मैंने
आगरा की आर्काइव लाइब्रेरी से कुछ कागज निकले थे अटल बिहारी वाजपेयी की
आजादी के समाय की भूमिका के बारे में पर कभी सार्वजानिक नहीं किया क्योकि
वो कुछ बदले बदले से दिख रहे थे पर अहंकार का प्रतिमूर्ति ,जिसकी आँखों में
हिंसा झांकती हो और जिसका इतिहास खून से भरा हो उसके बारे में तो कलम
अंतिम सांस तक देश को आगाह करेगी की जागते रहो ,देखो हिटलर शक्ल बदल कर
प्यारे हिंदुस्तान को बर्बाद न कर दे |
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