गुरुवार, 15 अगस्त 2013

अपनी इस कविता की बाकी पंक्तियाँ फिर कभी ,, आज के दिन वो सब लिखना ठीक नहीं है । ये देश मेरा है किसी की खैरात नहीं है ,, इस देश की आजादी हमारे पुरुखो के खून से नही हुयी है ,उस वक्त अंग्रेजो का साथ देने वाले , स्वतंत्रता सेनानियों की मुखबिरी करने वालो और गद्दारी करने वालो की दें नहीं है । इसलिए उस प्रशिक्षण से निकले लोग क्या समझेंगे आज के दिन की कीमत । आलोचना हो पर मर्यादा के साथ । विरोध लोकतंत्र का आधार है पर दो दिनों को तो छोड़ दें ३६३ दिन तो हैं उसके लिए । पर कुछ लोग बहुत जल्दी में है और उन्होंने शायद लम्बे समय से जहाज से नीचे पैर नहीं रखा इसलिए उन्होंने सडको पर लिखा सन्देश नहीं पढ़ा की दुर्घटना से देर भली ।
स्वतंत्रता दिवस की हार्दिक शुभकानाए । हम महान देश के वासी है और  जनसँख्या के बाद भी और इतने भ्रस्ताचार के बाद भी हम दुनिया की  ताकत है । इतनी अनेकता के बाद भी ,इतने षड्यन्त्रो के बाद भी और कुछ ताकतों के इतनी नफ़रत बांटने के बाद भी हम एक है , हाँ हम केवल हिंदुस्तान हैं । हमें कोई गिरा नहीं सकता ,हमें कोई मिटा नहीं सकता और हमें कोई तोड़ नहीं सकता । महात्मा गाँधी की अहिंसा और सुभाषचंद्र बोस का नारा जय हिन्द हमारी ताकत है । जय हिन्द ।

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