शुक्रवार, 6 सितंबर 2013

देखूं अपने आगरा के लिए जो चाहता हूँ कब तक कर पता हूँ----------------------------------------------------------मैं जहा पैदा हुआ था वहा की मिटटी का कर्ज चुकाने की कोशिश में गाँव तक जाने वाली सड़क बनवा दिया है ,जिस स्कूल में पढ़ा था वहा तक और बाकि गाँव की सड़क बनने वाली है । १९६५ के बाद चकबंदी नहीं होने के कारण मुख्य मार्ग से गाँव तक प्रस्तावित नयी चौड़ी सड़क नहीं बन पाई और मेरे जैसे साधारण आदमी के खेत भी छोटे बड़े ९५ टुकड़ो में बचे है इसलिए चकबंदी का आदेश करवा दिया है और अब शिवपाल जी की सख्ती से शायद जल्दी हो जाएगी तो सारे खेत एक जगह आ जायेंगे ,अच्छा लगेगा । बिजली तो १९७९ में ही मेरे घर में एक मांगलिक कार्यक्रम के कारण विशेष रूप से आ गयी थी । अब गाँव और उससे जुड़े अन्य बिरादरी के टोलों के लिए पानी की टंकियां लगवाना शेष रह गया है ।
 मुझे ये प्रेरणा मेरे फुफेरे भाई और पूर्व पुलिस महानिदेशक विभूति नारायण राय के कार्यो से मिली, जिन्होंने ऐसा काम किया है जो बड़े बड़े राजनेताओ ने नहीं किया है । मैं तो उनके मुकाबले ५ % भी नहीं कर पाया हूँ । उन्होंने तो गजब कर दिया है की आसपास के गाँव के सभी बच्चे कम्पूटर साक्षर हो गए है ,, नाटक करने दूर दूर तक जाते है ,नाट्य अकादमी में चयनित होते है ,,तरह तरह की आधुनिक खेती की शिक्षा से लेकर इतनी बड़ी लाइब्रेरी जिससे आस पास के इलाके के रोज इतने लोग किताबे ले जाते है जितने आगरा विश्वविद्यालय में भी नहीं लेते है । शोध करने वाले छात्र वहां कई दिनों तक रुक कर पढ़ते है तो बड़े बड़े साहित्यकार भी । राज्यपाल से लेकर तमाम बड़े लोग वहां जाते रहते है । शायद वो देश के आई ए एस आई पी एस सहित सभी नौकरियों में एकमात्र है जिन्होंने अपने गाँव के लिए और आसपास के इलाके के लिए इतना काम भी किया है और बड़े पैमाने पर लोगो को या तो नौकरी दिया या नौकरी योग्य बनाया है । इन पांच सालो में महत्मा गाँधी अंतररास्ट्रीय हिंदी विश्व विद्यालय वर्धा को भी जो ऊँचाइयाँ उन्होंने दिया है उसकी कल्पना नहीं की जा सकती है । देखते है वह से मुक्त होने के बाद सरकार उनसे और कोई काम लेती है या फिर गाँव का अभियान ही और गति पकड़ता है ।
अगर सभी लोग जो जनप्रतिनिधि है ,अधिकारी है ,व्यापारी है या कुछ भी प्रभावशाली है सभी केवल अपने गाँव और मुहल्लों तथा आसपास के लिए अपना इमानदार योगदान देने लगे तो देश में बहुत कुछ बदल सकता है पर ९९.९९ % लोग केवल अपने लिए जी रहे है ।
अब जहा मेरे जीवन करीब ५० साल बीता है उसके लिए भी लगा हूँ की कोई बड़ी लकीर खींच सकूँ पर मैं तो केवल प्रयास कर सकता हूँ ,फैसला तो सरकार और तंत्र को करना है । यूँ तो जब जनेश्वर मिश्र जी देश के संचार मंत्री बने थे तो पहला इलेक्ट्रॉनिक सिस्टम आगरा के लिए मैंने ही स्वीकृत करवाया था । जब वो रेल मंत्री बने तो रेलों के स्टॉप तय करवाए । नेता जी की १०८९ की सरकार में आर बी एस कालेज को १० लाख रूपया दिलवाया तो देवी लाल जी और नेताजी से प्रेस क्लब के लिए भी दान दिलवाया और प्रेस क्लब के लिए मेरे योगदान को उस वक्त उसके लिए प्रयास कर रहे वो ४ / ५ लोग तो जानते ही है । करीब १५०० हैण्डपंप लगवाये १९९३ की सरकार में ।
पर ये सब कुछ नहीं है । अब मैंने जो दो प्रस्ताव दिए है और जिनके लिए प्रयास कर रहा हूँ  -१- जमुना नदी की ताजमहल के पुर्व में एक किलोमीटर से लेकर कैलास तक डिसिल्टिंग करवाना जिससे जमुना नहीं करीब ८ फुट गहरी हो जाएगी और एक स्वाभाविक झील बन जाएगी तथा उससे वाटर लेबल भी बढेगा शहर का तथा पानी क्वालिटी भी । --२-- मैंने प्रस्ताव दिया है की अगर टूंडला मार्ग -- अगरा फतेहाबाद मार्ग -- आगरा से नए बनने वाले आगरा लखनऊ मार्ग और टूंडला स्टेशन की रेलवे लाइन के बीच के हिस्से को विशेष आर्थिक परिक्षेत्र ,नए इंस्टीट्युशनल एरिया ,नए शहर और कार्यालयों और नये बाजार के रूप में विकसित किया जाये । इसमें इनर रिंग रोड भी आ जायेगा , नॉएडा का एक्सप्रेसवे भी इसी से जुडा होगा तथा टूंडला का रेलवे स्टेशन भी इसका हिस्सा होगा । अगर ये योजना लागू होती है और प्रदूषण रहित उद्योग लगते है तमाम सॉफ्टवेयर कम्पनियाँ यहाँ आ जाती है तो सीधे सीधे करीब तीन लाख लोगो को रोजगार मिलेगा । वैसे निर्माण इत्यादि तथा अन्य सेवाओ को जोड़ लें तो १० से १५ लाख को रोजगार मिलेगा ,पूरा आगरा ही नहीं बल्कि आसपास के कई जिले बदलेंगे । जब ये विकास होगा तो टूरिस्म भी बढेगा , हवाई जहाज की यात्रायें भी बढ़ेगी तो हवाई अड्डा बनाना भी मजबूरी बन जायेगा और अन्य बहुत सा काम करना भी ।
माननीय मुख्यमंत्री जी सिद्धांततः इससे सहमत हुए थे पर इस पर फैसला लेने के लिए जिन लोगो की एक बैठक होना आवश्यक है जिसमे अपना ब्लूप्रिंट रखने के लिए मैं भी रहूँ वो अभी तक नहीं हो पाई है । जिस दिन ये बैठक हो जाएगी मैं मानता हूँ की आगरा के बदलाव की नीव रख जाएगी मुख्यमंत्री अखिलेश यादव जी द्वारा । बस इस बैठक में नया नेता न हो क्योकि वो अपने अपने इलाके के मामले में उलझा कर इसे होने नहीं देंगे जैसा बजाज स्कूटर कारखाने के मामले में हुआ ,जिस आगरा के बेराज के मामले में हुआ हाँ बाकी आगरा के विकास में सचमुच रूचि रखने वाले जरूर योगदान दे ।
मैंने ये सब इसलिए लिख दिया की आगरा के सचमुच जागरूक और चिंतित लोग इस योजना के लिए दबाव समूह का काम करे ,उससे मझे मदद मिलेगी । इश्वर मुझे अपनी इस योजना को लागू करने की ताकत दे क्योकि मैं एम् पी ,एम् एल ए ,अधिकारी नहीं हूँ बस इस साधारण सा आगरा का नागरिक हूँ । आप सभी का सहयोग और दुवाएं चाहिए । जय हिन्द ।

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