यादों से :
पिछले साल आज की शाम इस कार्यक्रम के नाम था जिसमें दूसरे नंबर की पेंटिंग 48 करोड़ रुपए की है । और साथ खड़े इन लोगों को लखनऊ में कौन नही पहचानता है ? साहित्यिक गतिविधियाँ हो या देश और समाज के सरोकार ये त्रिगुट हमेशा आगे रहता है और अपनी सक्रियता से लखनऊ को जीवंत रहता है ।
मैं तो बस इतना कह सकता हूँ कि मैं इन लोग से परिचित हुँ और कभी कभी चर्चा में हिस्सेदार भी हो जाता हुँ सुशीला जी , उषा राय और नाइस हसन के साथ ।
इस अवसर पर उषा राय ज़ी ने अपना नया कहानी संग्रह : हवेली : भी भेंट किया ।
चर्चा तो हुयी ही देश और दुनिया की ।
हा रंग भी कविता करते है , कहानी और उपन्यास लिखते है और इतिहास भी लिखते है और रचते भी हैं ।
रंग कितने महँगे भी हो सकते है ? ४८ करोड़ !
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