहा कि में जाकर मुलायम सिंह जी का चुनाव देखूं और जब वो मुख्यमंत्री हो जाएंगे तो उनका बड़ा है बोर्ड के सामने तो हो सकता है कि राज्यसभा दे या एम एल सी बना कर मंत्री ही बना दे , पर दोनो के चुनाव हुए तो मेरा नाम कही नही था और वो सरदार जी सिर्फ बाते बना कर एमएलसी बना दिया गए ।।फिर मुलायम सिंह जी मुझसे जब तक  सरकार रही मिले ही नही हा मुलाकात हुई जब सरकार जा रहती और 1991 का चुनाव आने वाले थे ।