रविवार, 29 सितंबर 2013

देश में महत्मा गाँधी ,सुभाषचंद्र बोस ,डॉ लोहिया ,जयप्रकाश ,चौ चरण सिंह ,सहित तमाम बड़े नेता हुए जो अपने समय में जनता के दिलो पर राज कर रहे थे पर किसी के मंच पर दूसरे नेता हूट नहीं किये गए ,सभी को जनता सुनती थी |
पर अब तो किसी को आगे बढाने वाले भी उस मंच पर नहीं बोल पाते | पुरानी कहावत है की गलत जानवर पालोगे तो पहले आप को ही कटेगा |
नागपुर और गुजरात से हर जगह भेजे जा रहे कुछ हजारो लोग ये खेल कर रहे है | हिटलर के समय भी ऐसा ही होता था | शायद उनको बढाने वाले लेकिन राजनैतिक कार्यकर्ता ,मीडिया और पूंजीवादियो को अब दिखने लगना चाहिए की हिटलर का उद्भव हो रहा है और हिटलर के आने का क्या मतलब होता है ?? जीवन नरक हो जाता है लोकतंत्र ख़त्म हो जाता है और चारो तरफ खून और तबाही ही तबाही दिखती है |

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें