सोमवार, 30 सितंबर 2013

नफ़रत बांटने वाले और आतंक की खेती करने वाले पाकिस्तानियों के लिए एक घटना ------

मैं अपने दोस्त के इलाज के लिए दिल्ली के एस्कॉर्ट गया था | अचानक माइक से आवाज आई की एक बच्चे की हालत गंभीर है और उसे ओ पॉजिटिव खून चाहिए | मैं काउंटर पर गया और अपना खून दिया | तभी दिल्ली की एक शिक्षिका मिसेस शर्मा आ गयी उनका कोई बहुत गंभीर था पर उन्होंने अपना खून तो दिया ही अपने ऐसे कई रिश्तेदारों को भी फ़ोन कर बुला लिया जिनका ओ ग्रुप का खून था | फिर दो तीन दिनों तक पास के छात्र आते रहे खून देने |
फिर एक दिन जिनका बच्चा था वे मिले ,, वे लाहौर के बड़े ट्रांसपोर्टर थे ,,, मुसलमान होने के बावजूद वे सामने जमीन पर बैठ गए और रोने लगे | मैंने उन्हें उठाया तो उन्होंने कृतज्ञता जाहिर किया और अपना कार्ड दिया की कभी लाहौर आइये | मैंने उनसे केवल एक आग्रह किया की अपने देश के आतंकवादियो को और आकाओ को मत बता दीजियेगा की हिंदुस्तान और हिन्दू लोगो के खून से आप का बच्चा बचा है | उन्होंने कहा की जनता के विचार ऐसे नहीं है बल्कि वहा के फौजी आका और आतंकवादी ताकतें केवल ये खेल करती है | अगर वहां तरक्की हुयी होती तो हम जैसे लोगो को इलाज के लिए भारत क्यों आना पड़ता ? हम लोगो को यहाँ सारी सुविधाएँ मिली | मैंने पूछा की पाकिस्तानी होने के कारन आपसे किसी ने कोई फर्क किया हो किसी मामले में ,उन्होंने कहा कत्तई नहीं ,पता ही नहीं लगा की हम अपने देश में नहीं है | उन्होंने बताया की मैं तो जब बच्चा ठीक होने लगा तो मस्जिद पूछ कर पास ही चला गाया ,जामिया नगर में तमाम मुसलमान मिले सब खुश है ,इस इलाके के एम् एल ए भी मुसलमान है , रास्त्रपति भी मुसलमान है ,हमारे पाकिस्तान में तो कोई हिन्दू नहीं बन सकता | उन्होंने ये वादा किया था की पाकिस्तान जाकर वो ये बातें वहा के लोगो को बताएँगे | पता नहीं बताया या नहीं |
इन पाकिस्तानियों को शर्म नहीं आती की उनके देश से ज्यादा मुसलमान भारत में है और देश के बड़े पदों पर है | सुधर जाओ पाकिस्तानियों वर्ना ----

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