शनिवार, 31 अगस्त 2013

हम अपनों के बारे में चाहे कितनी गौरव गाथा लिखे ,कितनी भी तारीफ करे कोई फर्क नहीं पड़ता । बात तो तब है जब अन्य लोग हमारे अपनों की तारीफ के कसीदे पढ़े या हम जो लिखते है, तारीफ करते है उस को पसंद करें और उस पर अच्छी बातें लिखे । अगर ऐसा नहीं हो रहा है तो समझो की हमारा कहा सुना लोगो को पच नहीं रहा है और तब हमें आत्मनिरीक्षण करना चाहिए की चूक कहा हो रही है । बस यूँ ही लिख दिया । जय हिन्द ।

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