बुधवार, 18 सितंबर 2013

कल से दिल्ली की तरफ । क्या करूँ ५० दिन से ज्यादा हो गया तो गंगाराम अस्पताल की शरण में जा रहा हूँ । जिम्मेदारियां हैं वरना जीवन का कोई मतलब नहीं है । एक समय आता है कुछ लोगो के जीवन में की जीवन बेमतलब हो जाता है और आप अनुपयोगी और अपराधी भी हो जाते है सभी के लिए । आप नितांत अकेले हो जाते है और केवल दिन और पल गिनते है ।

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