सोमवार, 16 सितंबर 2013

जिस तरह मैं जब किसी फासीवादी पार्टी के खिलाफ या किसी फासीवादी व्यक्ति के खिलाफ लिखते या बोलते ही हिन्दू विरोधी हो जाता हूँ वैसे ही दोस्तों मेरा साथ नहीं देने वाले या विरोध करने वाले हिंदुस्तान विरोधी है और हिंदुस्तान विरोधी होने के कारण हिन्दू विरोधी भी है ,हिंदुस्तानियत विरोधी भी है और इंसानियत विरोधी भी है । जो आर मेरा विरोध करते है ,वे समाज विरोधी है और जो दोस्त बन कर गलियां देते है वे संस्कार विरोधी है या उनके परिवारों में गलिया देकर ही बात करने का प्रचलन है  क्या कर सकता हूँ ।
कृपा होगी की आप सभी खुद अन्फ्रेंड हो जाये क्योकि मैं जिससे दोस्ती करता हूँ उसे ठुकराता नहीं ।

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