अभी एक दोस्त ने लिखा की वो दलित साहित्य पढ़ना चाहती है और कोई उनकी मदद
करे । मैंने तो बचपन से केवल साहित्य शब्द पढ़ा है ,उसमे हिंदी साहित्य
,अंग्रेजी साहित्य देखा है । उसमे विधाए देखी है । पर ये दलित साहित्य ,
पिछड़ा साहित्य ,अगडा साहित्य ,पुरुष साहित्य ,स्त्री साहित्य , इत्यादि
इत्यादि कब पैदा हुआ । अगर ऐसा है तो ये बड़ा गुनाह है ,बड़ा विभाजन है और
राजनैतिक रूप से किये गए विभाजन से भी ज्यादा खतरनाक है क्योकि ये उन
साहित्यकारों द्वारा किया जा रहा है जिनपर समाज और देश को सही दिशा दिखाने
की जिम्मेदारी है । समाज और देश तथा साहित्य का ये विभाजन कभी सही रास्ता
नहीं हो सकता । जय हिन्द ।
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