समाज हो या सरकार, आगे तभी बढ़ सकते हैं, जब उनके पास सपने हों, वे सिद्धांतों कि कसौटी पर कसे हुए हो और उन सपनों को यथार्थ में बदलने का संकल्प हो| आजकल सपने रहे नहीं, सिद्धांतों से लगता है किसी का मतलब नहीं, फिर संकल्प कहाँ होगा ? चारों तरफ विश्वास का संकट दिखाई पड़ रहा है| ऐसे में आइये एक अभियान छेड़ें और लोगों को बताएं कि सपने बोलते हैं, सिद्धांत तौलते हैं और संकल्प राह खोलते हैं| हम झुकेंगे नहीं, रुकेंगे नहीं और कहेंगे, विजयी विश्व तिरंगा प्यारा, झंडा ऊँचा रहे हमारा|
शनिवार, 7 सितंबर 2013
मैंने आज किसी से लाल किले के तस्वीर बनवाया और दीवार पर उसे लगा कर उसके सामने खड़े होकर भाषण दिया । सचमुच बहुत मज़ा आया । प्रधानमत्री बनने की दिशा में एक मजबूत कदम तो मानेंगे न आप लोग । जय हिन्द ।
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