बुधवार, 21 अप्रैल 2021

ये है भाजपा का राज

#लखनऊ की हालत के बारे मे वरिष्ठ पत्रकार Golesh Swami स्वामी का स्वयं का भोगा उनकी कलम से ही -

यूपी की राजधानी की व्यवस्था की एक बानगी। लखनऊ में जितनी बेबसी इस समय है, ऐसी पहले कभी नहीं देखी। यानी महामारी से लड़ने की कोई तैयारी नहीं थी। सब कागजी घोड़े दौडा रहे थे। अब भी कागजी घोड़े ही दौड़ रहे हैं। किसी गंभीर मित्र के लिए बेड चाहिए। लखनऊ ने नोडल अफसर प्रमुख सचिव वरिष्ठ आईएएस अधिकारी भुवनेश कुमार से बात हुई। वे अच्छे और व्यवहार कुशल अधिकारी हैं। लेकिन वे भी अहाय लगे। बोले मैं सिर्फ अपर मुख्य सचिव मनोज कुमार सिंह साहब के एवज में सुपरवीजन का कार्य देख रहा हूं कि जिनको व्यवस्था सौंपी है, वे अधिकारी ठीक काम कर रहे हैं या नहीं। बेड की व्यवस्था कराना जिले के अफसरों का कार्य है। लखनऊ की प्रभारी डीएम डा रोशन जैकब को फोन मिलाया। मालूम पड़ा वो कोरन्टाइन हैं। उनका सीयुजी नंबर टेलीफोन आपरेटर के पास है। यानी लखनऊ में इस समय कोई डीएम नही है। आपरेटर से किसी जिम्मेदार अधिकारी से बात कराने को कहा जाता है तो वह पीए से बात कराता है। पीए कहता है आपको किस हास्पीटल में एडमिट कराना है, वहां के नोडल अधिकारी का नंबर दे दें। मैं ने कहा जहां बेड हो, वहां के नोडल अफसर का नंबर दे दीजिए। उसने वोला, यह नहीं बता सकते। मैं ने बोला अच्छा मेदांता के नोडल अधिकारी का नंबर दीजिए। मेदांता के नोडल अधिकारी अमित सिंह का नंबर लेकर बात की। उन्होंने कहा मैं स्वयं कोरोना पाजिटिव हूं। खैर उनको गैट वैल सून वोला और उनके विकल्प कमला प्रसाद को फोन मिलाया। उनका फोन ही नहीं उठा। इसके बाद मैं ने अपने एक-दो मेडिकल रिपोर्टर मित्रों को लगाया। वे भी घंटों प्रयास करने के बाद थक गए हैं। इस प्रक्रिया में कई घंटे बीत गए। अब स्थिति राम भरोसे है। यानी लखनऊ में न बेड है, न आक्सीजन और न ही वेंटिलेटर। इसके बाद की स्थिति आप सबको पता है। सादर।