सोमवार, 12 अगस्त 2013

अच्छा दोस्तों इमानदारी से एक बात बताना की मैंने अपने लिखने में किसी का नाम नहीं लिया ज्यादातर ,फिर मुझे गरियाने वाले कैसे समझ लेते है की मैंने उन्ही के बारे में लिखा है या उनके संगठन के बारे में लिखा है । चोर की दाढ़ी में तिनका सुना था ,क्या उसका यही मतलब था ।
कही इसका मतलब ये तो नहीं की मैं सच लिख देता हूँ और जिनके बारे में लिखता हूँ वो तो जानते ही है सच । इसलिए तिलमिला कर मुझे गरियाने लगते है ।

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