शुक्रवार, 27 सितंबर 2013

हमारे १२ लोग जिसमे एक लेफ्टिनेंट कर्नल भी है आज बिना लड़ें ही शहीद हो गए | लड़ कर हुए होते तो १२० या १२०० दुश्मनों को मार कर हुए होते | आज रात को नीद नहीं आएगी अगर ये नहीं पता लगा रात तक की १२० दुशमनो को मार दिया | एक बार निपट क्यों नै लेते | बिना लड़ें क्यों मरे |लड़ाई में भी लोग शहीद होते हैं ,हथियार खर्च होते है ,पैसा खर्च होता है तो वो तो वैसे भी खर्च होता है
हमारी गलती मैं ये भी मानता हूँ की हमें उस कश्मीर पर लगातार बात करना चाहिए था जो कश्मीर ने कब्ज़ा किया है ,,,, हमें तिब्बत ,,और १९६२ में हमसे छीनी हुयी जमीन के मुद्दे पर लगातार दुनिया के सामने डेट रहना चाहिए था | तो हमारे सामने शायद दूसरी स्थितियां होती |

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