बुधवार, 25 सितंबर 2013

मैंने आगरा की आर्काइव लाइब्रेरी से कुछ कागज निकले थे अटल बिहारी वाजपेयी की आजादी के समाय की भूमिका के बारे में पर कभी सार्वजानिक नहीं किया क्योकि वो कुछ बदले बदले से दिख रहे थे पर अहंकार का प्रतिमूर्ति ,जिसकी आँखों में हिंसा झांकती हो और जिसका इतिहास खून से भरा हो उसके बारे में तो कलम अंतिम सांस तक देश को आगाह करेगी की जागते रहो ,देखो हिटलर शक्ल बदल कर प्यारे हिंदुस्तान को बर्बाद न कर दे |

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें