शनिवार, 23 दिसंबर 2023

जब बिदा किया बेतिया

आज से ठीक तीन साल पहले वो भी 9 मई का ही दिन था । एक पिता के लिए कितना सुखद पर कितना मुश्किल और बेटियों के लिए और भी ज्यादा मुश्किल ।उस घर को छोड़ने की तैयारी जहा पैदा होने से लेकर इतना सफर तय किया था और उस पिता से विदा होना जो अब माँ और पिता दोनो था , जिसके डांट और प्यार के झूले में झूलते झूलते इतनी बड़ी हो गयी थी कि किसी का घर बसाने और महकाने लायक हो गयी थी ,
कितना मुश्किल होता है पिता का और माँ का अपनी वेटियो को विदा करना पंर प्रकृति के नियम का बंधन जो है ।
कितने दिनों पहले से एक तरफ तो शादी की सारी तैयारियाँ कर रहा होता है पिता और दूसरी तरफ खुद को मजबूत रखने की असफल कोशिश भी , 
जब जब बेटियों पंर नज़र जाती है मन और आंखे भीग जाती है और गला साफ करने की कोशिश कर खुद को कस कर बांधे रखने की कोशिश , 
खुद की आंखों में तैर आयी पानी की बूंद छुपाने की कोशश ,कितना संघर्ष होता है एक आदमी की शख्सियत में ,एक पिता के दिल और दिमाग मे ।
और 
फिर विदा हो जाती है बेटियाँ , छोड़ जाती है पीछे गहरा सन्नाटा , उदासी और अथाह खालीपन ।
पर 
किसी कोने में जी भर हिचक कर रोने के बाद फिर आंसू पोछ लेता है पिता और फिर खुद को समेट कर निकल पड़ता है कर्तव्य मार्ग पर ।
बेटियाँ भी कुछ इसी राह पर होती है , आँसू और यादो को दबाती है ,भींच लेती है सब कुछ अपने अंदर और पहुंच जाती है बिलकुल अनजान माहौल में खुद को ढाल कर उसे सजाने और संवारने ।
बेटियों के दिल को कोई नही समझ सकता है पर समझ जाती है माँ और वो बन जाती है उनका सम्बल ,उनकी सलाहकार , 
पर इन बेटियों की तो माँ ही नही । 
पर सब ठीक से सम्हाल लिया मेरी बेटियों ने ,खुद को भी और अपने नए घर और नए दायित्वों को भी  ।
हा आज वही 9 मई है बस तीन साल पहले की ।
मेरी बेटियों और उनके हमसफ़र को ढेर सारा प्यार और आशीर्वाद की जीवन मे हमेशा प्रेम से रहते हुए खुशियों का ,तरक्कीशुदा जीवन जिये ।
आप सब से भी इन बच्चो के लिए आशीष और शुभकामनाओं की अपेक्षा करता हूँ ।

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