शुक्रवार, 27 सितंबर 2013

देशहित में ,समाजहित में या कोई और बहुत अच्छी बात कहता हूँ तो कोई संघी लाइक तक करने की कोशिश नहीं करता है पर ज्यो ही किसी आतंकवादी या फासीवादी के खिलाफ लिखता हूँ ये एकजुट होकर मेरे ऊपर टूट पड़ते है |

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें