गुरुवार, 29 अगस्त 2013

पूर्वांचल में फिर बाढ़ का कहर

                                              टी वी पर अभी देख रहा था की पूर्वांचल में फिर बाढ़ का कहर हमेशा की तरह । पता नहीं कब तक उत्तर प्रदेश का पूर्वांचल ,बिहार ,झारखण्ड ,उड़ीसा और बंगाल का कुछ हिस्सा क्यों अभिशप्त है हर साल ये आपदा झेलने को । मुझे याद है अपने बचपन की बाढ़े जब सरे खेत डूब जाते थे और पानी घर तक आ जाता था । क्या ऐसे इलाको या शहरो में रहने वाले लोग इस दृश्य की कल्पना भी कर सकते है जब लोगो के सामने खाने ,पानी पीने के संकट के साथ कुछ नित्य कर्म करने का भी संकट पैदा हो जाता है । जब अपने पालतू या यु ही पल गए जानवर बेहाल दिखाते है बिलकुल लाचार । इंसान की आँख में भी सिर्फ पानी होता है और आँख के सामने भी सिर्फ पानी होता है । क्यों गरीब नहीं होगा ऐसा इलाका जो हर साल ऐसी आपदा झेलता है । पढ़ लिख कर नयी पीढ़ी नौकरी करने लगी या शहरो में निकल कर मेहनत मजदूरी करने लगी ,फ़ौज में चली गयी वर्ना इतनी छोटी जोत वाले परिवारों की आज का दशा होती ।
                     दोस्तों इस दृश्य की और गरीबी कल्पना करो की जब बाढ़ से बेहाल लोग जान बचाने को भागे भागे फिर रहे है जिंदगी की अनिश्चितता लिए हुए तो वाही कुछ उनसे भी ज्यादा गरीबी झेल रहे लोग जान दाव पर लगाकर उन्ही घरो में चोरी कर रहे है और फिर घर के आदमियों को जान जोखिम में डाल कर पानी में भीगा हुआ अपना सामान बचाने के लिए छतो पर और पेडो पर बैठ कर अपना सामान बचाने को रखवाली भी करनी पद रही है ।
                        मैं निवेदन करता हूँ अपने मुख्यमंत्री से की जाकर इस बाढ़ की भयावहता को देखे और प्रशासन से लेकर अपने संगठन ,विधायक , प्रत्याशी और सांसदों को पूरी इमानदारी से वही रह कर लोगो की मदद करने का निर्देश दें और कुछ अतिरिक्त सहायता भी । मैं तो बीमार होने के कारण और अपनी परिस्थितियों के कारण लाचार हूँ ।
                       जापान में तबाही आई तो वहां के व्यापारियों ने लोगो को बिना मुनाफे के सामान दिया कुछ दिनों तक ,, लोगो के लिए पानी की व्यवस्था किया जिसे जितना संभव था । जहा तबाही नहीं आई थी वहां के लोगो ने हर तरह की मदद किया । प्रशासन ने पूर्ण इमानदारी से लोगो के लिए दिन रात एक कर दिया । क्या यहाँ ऐसा हो सकता है ? देखते है । जय हिन्द ।

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