शनिवार, 18 सितंबर 2021

उत्तर प्रदेश की जाट राजनीति का पतन

उत्तर प्रदेश की जाट राजनीति को विश्वनाथ प्रताप सिंह ने पलीता लगाया था 1994 मे ।वैसे तो अजीत सिंह जी की अस्थिरता और राजनीति के प्रति कुछ चीजो का अभाव भी जिम्मेदार रहा ।
1989 मे जो चुनाव हुये थे उसमे शुरू दे स्पष्ट था कि विश्वनाथ प्रताप सिंह प्रधानमंत्री पद के और उत्तर प्रदेश में मुलायम सिंह यादव मुख्यमंत्री पद के अघोसित प्रत्याशी है ।
पर चुनाव के बाद पुरानी अदावत के कारण विश्वनाथ प्रताप सिंह ने अजीत सिंह को चढा दिया और मुख्यमंत्री का दावेदार बना दिया जबकी टिकेट के बटवारे मे ही मुलायम सिंह के लोग अधिक थे ।
अजित सिंह जी लखनऊ आ गये । 
उस चुनाव मे मैं मुलायम सिंह यादव का चुनाव देख रहा था क्योकी जब जनता दल के संसदीय बोर्ड मे खेरागढ से मेरे नाम पर ज्यादा सहमती बनी तो उन्होने कह दिया था की इस चुनाव मे सी पी राय मेरा चुनाव देखे क्योकी मैं तो देश और प्रदेश के दौरे पर रहूंगा और जब मैं मुख्यमंत्री बन जाऊंगा तो एम एल ए क्या होता है सी पी राय उससे बहुत बड़े होगे । बैठक खत्म होने पर सबसे पहले जोर्ज फर्नांडीज निकले तो मुझे सामने देखते ही बोले "राय आप मुलायम सिंह यादव का चुनाव देखो वो बैठक मे बोला कि मैं मुख्यमंत्री हो जाऊंगा तो सी पी राय एंम एल ए से बड़े होंगे ।हो सकता है वो आप को राज्य सभा मे रखे या एम एल सी बना कर मंत्री बना दे । बाद मे यही बात चौ देवीलाल ,चंद्रशेखर जी ,विश्वनाथ प्रताप सिंह इत्यादि सभी ने मुझसे कहा पर जो हुआ वो दुनिया को पता है पर ये कम लोग जानते है कि उस चुनाव के बाद मुख्यमंत्री बन कर मुलायम सिंह यादव जी मुझे मिले ही नही और जब सरकार गिर गयी तब मिले और मुझे संगठन मे जुट जाने के लिये बोल कर प्रदेश का महामंत्री बनाया ।
खैर उस समय प्रेक्षक बन कर मधू दंदवते ,जोर्ज फर्नांडीज और चिमन भाई पटेल लखनऊ आये थे । मधू जी और जोर्ज ने कोशिश किया की आम सहमती से मुख्यमंत्री चुन जाये और प्रारम्भ मे ही दरार न पड़े । तब मधू दंड्वते के साथ मुलायम सिंह यादव मिलने स्टेट गेस्ट हाउस गये और अजीत सिंह से उन्होने कहा की आप मेरे नेता हो क्योकी चौ साहब के बेटे हो ।आप दिल्ली मे रहो और वहा की राजनीति सम्हालो और मुझे प्रदेश मे रहने दो ।एक बार लगा की सहमती बन जाएगी ।अजीत सिंह ने थोडा समय मांगा और वही चूक हो गयी । साथ के लोग जिनका नाम नही लिख रहा हूँ ने अजीत सिंह से कहा की राजा साथ है और ज्यादा विधायक हमारे पक्ष मे है ।इन लोगो को पता ही नही था की बसो मे भर कर विधायक कही और भेज दिये गये थे पिकनिक मनाने जो विधायको की बैठक के एक दिन पहले वाली शाम को सीधे मुलायम सिंह यादव के घर पर आये जहा वो अकेले रहते थे और ऊपर ही खाने का इन्तजाम था तथा उस दौरान उदय प्रताप जी और मेरी कविताए होती रही ।
अजीत सिंह जी चुनाव के लिये अड़ गये और मजबूरी मे चुनाव हुआ ।
इससे पहले चुनाव के पहले वाली शाम को हम लोग मुलायम सिंह यादव के घर मे ऊपर बैठे थे तभी नीचे से जगजीवन का फोन आया कि विश्वनाथ प्रताप सिंह के दो विधायक मिलने आये है । उन्हे ऊपर बुला लिया गया वो थे सच्चिदानंद वाजपेयी जो सरकार मे उच्च शिक्षा मंत्री बने और मुहमद असलम जो वन और पर्यावरण मंत्री बने । दोनो ने बताया की राजा साहब ने अपने ग्रुप के विधायको को आप का साथ देने का आदेश दिया है ।
राजा ने खेल कर दिया था आमने सामने कर के ।
चुनाव हुआ ,मुलायम सिंह यादव को कही बहुत ज्यादा वोट पड़ा तो मंच पर मधू दंदवते जी ने अजित सिंह जी से गिनती के बाद पूछा की वोट डिक्लेयर करे या रहने दे तो अजीत सिंह जी खिन्न होकर चले गये ।
आगे की कहानी सबको पता है और उसके पहले की भी ।
यदि उस दिन अजीत सिंह जी दिल्ली मे मुलायम सिंह का नेता बनना स्वीकार कर उन्हे मुख्यमंत्री बना गये होते तो शायद पुराने लोक दल का आधार बना रहता और इस फार्मूले पर राजनीति की लम्बी पारी चली होती ।
मैं जब सपा से निकाल दिया गया था और लाख कोशिश के बाद भी मुलायम सिंह यादव वापस लेने को तैयार नही थे तो डेढ साल इन्तजार के बाद जितेन्द्र प्रसाद जी तब प्रधानमंत्री के राजनैतिक सचिव थे के बुलावे पर कांग्रेस मे शामिल हो गया था और अजित सिह जी भी कांग्रेस मे आ गये थे तो एक बार अजीत सिंह जी के साथ मुझे पूरे दिन हेलिकोप्टर मे साथ रह कर सभाए करने का मौका मिला । उसी मे मैने उनसे कहा की कांग्रेस के पास जनाधार वाले नेता नही है ,आप यदि इसमे बने रहेंगे तो बहुत बड़े और प्रभावशाली नेता तो होंगे ही उत्तर प्रदेश में आप के बिना कुछ नही होगा और आप के कारण बहुत से पुराने लोक दली तथा।समाज वादी आप के कारन इसमे मिल जायेगे और आप मजबूत ताकत बन जायेंगे ।
पर वो नही हुआ ।आगे का सब जानते ही है ।

दुशांबे का मोदीजी का भाषण

#मोदीजी_का_भाषण

मेरे घर मे डिश कनेक्शन नही है अत: मैं #मोदीजी का कल का शंघाई सहयोग संगठन का भाषण नही सुन पाया था या क्या चुपाऊ ,काफी दिनो से उनका भाषण सुनना ही बंद कर दिया है ,उनके भाषण पर सच झूठ या अज्ञानता के विवाद सोशल मीडिया से पता चल ही जाते है ।
खैर आज उनका भाषण अखबार मे देखने को मिला जिसमे उन्होने (1)  कट्टरता को शान्ती और सुरक्षा के लिये खतरा बताया है और (2) अफगानिस्तान के संदर्भ मे समावेशी शासन की बात किया है तथा अल्पसंख्यको और महिलाओ को लेकर चिंता व्यक्त किया है ।
निश्चित ही अगर ये आरएसएस और भाजपा के चिन्तन सोच और व्यव्हार तथा उदेश्य मे परिवर्तन का द्योतक है तो स्वागत योग्य है और अगर "पर उपदेश कुशल बहुतेरे "है तो फिर जाने ही देते है क्योकी हजारो भाषणो मे एक भाषण और जुड़ गया जैसा है ।
संघ प्रमुख हो या मोदी कई बार सार्वजनिक मंचो पर और खासकर मोदी अंतर्राष्ट्रीय मंचो पर ऐसे भाषण देते ही रहते है जो पदीय मजबूरी होती है अथवा अन्तर्राष्ट्रिय बिरादरी मे उठने बैठने की मजबूरी होती है जो  उनके मूल विचार का बिल्कुल उलट होता है ।
काश ये दोनो लोग अपने 120 से ज्यादा संगठनो को सामने बैठा कर दिल से यही भाषण दे पाते तो भारत का भला हो जाता ।
अन्यथा चूंकि अब दुनिया एक गाँव बन चुकी है तो सब को सब पता है और निश्चित ही बाकी राष्ट्राध्य्क्ष मंद मंद मुस्कराये होंगे इस भाषण पर ।
पर हम भारत के लोग भारत के हितो के लिये और हितो की सीमा तक तो आंख बंद कर अपने प्रधानमंत्री के साथ है ।
जी बजाओ ताली -भाषण बहुत ही जानदार था और खास बात ये है की पाकिस्तान और इमरान की फ़ूक सरक गयी इस भाषण से ।
वैसे हर घर मे आइना तो जरूर होता है ।

शुक्रवार, 3 सितंबर 2021

ईश्वर क्या ? और कहा रहता है ईश्वर ? माँ कौन ?

मेरे कृष्ण पर लिखे लेख पर किसी ने लिखा कि:इसके लिए तो अयोध्या की तरह मथुरा भी आज़ाद करवाना होगा :  
कितना अज्ञानी हो गया है समाज का एक वर्ग ? वो ईंट गारे में ईश्वर ढूँढ रहा है ,जो कण कण में है उसे कुछ फुट ज़मीन के दायरे में कैद कर देना चाहता है । 

ख़ैर मैंने ये जवाब दिया - 

“अपने मन में धारण करिए ।जैसे ईंट गारे की इमारत घर नही होती बल्कि उसमें रहने वालो और उनके आचरण तथा प्रेम से घर बनता है 
वैसे ही मन के विचार ,इंसान से प्रेम और सदकर्म ही ईश्वर है
और वो ईंट गारे में नही बल्कि हर इंसान के हृदय और कर्म में होना चाहिए 
वरना तो आशाराम और राम रहीम कि बाढ़ है 
ईश्वर तब गढ़े गए जब क़ानून और संविधान नही था , अब है ।
राजनीति तो कभी जाती को इस्तेमाल करती है और कभी धर्म को
और मंथराए तथा कैकेयी कर्म और गुण से नही बल्कि छल से सत्ताये हासिल करने को हर युग में तत्पर है 
चाहे राम और सीता की कितना भी कष्ट देनापड़े और उनका मार्ग कितना भी कठिन हो , उनके पाँवों में कितना भी छाले पड़े 
पर 
सत्ता चाहिए कैसे भी ।
अज्ञानी अयोग्य और असफल सत्ता । समाज तथा देश को बर्बाद करती हुयी सत्ता । “
अब याद आ रहा है - 
कांकर पाथर ज़ोर के मस्जिद लई बनाया 
ता चढ़ी मुल्ला बाँग दे बहरा हुआ खुदाय ?
माला फेरत जाग मुआ गया न मन का फ़ी 
कर का मनका डारि दे मन का मनका फेर ।
बुरा जो देखन मैं चला बुरा न मिलिहा कोय 
जो दिल देखा आपना मुझ से बुरा न कोय । 
पाहन पूजे हरी मिले , तो मैं पूजूँ पहार 
या तो ये चाकी भली पीस खाय संसार । 
बाक़ी मानने वाले तो पहाड़ की बर्फ़ गलने से बह रहे पानी (#नदी ) को एक नाम देकर माँ मानते है , एक #जानवर को माँ कहते है , मिट्ठी पत्थर से बनी #ज़मीन को माँ कहते है 
पर असल माँ को ? 
और ऐसा मानने बाले देश में २ करोड़ से ज़्यादा माताएँ बहने बेटियाँ वेश्यवृत्ति करती है 
काश उनको माँ मान कर ऐसे ही लड़ते !